1 Oct 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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अक्सर हम सोचते हैं कि शिशु को घमौरियों की परेशानी सिर्फ गर्मी के मौसम में ही होती है तो, ऐसा नहीं है। अगर मॉनसून का समय है और मौसम गर्म है तो भी घमौरियां पीछा नहीं छोड़ती। कहने का मतलब यह है कि घमौरियां होने के लिए सिर्फ मौसम का गर्म होना ही काफी होता है। वैसे भी बच्चों के शरीर का तापमान वयस्को की तुलना में ज्यादा होता है।
शिशु तो वैसे भी घुटनों के बल चलते हैं, दौड़ते हैं, भागते हैं, इन सब क्रियाओं को करने से शरीर का तापमान बढ़ता है और घमौरी होने का खतरा बढ़ता है। अगर आप बच्चे की त्वचा पर घमौरियां देख रहे हैं तो इसको मिलिरिया कहते है।
शिशु को घमौरियां तब होती हैं, जब त्वचा में पसीने की नलिकाएं बंद हो जाती हैं और पसीना बाहर नहीं आ पाता है, जिससे त्वचा पर द्रव से भरे बंप्स बन जाते हैं।
ज्यादातर मामलों में, जहां घर्षण होता है, वहां ऐसे सूजन या बंप्स दिखाई देते हैं, जैसे कि शरीर का एक हिस्सा दूसरे के खिलाफ रगड़ता है, या बच्चे अगर टाइट कपड़े पहने हुए हो तो रगड़ खाने के कारण घमौरियां होती हैं।
शिशु में घमौरियां होने के लक्षण
बच्चों के शरीर पर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र हैं:
अब सवाल यह आता है कि बेचारे बच्चों को चुभती जलती घमौरियों से कैसे बचाएं। ऐसा क्या करें जिससे घमौरी होने की संभावना कम हो जाए।
बहुत गर्मी में बाहर खेलने न जाएं- अक्सर सुबह या शाम को बच्चों को लेकर पार्क या गार्डेन में घुमाने ले जाते हैं। जाहिर है बच्चों को खुले वातावरण में ले जाना भी बहुत जरूरी होता है, लेकिन जब मौसम बहुत गर्म हो तो घर में ही बच्चों को रखना अच्छा होता है। क्योंकि बाहर की गर्मी के कारण पसीना होगा और फिर घमौरियां होना शुरू हो जाएगीं। अगर बच्चों को गर्मी से बाहर ले ही जाना है तो बैंबू वाइप्स से गर्दन, कोहनी, बगल, जांघ वाले जगहों को पोंछते रहें या जहाँ पर पसीना आ रहा हो वहां वाइप्स से पोंछ दें। इससे शरीर ठंडा भी रहेगा और घमौरी होने की संभावना भी कम हो जाएगी।
पर्याप्त मात्रा में पानी या दूध पिलाते रहें- जैसा कि आप जानते हैं कि बच्चों के शरीर का तापमान ज्यादा रहता है, इसलिए गर्म मौसम में उनके शरीर को ठंडा रखने की जरूरत होती है। बच्चा अगर दूध पीता है तो उसको पर्याप्त मात्रा में दूध पिलाएं। अगर बच्चे की उम्र छह माह से ज्यादा है तो उसको हाइड्रेटेड रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं।
मुलायम सूती कपड़े पहनाएं- बच्चों की त्वचा बहुत मुलायम होती है, इसलिए घर्षण से बचाने के लिए हमेशा ढीले-ढाले और मुलायम कपड़े ही पहनाने चाहिए। इससे घर्षण नहीं होगा और घमौरियां भी कम होंगी।
बच्चों के सोने की जगह हवादार होनी चाहिए- मौसम जब गर्म हो तो इस बात का ध्यान रखें कि कमरे का तापमान कम और हवादार हो। इससे बच्चे सोते भी है और बिस्तर की गर्मी से उनको घमौरी होने का खतरा भी कम हो जाता है।
बच्चों को माइल्ड बेबी वाश से नहलाएं- वैसे तो शिशुओं को रोज न नहलाने की सलाह दी जाती है लेकिन मौसम अगर गर्म हो तो मॉइश्चराइजिंग बेबीवाश से रोज नहलाएं। इससे उनके शरीर का तापमान कम रहेगा और घमौरियां भी कम आएंगी।
अब तक के चर्चा से आप समझ ही गए होंगे कि बच्चों को घमौरियों की परेशानी क्यों होती है और उनको कितनी आसानी से घमौरियों के परेशानी से बचाया जा सकता है।
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