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छोटे बच्चे के रोने के हो सकते हैं ये 5 बड़े कारण, जानें शांत कराने के तरीके

छोटे बच्चे के रोने के हो सकते हैं ये 5 बड़े कारण, जानें शांत कराने के तरीके

25 Jul 2022 | 1 min Read

Mona Narang

Author | 163 Articles

छोटे बच्चे को कोई भी तकलीफ होती है, तो वो उसे रोकर बयां करता है। ऐसे में पैरेंट्स के लिए छोटे बच्चे क्यों रोते हैं, यह मालूम होना बहुत जरूरी है। नवजात शिशु पूरी तरह से माँ पर निर्भर होता है। उन्हें खाना चाहिए, नींद आ रही, आराम चाहिए, हर काम के लिए उन्हें पैरेंट्स की जरूरत होती है। जब बच्चा रोता है, तो यह उनका अपनी जरूरतों के लिए आपके साथ बात करने का एक तरीका है। इस लेख में हम बच्चे के रोने के 5 बड़े कारण पर चर्चा करेंगे। 

छोटे बच्चे के रोने के 5 बड़े कराण (5 Reasons Why Babies Cry in Hindi)

छोटे बच्चे क्यों रोते हैं, नीचे इसके पांच बड़े कारण पर चर्चा करेंगे। इनकी मदद से आप बच्चे की परेशानी को समय पर समझकर दूर कर सकते हैं।

1. भूख लगना

छोटे बच्चे क्यों रोते हैं
छोटे बच्चे क्यों रोते हैं/चित्र स्रोत: फ्रीपिक

बच्चे को भूख लगना, उनके रोने के मुख्य कारणों में से एक है। बच्चों का पेट बहुत छोटा होता है, जो बहुत जल्दी खाली हो जाता है। इसलिए, शुरुआती तीन महीने बच्चे को हर घंटे दूध पिलाने की जरूरत होती है। अगर बच्चे को दूध पिलाए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ तो भी आप उन्हें ब्रेस्टफीडिंग कराएं। बच्चे के पेट भरने वह खुद ब्रेस्टफीडिंग नहीं करेगा। ज्यादातर छोटे बच्चे भूख लगने पर रोते हैं और दूध पिलाते ही तुरंत शांत हो जाते हैं। 

2. डायपर के गीले होने पर

बच्चे के रोने का एक कारण डायपर का गीला या गंदा होना हो सकता है। इसलिए, पैरेंट्स को थोड़ी-थोड़ी देर में बच्चे के डायपर को चेक करते रहना चाहिए। बच्चा सो रहा है, तो भी उनका डायपर देखते रहें, जिससे उन्हें नींद में किसी तरह की परेशानी न हो। 

बच्चों की त्वचा काफी सेंसिटिव होती है, जिस वजह से लंबे समय तक गीला डायपर में रहने से उनमें डायपर रैशेज का जोखिम अधिक होता है। डायपर रैशेज में होने वाली खुजली और जलन से परेशान होकर भी कई बार बच्चा रोने लगता है। इसलिए समय पर बच्चे का सही तरीके से डायपर बदलें। डायपर बदलते समय पहले डायपर के आस-पास की त्वचा को बेबी वाइप्स से साफ करें।

इसके बाद डायपर रैशेज क्रीम लगाएं। कुछ देर शिशु को खुला छोड़ दें और फिर नया डायपर पहनाएं। 

3. पेट में दर्द

बच्चा पेट संबंधित परेशानियां जैसे गौस और कोलिक की वजह से भी रोने लगता है। इसका अंदाजा पैरेंट्स बच्चे के पेट की कोमलता को चेक कर पता लगा सकते हैं। अगर शिशु के पेट पर छूने से वह तेज-तेज रोने लगता है, तो यह पेट संबंधित परेशानी का इशारा है।

ऐसे में बेबी के पेट पर बेबीचक्रा का टम्मी रिलीफ रोल ऑन लगाने से आराम मिल सकता है। यह खास शिशु में ब्लोटिंग, एसिड-रिफ्लक्स व गैस के कारण होने वाले पेट दर्द से राहत प्रदान कर बच्चे को शांत कर सोने में मदद करता है। कंपनी का दावा है कि इस प्रोडक्ट को बाल चिकित्सक व मांओं की देखरेख में तैयार किया गया है। यह प्रोडक्ट डर्मेटोलॉजिस्ट टेस्टेड है।

4. मच्छरों का काटना

बच्चा मच्छरों से परेशान होकर रोने लग सकता है। बच्चों के लिए मच्छर से खुद निपटना मुश्किल है। ऐसे में पैरेंट्स की यह ड्यूटी बनती है कि वे अपने बच्चे को मच्छरों के आतंक से सुरक्षित रखने के लिए जरूरी कदम उठाएं।

बच्चों को मच्छर से सुरक्षा प्रदान करने के लिए मॉस्किटो रिपलेंट स्प्रे का इस्तेमाल कर सकते हैं।

मॉस्किटो रिपलेंस पैचेज भी बच्चों को मच्छरों से सेफ रखने के लिए बेहद प्रभावी माने जाते हैं।

5. फटे होंठ

बच्चों में फटे होंठ की समस्या बहुत कॉमन है, जो कई बार असहनीय हो सकती है। बच्चे के लगातार रोने का एक कारण फटे होंठ हो सकते हैं। इससे बचाव व इस समस्या से उन्हें राहत दिलाने के लिए बेबी लिपबाम का इस्तेमाल करें। बेबी लिप बाम बच्चों के लिप्स को हाइड्रेट कर सॉफ्ट और स्मूद बनाने में मदद करता है।

वैसे तो छोटे बच्चे का दिनभर में दो से तीन घंटे रोना आम बात है। लेकिन, अगर बच्चा पूरे दिन में तीन घंटे से अधिक रोता है, तो बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना बेहतर होगा। उम्मीद करते हैं लेख में दिए गए सुझाव आपके काम आएंगे।

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