17 Aug 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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प्रेगनेंसी जीवन का एक ऐसा दौर है, जब शरीर में बहुत तरह के बदलाव होते हैं, जिसके चलते फिर से प्रेगनेंसी के पहले के जीवन में लौटने में कुछ समय लग जाता है। इन्हीं बदलावों के कारण बहुत सारे सवाल न्यू मॉम्स के दिमाग में चलते रहते हैं कि डिलीवरी के बाद क्या मेंस्ट्रुअल कप (Menstrual cup) का इस्तेमाल करना चाहिए? क्या इसके इस्तेमाल से वजाइना को किसी प्रकार का नुकसान पहुँच सकता है आदि।
सच तो यह है कि मेंस्ट्रुअल कप को लेकर एक नहीं हजारों सवाल डिलीवरी के बाद न्यू मॉम के जहन में घुमता रहता है। टेंशन करने की कोई बात नहीं, हम सवाल-जवाब के माध्यम से आपके मन में उठने वाले सारे सवालों का समाधान करने की कोशिश करते हैं।
वैसे तो आम तौर पर अभी भी महिलाएं मेंस्ट्रुअल कप की तुलना में सेनेटरी पैड्स का ही इस्तेमाल करती हैं। लेकिन सच तो यह है कि यह घंटी के जैसा दिखने वाले कप के फायदे भी बहुत हैं। बाजार में यह कप आसानी से पाया जाता है और यह रियुजेबल है। इसलिए एक बार सेनेटरी पैड्स की तुलना में किफायती भी है और 9–10 घंटों तक सुरक्षित भी रहता है, जो कि पीरियड्स के दौरान खून निकलने के मात्रा पर निर्भर करता है।
असल में मेंस्ट्रुअल कप पीरियड होने पर मेंस्ट्रुअल ब्लड को इकट्ठा करने के काम आता है। इस सिलिकॉन या लैटेक्स के बने कप को यूट्रस के मुँह में फिट किया जाता है। याद रखने की बात यह है कि इसका इस्तेमाल करने से पहले वजाइनल और सर्विक्स के अनुसार सही माप का चुनाव करना होता है।
जैसा कि यह सभी को पता है कि डिलीवरी के बाद पीरियड्स यानि ब्लीडिंग और लोचिया (lochia) की परेशानी रहती ही है। लोचिया वह फ्लूइड होता है, जो डिलीवरी के बाद एक हफ्ते तक निकलता है। इसके लिए हॉस्पिटल से निकलने के बाद कुछ दिनों तक मोटे सेनेटरी पैड का ही इस्तेमाल आम तौर पर किया जाता है।
प्राइवेट पार्ट्स में तब तक सूजन और दर्द होने के कारण कुछ भी योनि के अंदर डालना ठीक नहीं होता है। इसलिए जब तक डॉक्टर न कहे तब तक इस कप का इस्तेमाल करने की गलती न करें। यहाँ तक कि जब तक अंदरूनी घाव ठीक न हो जाए तब तक सेक्स करने की भी गलती नहीं करनी चाहिए।
डिलीवरी के बाद लगभग 6 हफ्ते के बाद ब्लीडिंग होना बंद हो जाता है। तब डॉक्टर के पास पोस्टनेटल चेकअप के लिए जाना चाहिए। सी-सेक्शन हो या वजाइनल बर्थ डॉक्टर जब इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाते हैं कि मरीज फिजिकली और इमोशनली हेल्दी है तभी वह ग्रीन सिग्नल देते हैं। पोस्टपार्टम कीगल एक्सरसाइज करने से भी अंदरूनी घाव जल्दी ठीक होने लगते हैं। कहने का मतलब यह है कि डॉक्टर के चेकअप करने के बाद उनके ग्रीन सिग्नेल देने पर ही आप सेक्स भी एन्जॉय कर सकते हैं और मेंस्ट्रुअल कप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
डिलीवरी के बाद मेंस्ट्रुअल कप पहले जैसा फिट होगा कि नहीं यह सवाल अब न्यू मॉम्स के लिए अहम हो जाता है। जैसा कि आपको पता है कि मेंस्ट्रूअल कप के बहुत सारे ब्रैंड्स बाजार में उपलब्ध हैं। ये कप्स दो साइजों में मिलते हैं, साइज 1 और साइज 2। आम तौर पर साइज 1 किशोर अवस्था के लड़कियों या टीनएजर्स के लिए और 30 साल के भीतर के महिलाओं के लिए या जो अभी तक माँ नहीं बनी हैं उनके लिए होता है। साइज 2 थोड़ा बड़ा होता है जो 30 साल के ऊपर के महिलाओं के लिए और जो माँ बन चुकी हैं या मेंस्ट्रुअल फ्लो हेवी होता है, उनके लिए होता है। इसके अलावा दीवा कप (Diva Cup) और लिली कप ( Lily Cup) जैसे दूसरे ब्रैंड्स के कप भी मौजूद हैं। मेंस्ट्रुअल साइज गाइड को समझकर कप खरीदने पर फिटिंग में कोई परेशानी नहीं होगी।
मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करने के पहले सबसे जरूरी बात यह है कि बिना हाथ धोएं इसको छूना भी नहीं चाहिए। हमेशा केमिकल फ्री नेचुरल फोमिंग हैंड वाश से हाथ धोने के बाद कप को पकड़ें। इसका इस्तेमाल बच्चे से लेकर बड़े सब कर सकते हैं।
मेस्ट्रुअल कप को थोड़ा-सा फोल्ड करके वजाइना के अंडर डालें। योनि के अंदर गर्भाशय ग्रीवा यानि सर्विक्स के जाने वाले मार्ग में फिट करना पड़ता है। अपने अंदाज से इसको घुमाकर सही जगह पर फिट कर दें। सही तरह से फिट होने पर ही लीकेज की संभावना कम हो जाती है।
मेंस्ट्रुअल कप का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि यह सेनेटरी पैड्स और टैम्पोन की तुलना में किफायती और सस्ता होता है क्योंकि ये रियुजेबल होता है। कप में ज्यादा ब्लड संग्रह हो सकता है इसलिए 10-12 घंटे तक पहने रह सकते हैं। यहाँ तक कि इस कप को पहनकर भी सेक्स एन्जॉय कर सकती हैं।
सबसे फायदे की बात यह है कि सेनेटरी नैपकिन या टैम्पोन में डायोक्सिन जैसे केमिकल होते हैं, जो मेंस्ट्रुअल कप में नहीं होते है। इसी कारण किसी भी प्रकार का संक्रमण होने का खतरा कम होता है। शायद आपको पता नहीं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक रिपोर्ट के अनुसार डायोक्सिन सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह होता है, क्योंकि इसके कारण कैंसर होने का भी खतरा होता है।
इसके अलावा मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करने से वजाइनल इंफेक्शन से प्रोटेक्शन मिलता है। यहाँ तक कुछ महिलाएं यह भी मानती हैं कि कप के इस्तेमाल से पीरियड्स के दौरान क्रैम्प या पेट में दर्द भी कम होता है।
मेंस्ट्रुअल कप की खास बात यही होती है कि पीरियड के दौरान आप एक ही कप को गर्म पानी से धोकर बार-बार इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन पीरियड खत्म होने के बाद कप को बिना स्टेरलाइज किए कपड़े के बैग में अगले पीरियड में इस्तेमाल करने के लिए न रखें। वैसे तो हर ब्रांड के कप को स्टेरलाइज करने के तरीका उसके पैकेट के ऊपर लिखा रहता है, उसी को फॉलो करना चाहिए। सामान्य तौर पर बर्तन में ज्यादा पानी लेकर कप को कुछ देर उबालकर स्टेरलाइज करना चाहिए। कप को स्टेरलाइज करने के बाद बिना कहीं रखें सीधे इस्तेमाल करें।
मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करने के पहले और बाद में अपने जेनिटल पार्ट्स और हाथों को केमिकल फ्री नेचुरल फोमिंग वाश और शैंपू से साफ कर लें। इससे किसी भी प्रकार का इंफेक्शन होने की संभावना कम हो जाती है। डिलीवरी के बाद भी माँ की इम्यूनिटी कमजोर होने के साथ स्किन भी सेंसिटिव रहती है, इसलिए नेचुरल बेबी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना सेफ होता है।
आशा करते हैं कि डिलीवरी के बाद मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल कब से करना चाहिए, कैसे करना चाहिए और मेंस्ट्रुअल कप के फायदे क्या है, ऐसे कई सवालों के जवाब मिल गए होंगे। आपके ऐसे ही सवालों का जवाब पाने के लिए देश की नंबर वन पेरेंटिग एप बेबीचक्रा के साथ जुड़े रहें।
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