9 Mar 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
पेरेंट्स और बच्चों के बीच का रिश्ता भावनात्मक डोर की तरह होती है। इनके रिश्ते के बीच भावनात्मक स्तर जितना गहरा होगा, रिश्ता उतना ही मजबूत होगा। हालांकि, कई वजहों से माता पिता और बच्चों का रिश्ता अक्सर इतना गहरा व मजूबत नहीं हो पाता है। यही खास वजह है कि आप इस लेख में बच्चों को दोस्त बनाने के लिए टिप्स पढ़ेंगे। यहां बताए गए तरीकों से पेरेंट्स और बच्चों के बीच का रिश्ता मजबूत किया जा सकता है।
यहां बताए गए इन आसान आदतों से बच्चों के साथ आपका रिश्ता होगा मजबूत। इन टिप्स को जानने के स्क्रॉल करें और पढ़ें।
पेरेंट्स और बच्चों के बीच का रिश्ता मजबूत बनाने की सबसे पहला सीढ़ी है एक-दूसरे को अपना समय देना। हो सकता है कि पेरेंट्स व्यस्त जीवन शैली की वजह से अपने बच्चों को समय न दे पा रहे हो, लेकिन अगर एक रूटीन के साथ अपनी दिनचर्या को करेंगे, तो यह संभव किया जा सकता है। हर दिन का अगर समय नहीं मिल पा रहा है, तो हफ्ते में एक या दो दिन का समय अपने बच्चे के साथ बिताने का प्रयास करें।
ऐसा करने से माता पिता और बच्चों का रिश्ता मजबूत हो सकता है। बच्चा पेरेंट्स पर भरोसा कर सकता है और उन्हें अपनी हर परेशानी भी बता सकता है, साथ ही बच्चे का अकेलापन भी दूर हो सकता है।
हर बड़ी से बड़ी परेशानी का हल बातचीत के जरिए किया जा सकता है। इसी तरह माता-पिता और बच्चे के बीच बातचीत का रास्ता भी उनके रिश्ते को मजूबत बना सकता है। इसलिए, बच्चे से खुलकर बात करें। बातों में उसकी पसंद-नपसंद से लेकर उसकी इच्छाएं, उसका दिन कैसा रहा, उसके दोस्त, शिक्षक सभी को लेकर उसके विचार व रिश्ते के बारे में बात करें।
बच्चों को दोस्त बनाने के लिए टिप्स में इसका भी ध्यान रखें कि बच्चे से बात करने के साथ ही उनकी हर बात को ध्यान से सुनें व समझें। इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि बच्चों की बड़ी-बड़ी परेशानियां पेरेंट्स के लिए बस छोटी-मोटी बात ही होती हैं।, लेकिन ध्यान रखें कि बच्चे की कोई भी परेशानी पेरेंट्स को चाहे किसी भी छोटी लगे, उसे ध्यान से सुनना चाहिए। ऐसा करने से पेरेंट्स पर बच्चे को विश्वास बढ़ सकता है।
टीनएज बच्चों की परवरिश छोटे बच्चों की परवरिश के मुकाबले मुश्किल हो जाती है। बढ़ती उम्र में बच्चे एक-दूसरे से जल्दी प्रभावित होने लगते हैं, वे जज्बाती भी हो सकते हैं। ऐसे में बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार उन्हें निर्भर बनाने में उनकी मदद करें। अगर बच्चा खुद के लिए कोई निर्णय करना चाहता है, तो इसके लिए उसे बढ़ावा दें। उसके किसी भी निर्णय का क्या परिणाम होगा, उसे समझाने में बच्चे की मदद करें।
अगर पेरेंट्स को अपने बच्चे का व्यवहार व उसके बदलाव की जानकारी होगी, तो माता पिता और बच्चों का रिश्ता
अपने आप ही मजबूत बना रह सकता है। उम्र के अनुसार, बच्चे में न सिर्फ शारीरिक बदलाव हो सकते हैं, बल्कि उनका भावनात्मक व मानसिक स्तर भी बदल सकता है। ऐसे में माता-पिता को अपने बच्चे से जुड़े इन बदलावों को समझना चाहिए।
पेरेंट्स और बच्चों के बीच का रिश्ता मजबूत करना चाहते हैं, तो अपने बच्चे पर किसी तरह का दबाव ना बनाएं। पेरेंट्स अक्सर बच्चों के अच्छे व्यवहार, पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने के लिए दबाव बना सकते हैं। इसके अलावा, वे बच्चे की तुलना भी कर सकते हैं। ऐसा न करें। ऐसा करने से बच्चे का मनोबल कमजोर हो सकता है और वह धीरे-धीरे पेरेंट्स के साथ अपने रिश्ते को नकारात्मक बना सकता है। इसलिए, किसी भी बच्चे से अपने बच्चे की तुलना न करें और न ही उस पर दबाव बनाएं।
बच्चों को दोस्त बनाने के लिए टिप्स में चिट-चैट एक बेहतर तरीका हो सकता है। पेरेंट्स एक बात का ध्यान रखें कि जब भी वे बच्चे से बात करें, तो बच्चे को बात करने के लिए फोर्स न करें। इसके बजाय पेरेंट्स खुद के जीवन के किस्से व अनुभव बच्चे को बताना शुरू कर सकते हैं। ऐसा करने से बच्चा धीरे-धीरे पेरेंट्स के साथ घुल सकता है और अपनी बात खुद ही पेरेंट्स के साथ शेयर कर सकता है।
उदाहरण के तौर पर हमारे दादा-नाना के जमाने में जिन बातों व इच्छाओं को खराब माना जाता रहा होगा, आज उन्हीं बातों व इच्छाओं की तारीफ हो रही होगी। इसी तरह हो सकता है कि माता-पिता के बचपन की उम्र में जो बातें उन्हें खराब लगती रही होंगी, वही बातें अब उनके बच्चों के लिए सामान्य हो सकती हैं। जैसे – पढ़ाई के साथ खेल-कूद पर ध्यान देना, दोस्तों के साथ घूमने जाना आदि।
ऐसे में पेरेंट्स को अपने बच्चे के साथ न सिर्फ उम्र का फासला याद रखना चाहिए, बल्कि बदलते समय में हो रहे बदलावों को भी याद रखना चाहिए। पेरेंट्स को समय के साथ हो रहे इन बदलावों के अनुसार खुद को भी बदलने का प्रयास करना चाहिए।
टीनएज बच्चों की परवरिश इसलिए भी मुश्किल मानी जा सकती है, क्योंकि वे अपना अधिकतर समय अपने दोस्तों के साथ ही व्यतीत करते रहते हैं। ऐसे में पेरेंट्स के साथ उनका कम समय उनके रिश्ते की दूरियों को भी बढ़ा सकता है। इसी फासले को कम करने के लिए पेरेंट्स सप्ताह में एक बार या महीने में एक बार बच्चों के साथ कहीं बाहर घूमने जाने की योजना भी बना सकते हैं।
पेरेंट्स और बच्चों के बीच का रिश्ता मजबूत बनाना है, तो अपने बच्चे की तारीफ करना भी सीखें। जब भी बच्चा कोई अच्छा काम करे, जैसे – परीक्षा में अच्छे नंबर लाना, घर के कामों में मदद करना, साफ-सफाई का ध्यान रखना या सड़क पर किसी की मदद करना, तो उसकी तारीफ करें। पेरेंट्स का इस तरह का व्यवहार न सिर्फ बच्चे का मनोबल बढ़ा सकता है, बल्कि पेरेंट्स के साथ उनके रिश्ते को भी मजबूत बना सकता है।
माता पिता और बच्चों का रिश्ता बहुत ही नाजुक होता है। उनकी बीच होने वाली हर घटना उनके भावनात्मक स्तर व रिश्ते को तेजी से प्रभावित कर सकती है। ऐसे में टीनएज बच्चों की परवरिश के दौरान पेरेंट्स को लेख में बताए गए बच्चों को दोस्त बनाने के लिए टिप्स के साथ ही, बच्चे से जुड़ी कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। पेरेंट्स और बच्चों के बीच का रिश्ता मजबूत बना रहे, इसके लिए उन्हें अपने बच्चे की मानसिक स्थिति का भी पता लगाना जरूरी होता है।
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