14 Mar 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
गर्भावस्था में सूझबूझ और समझदारी से फैसले लेना काफी अहम होता है। एक गलत फैसला पूरी प्रेग्नेंसी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यूं तो स्वस्थ गर्भावस्था में हल्के-फुल्के काम करने से जुड़े फैसले लेना गलत नहीं है। मगर कभी सोचा है कि घर के किसी काम के लिए प्रेग्नेंसी में कार चलाने का फैसला कितना सुरक्षित है? अगर नहीं, तो यहां पढ़ें प्रेग्नेसी में कार ड्राइविंग कितनी सुरक्षित या कितने जोखिमों से भरी है।
अगर प्रेग्नेंसी स्वस्थ है, तो अच्छी रोड पर कुछ देर के लिए कार चलाना सुरक्षित है। लेकिन सामान्य तौर पर गर्भावस्था के समय खराब रोड पर देर तक गाड़ी न चलाने की सलाह दी जाती है। ज्यादा जरूरी न हो, तो गर्भवती महिला को खुद गाड़ी चलाने के बजाय किसी और को गाड़ी चलाने के लिए कहना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान शरीर कई तरह के बदलावों से गुजर रहा होता है। सिर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क में भी कई चीजें चल रही होती हैं। ऐसे में खुद से गाड़ी चलाने से दुर्घटना होने की आशंका बढ़ सकती है। अगर गाड़ी चलाते समय महिला को प्रेग्नेंसी के सामान्य लक्षण जैसे कि चक्कर आना, उल्टी, मतली, बेचैनी होने लगे, तो एक्सीडेंट होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी वजह से प्रेग्नेंसी में ड्राइविंग के नुकसान से बचना चाहिए।
प्रेग्नेंसी की कुछ स्थितियों में कार ड्राइव एकदम नहीं करनी चाहिए। ये स्थितियां कुछ इस प्रकार हैं –
1. जी मिचलाना और चक्कर आना – अगर गर्भवती को ज्यादा उल्टी, मतली और चक्कर आते हैं, तो ऐसी स्थिति में कार ड्राइव करने से बचना चाहिए। इस दौरान गाड़ी चलाने से एक्सीडेंट होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।
2. ध्यान न लगना – कई बार प्रेग्नेंसी के समय महिलाओं का ध्यान एक काम में नहीं लग पाता है। ऐसी स्थिति में कार ड्राइविंग के समय ध्यान भटकने का डर बना रहता है। इससे दुर्घटना होने का जोखिम रहता है।
3. लेबर पेन – प्रसव के दिन नजदीक होने पर गाड़ी एकदम नहीं चलानी चाहिए। इन दिनों में कभी भी लेबर पेन शुरू हो सकता है। साथ ही लेबर पेन के वक्त भी कार चलाना असुरक्षित होता है। ऐसे में लेबर पेन होने पर खुद से ड्राइव करके अस्पताल जाने के बजाय एंबुलेंस बुलाना बेहतर होता है।
4. बैठने में असहजता – दूसरी तिमाही के बाद पेट बड़ा होने लगता है। इस समय ड्राइविंग सीट पर बैठने पर असहज महसूस हो सकता है। यदि अच्छे से बैठने के लिए कार की सीट को पीछे किया जाए, तो इससे ब्रेक तक पैर पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कार चलाने से बचना चाहिए।
5. ज्यादा ब्रेक लगाने की जरूरत होने पर- अगर कोई बहुत ज्यादा भीड़ वाली जगह पर जाना है, तो गर्भवती महिला को खुद ड्राइव नहीं करनी चाहिए। ऐसी जगहों में ड्राइव करते समय बार-बार ब्रेक लगाना पड़ता है। इससे बेबी बंप पर दबाव पड़ सकता है, जो महिला और आने वाले भ्रूण दोनों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
अगर गर्भावस्था के समय कार ड्राइव करने की सोच रही हैं, तो सेफ्टी टिप्स को फॉलो करना जरूरी है। इन सेफ्टी टिप्स के बारे में हम नीचे कुछ बिन्दुओं के माध्यम से बता रहे हैं।
अब आप समझ ही गई होंगी कि प्रेग्नेंसी के दौरान जब तक बहुत जरूरी न हो तब तक कार नहीं चलानी चाहिए। गर्भावस्था में कार चलाने वाली महिलाओं पर हुए एक रिसर्च में जिक्र मिलता है कि दूसरी तिमाही में कार चलाने वाली 42 प्रतिशत महिलाएं साल 2014 में बड़े हादसे का शिकार हुई थीं। इसी वजह से कहा जाता है अपनी सुरक्षा अपने हाथ। गर्भावस्था के कुछ हफ्ते गाड़ी चलाने से बचें और खुद को व अपने गर्भस्थ शिशु को दुर्घटना के जोखिम से बचाए रखें।
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