17 May 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 406 Articles
प्रेग्नेंसी के दौरान न सिर्फ शारीरिक तौर पर बल्कि मानसिक और सामाजिक तौर पर भी विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसी में एक समस्या है प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया होना। सिजोफ्रेनिया का जोखिम प्रेग्नेंसी में भूलने की आदत को विकसित कर सकता है। अगर आप प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया के जोखिम से बचना चाहती हैं, तो यह लेख आपके लिए मददगार हो सकता है।
बेबीचक्रा के इस लेख में हम न सिर्फ प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया के कारण और लक्षण बता रहे हैं, बल्कि प्रेग्नेंसी में भूलने की आदत से कैसे बचाव कर सकती हैं, इसकी जानकारी भी दे रहे हैं।
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है। इसके होने पर मतिभ्रम, भ्रम और सोचने-समझने से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। इसी वजह से अगर किसी महिला में प्रेग्नेंसी में भूलने की आदत विकसित हो सकती है, तो इसकी संभावना हो सकती है कि उसे सिजोफ्रेनिया हो गया हो।
नहीं, प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया का खतरा उत्पन्न हो सकता है। हालांकि, इसकी संभावना बहुत ही दुर्लभ देखी जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 1% से भी कम महिलाओं में गर्भावस्था में सिजोफ्रेनिया का खतरा देखा जा सकता है।
गर्भावस्था में सिजोफ्रेनिया यानी इस साइकोटिक बीमारी के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। पर एक बात का ध्यान रखें कि प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया के लक्षण भी सामान्य व अन्य लोगों की ही तरह दिखाई दे सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
नोट: इस तरह के लक्षण कई बार अत्यधित तनाव लेने के कारण भी बढ़ सकते हैं। हालांकि, अगर गर्भवती महिला में यहां बताए गए एक से अधिक लक्षण एक साथ दिखाई देते हैं, जो समय के साथ गंभीर हो जाएं, तो ऐसी स्थिति में प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया का खतरा गंभीर हो सकता है।
प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं। यहां हम कुछ ऐसी ही खराब आदतों के बारे में बता रहे हैं, जो प्रेग्नेंसी में भूलने की आदत या गर्भावस्था में सिजोफ्रेनिया का कारण बन सकते हैं, जैसेः
इसमें कोई दोराय नहीं कि गर्भावस्था के दौरान कई वजहों से चिंताएं बढ़ जाती हैं। लेकिन, अगर गर्भवती महिला बहुत ज्यादा चिंतित रहने लगे या वह अत्यधिक मानसिक तनाव लेने लगे, तो इसकी स्थिति प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया का खतरा उत्पन्न कर सकता है।
अगर कोई महिला गर्भावस्था में स्मोकिंग करती है, तो इसका भी उनकी गर्भावस्था पर बुरा प्रभाव देखा जा सकता है। धूम्रपान के कारण गर्भावस्था में सिजोफ्रेनिया के साथ ही अन्य साइकोटिक बीमारी के होने का जोखिम भी बढ़ सकता है।
गर्भावस्था में महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें किसी भी दवा के सेवन से परहेज करना चाहिए। कोई स्वास्थ्य संबंधी बीमारी होने पर हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही गर्भावस्था के दौरान दवाओं का सेवन करना चाहिए, क्योंकि बिना सलाह के दवाओं का सेवन करना गर्भावस्था में सिजोफ्रेनिया का खतरा बढ़ा सकता है।
ऐसा भी माना गया है कि अगर दिमाग के न्यूरो ट्रांसमीटर में पाए जाने वाले डोपामाइन (Dopamine) केमिकल में अंसतुलन हो जाए, तो यह भी प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया का खतरा बढ़ा सकता है।
इस सब स्थितियों के अलावा, अगर गर्भवती महिला के परिवार में पहले से ही सिजोफ्रेनिया का इतिहास रहा है, तो इसकी वजह से भी महिला को गर्भावस्था में सिजोफ्रेनिया का खतरा हो सकता है।
मौजूदा समय में सिजोफ्रेनिया बीमारी का संपूर्ण इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि, इसके लक्षणों को कम करने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए कुछ खास दवाओं, थेरेपी, काउंसलिंग व साइकोथेरेपी का सहारा लिया जा सकता है, जो लंबे समय तक चलने वाली ट्रीटमेंट में शामिल की जाती है।
वहीं, गर्भावस्था के चरण व महिला की स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार, डॉक्टर दवाओं व थेरेपी के जरिए इलाज करने का फैसला ले सकते हैं। इसके अलावा, बचाव से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखकर गर्भवती महिलाओं में सिजोफ्रेनिया के लक्षण नियंत्रित किए जा सकते हैं, जैसेः
हां, शोध में यह बताया गया है कि प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया का खतरा गर्भपात का कारण बन सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं, अगर महिला को पहले से ही सिजोफ्रेनिया बीमारी है, तो उसे गर्भधारण करने से जुड़ी परेशानी भी हो सकती है।
इसके अलावा, कुछ मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया बीमारी होने से प्रसव के दौरान मृत शिशु का जन्म हो सकता है।
प्रेग्नेंसी में सिजोफ्रेनिया बीमारी होना भले ही दुलर्भ है, लेकिन यह साइकोटिक बीमारी गर्भावस्था के चरण के लिए बहुत ही गंभीर हो सकती है। इसलिए, अगर किसी महिला में प्रेग्नेंसी में भूलने की आदत शुरू होती है या उसमें सिजोफ्रेनिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो बिना देरी के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा, गर्भावस्था में सिजोफ्रेनिया से सुरक्षित रखने के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली को भी अपनाना चाहिए।
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