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ग्राइप वाटर का उपयोग : नवजात शिशुओं के पेट का दर्द ग्राइप वाटर से दूर होगा?

ग्राइप वाटर का उपयोग : नवजात शिशुओं के पेट का दर्द ग्राइप वाटर से दूर होगा?

27 Apr 2018 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

बच्चे को ग्राइप वाटर देने का चलन बहुत है। लेकिन बच्चे को ग्राइप वाटर कब से देना चाहिए, यह जानना जरूरी है। साथ ही सभी माता-पिता को ग्राइप वाटर के फायदे और नुकसान के बारे में पता होना जरूरी है। हम इस लेख में विस्तार से ग्राइप वाटर फॉर बेबी से जुड़ी जानकारी साझा करेंगे। साथ ही बच्चों को ग्राइप वाटर कब देना चाहिए और ग्राइप वाटर कितना देना चाहिए, यह भी आप इस लेख में समझेंगे। 

चलिए, सबसे पहले जानते हैं कि ग्राइप वाटर क्या है (Gripe water meaning in Hindi)।

ग्राइप वाटर क्या है (Gripe Water Kya Hai)

ग्राइप वॉटर एक आम ओवर-द-काउंटर वाटर-बेस्ड सप्लीमेंट है। यह बच्चे को पेट दर्द, कॉलिक दर्द और हिचकी के लिए दिया जाता है। इसे 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश फार्मासिस्ट विलियम वुडवर्ड द्वारा बाजारों में उपलब्ध कराया गया था। 

1840 के दशक के दौरान, इंग्लैंड में मलेरिया का प्रकोप हुआ और डॉक्टरों ने इसका इलाज करने के लिए एक चिकित्सा परिसर तैयार किया। उन्होंने देखा कि यह दवा पेट की समस्याओं से पीड़ित बच्चों को शांत करने में सक्षम थी और वुडवर्ड ने इस सूत्र को देखा और संशोधित करके बाजार में उपलब्ध करवाया।

ग्राइप वाटर के मूल फॉर्मूला (Gripe water ingredients in Hindi) में पानी, डिल तेल, सौंफ के बीज का तेल, चीनी, सोडियम बाइकार्बोनेट और 3.6% अल्कोहल शामिल था। लेकिन अब निर्माताओं ने मेडिकल कम्युनिटी के आपत्ति जताने पर इसे पूरी तरह से अल्कोहल मुक्त कर दिया है।

ग्राइप वाटर के फायदे और क्यों इस्तेमाल करें (Gripe Water uses in Hindi)

अल्कोहल मुक्त और विश्वसनीय ब्रांड का ग्राइप वाटर (Gripe water for baby in Hindi) बच्चों की कई समस्याओं से निपटने में मदद कर सकता है। शिशु को ग्राइप वाटर (Gripe Water For Newborn) हमेशा बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह पर ही दें। आगे जानिए कि बच्चे के लिए ग्राइप वाटर के फायदे क्या-क्या हैं –

पेट दर्द से राहत (Stomach Pain Relief in Hindi)

ग्राइप वाटर का उपयोग (gripe water uses in hindi) शिशुओं में पेट दर्द को शांत करने के लिए किया जाता है। अपच, एसिड रिफ्लकशन या पेट फूलने के कारण डायाफ्राम में जलन हो सकती है, जिसकी वजह से हिचकी आती है। बच्चे को अगर नियमित ग्राइप वाटर (gripe water for baby in hindi) दिया जाए, तो हिचकी की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

पाचन रहेगा ठीक (Good for Digestion in Hindi)

ग्राइप वाटर को अक्सर उन बच्चों को दिया जाता है जिन्हे पाचन तंत्र की परेशानियां, गैस या पेट फूलना, एसिड और कब्ज की समस्या होती है। ग्राइप वाटर (baby gripe water in hindi) की तासीर ठंडी होती है जिसकी वजह से पेट को आराम महसूस कराने में यह सप्लीमेंट बहुत मददगार हो सकता है।

कॉलिक के लिए फायदेमंद (Gripe Water for Colic in Hindi)

कॉलिक बच्चों को शुरुआती 6 महीनों के दौरान परेशान कर देने वाली समस्या है। इसकी वजह से बच्चे अक्सर शाम को एक नियत समय पर चिड़चिड़ापन और पेट में दर्द महसूस करते हैं। बच्चों के शाम को रोने की वजह अधिकतर कॉलिक होती है, जिससे ग्राइप वाटर (gripe water for baby in hindi) राहत दे सकता है। 

आइए, अब जानते हैं कि ग्राइप वाटर कितने महीने के बच्चे को देना चाहिए। 

बच्चों को ग्राइप वाटर कब देना चाहिए (Gripe Water Kab Dena Chahiye)

ग्राइप वाटर कितने महीने के बच्चे को देना चाहिए, इसका जवाब जानना जरूरी है। माना जाता है बच्चे को ग्राइप वाटर (baby gripe water in hindi) एक महीने के बाद ही दिया जाना चाहिए। लेकिन, सिर्फ उस स्थिति में जब बच्चा बहुत चिड़चिड़ा हो रहा हो व लगातार रो रहा हो और ये लक्षण अन्य तरीकों से ठीक नहीं हो रहा हो। 

ग्राइप वाटर का उपयोग व ग्राइप वाटर के फायदे और नुकसान
ग्राइप वाटर का उपयोग करने से पहले ग्राइप वाटर के फायदे और नुकसान जान लें / चित्र स्रोत – पिक्सेल्स

ग्राइप वाटर कितने महीने के बच्चे को देना चाहिए जानने के बाद इसे देने का तरीका समझिए।

ग्राइप वाटर शिशु को कैसे दें (Gripe Water Shishu Ko Kaise De)

ग्राइप वाटर हमेशा चम्मच या ड्रॉपर से दें। आमतौर पर इसका असर कुछ मिनटों में दिख जाता है, लेकिन इसका असर बच्चे की आयु और पीड़ा की तीव्रता पर भी निर्भर करता है। 

इसे दिन में एक या दो बार अथवा अपने बाल विशेषज्ञ की सलाह पर दे सकते हैं | एक्सपायरी डेट के बाद का ग्राइप वाटर इस्तेमाल न करें। याद रखें कि डॉक्टर की सलाह के बिना ग्राइप वाटर बच्चे को न दें और डॉक्टर से यह भी पूछें कि ग्राइप वाटर कितने महीने के बच्चे को देना चाहिए।

क्या ग्राइप वाटर को पाउडर वाले दूध के साथ दिया जा सकता है?

ग्राइप वाटर को सीधे देना चाहिए। इसमें कुछ भी मिलाने की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर कोई माता-पिता पाउडर वाले दूध में ग्राइप वाटर मिलाना चाहते हैं, तो कभी-कभी मिला सकते हैं। लेकिन, यह उतना प्रभावकारी नहीं होगा। आपको डॉक्टर द्वारा बच्चे को ग्राइप वाटर देने की सलाह दी गई है, तो इसे सीधे बच्चे को पिलाएं। 

ग्राइप वाटर के नुकसान (Gripe Water Ke Nuksan)

बच्चों को ग्राइप वाटर के फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं। हम बता ही चुके हैं कि ग्राइप वाटर के शुरुआती फार्मूलों में (gripe water ingredients in hindi) अल्कोहल होता था जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए निश्चित रूप से खराब होता है। आज के अल्कोहल नहीं है, लेकिन इंग्रीडिएंट्स (Gripe water ingredients in hindi) में पैराबेंस, वेजिटेबल कार्बन जैसे अन्य पदार्थ हैं, जो समान रूप से हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए इसकी सही मात्रा लेने से ही ग्राइप वाटर के फायदे होंगे, लेकिन अधिक मात्रा में लेने से नुकसान (Gripe water side effects in hindi) हो सकता है।

दरअसल, ग्राइप वाटर में मौजूद सोडियम बाइकार्बोनेट जैसे अन्य अवयव अधिक मात्रा में लिए जाएं, तो ये Milk-alkali syndrome का कारण बन सकते हैं। आगे चल कर यह बच्चों के गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, कोशिश करें कि ग्राइप वाटर का उपयोग (Gripe water uses for baby in hindi) कम ही करना पड़े। 

इसके अलावा, ग्राइप वाटर के नुकसान (Gripe water side effects in hindi) कुछ इस प्रकार हैं –

  • सूजन ग्राइप वाटर के नुकसान में शामिल है।
  • बच्चे को सांस लेने की समस्या व उल्टी हो सकती है।
  • कुछ शिशु को ग्राइप वाटर से एलर्जी होने का जोखिम रहता है।
  • सही तरह से उपयोग न करने पर शिशु को बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है।
  • ग्राइप वाटर की तासीर ठंडी होती है, तो इससे शिशु की आंखों में पानी व कचड़ा आ सकता है।

ग्राइप वाटर के विकल्प (Gripe Water Ke Vikalp)

जैसा कि आप जान गए हैं कि ग्राइप वाटर के फायदे और नुकसान दोनों हैं। इसलिए जबतक बहुत ज्यादा जरूरी न हो ग्राइप वाटर का उपयोग (gripe water uses in hindi) करने की जगह उसके विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं।

  • शिशु के पेट में गैस या दर्द होने पर पेट की हल्की मालिश से आराम मिल सकता है। 
  • मौसम और शिशु के कपड़े का ध्यान रखें। शिशु कभी भी गर्मी लगने व ठंड लगने के कारण भी रो सकते हैं।
  • दूध पिलाने के बाद शिशु के पेट में गैस भर सकती है, इसलिए शिशु को डकार जरूर दिलाएं।
  • शिशु को छह महीने तक माँ का दूध ही दें।
  • पेट दर्द से राहत देने के लिए शिशु के पेट में टमी रिलीफ रोल ऑन लगा दें।

तो ये थी शिशु के लिए ग्राइप वाटर (Gripe water for newborn) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी। हमेशा बच्चे को दूध पिलाते समय सीधा रखें, ताकि पेट में गैस की समस्या कम हो सके। यदि आप अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाती हैं, तो बोतल खाली होते ही दूध पिलाना बंद कर दें। इससे बच्चा दूध की बोतल से हवा नहीं निगल सकेगा। 

साथ ही दूध पिलाने के बाद हमेशा शिशु को डकार दिलाएं और अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें, सिर्फ ग्राइप वाटर पर निर्भर न रहें। ध्यान दें कि ग्राइप वाटर का उपयोग (gripe water uses for baby in hindi) हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – FAQs

ग्राइप वाटर बच्चों को कब से देना चाहिए?

ग्राइप वाटर कितने महीने के बच्चे को देना चाहिए यह सोच रहे हैं, तो इसका जवाब है एक महीने से ऊपर के बच्चे को डॉक्टर की सलाह पर ग्राइप वाटर दे सकते हैं।

नवजात शिशु को कितने महीने के बाद पानी पिलाना चाहिए?

शिशु को चार महीने के बाद पानी दे सकते हैं।

बच्चों को ग्राइप वाटर कैसे पिलाते हैं?

बच्चे को ग्राइप वाटर एक चम्मच में लेकर पिलाएं या फिर ड्रॉपर की मदद से भी बच्चे को ग्राइप वाटर पिलाया जा सकता है।

ग्राइप वाटर कितना देना चाहिए? 

बच्चे को आधा चम्मच से एक चम्मच तक ग्राइप वाटर दे सकते हैं।

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