25 May 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
गर्भावस्था में चुनौतियों का सामना किसे नहीं करना पड़ता। हार्मोन्स की वजह से स्विंग होते मूड, बीमारियां, प्रसव से जुड़ा डर। उसके बाद एक ओर अच्छी माँ न बन पाने का डर सताता है, तो दूसरी ओर अपने करियर में कैसे आगे बढ़ें, इसकी दुविधा रहती है।
इन सभी दुविधा का एक ही समाधान है और वो है दूसरी मॉम्स की प्रेग्नेंसी और पैरेंटिंग जर्नी के बारे में जानना व उनसे नई बातें सीखना व समझना। इसी उद्देश्य के साथ आज हम मॉम ब्लॉगर रुबीना हसोलकर के जीवन का सफर लेकर आए हैं।
रुबीना हसोलकर 26 साल की उम्र में शादी करके अपने पति के साथ अबू धाबी चली गईं। शादी के चार साल बाद रुबीना और उनके पति ने बेबी प्लान करने का फैसला किया। कैसी रही इनकी प्रेग्नेंसी जर्नी और किस तरह इन्होंने ब्लॉगिंग करियर शुरू किया, यह आगे जानते हैं।
हल्के मधुमेह के छोड़कर मेरी गर्भावस्था एक प्यारे हवा के झोके जैसी थी। मधुमेह को मैंने सैर और डाइट से कंट्रोल कर लिया था। मैं जब अपनी गर्भावस्था के 39वें हफ्ते चेकअप के लिए गई, तो डॉक्टर ने मुझे डिलीवरी के लिए भेज दिया। डॉक्टर ने कहा था कि मेरा गर्भाशय ग्रीवा 4 सेमी फैल गया है। इस बात को सुनते ही मैं सुन्न हो गई थी, क्योंकि मैं आखिरकार अपने बच्चे से मिलने वाली थी।
मेरी वजायनल डिलीवरी हुई थी। असली चुनौती तब शुरू हुई जब मेरी डिलीवरी हो गई। अस्पताल में 2 रातों तक सही से नहीं सोने और लैचिंग (शिशु को दूध पीने) में दिक्कत के बाद, अस्पताल के कमरे में सुबह 3 बजे चीखना भी मुझे याद है। मैं सोच रही थी आखिर ये क्या हो रहा है?
एक माँ के रूप में मैंने जिसकी कल्पना की थी, यह वैसा नहीं था। मेरा बच्चा रोना बंद नहीं कर रहा था, मुझे अपने बच्चे से जुड़ाव महसूस नहीं हो रहा था, मेरे निपल्स में दर्द था, मैं लगभग 48 घंटों तक सो नहीं पाई थी, मेरे टांके दर्द कर रहे थे। मुझे खुद पर शक होने लगा था कि माँ बनने के योग्य ही नहीं हूं।
जब हम तीसरे दिन घर जाने की योजना बना रहे थे, तो डॉक्टर मेरे बेटे को ब्लड टेस्ट के लिए ले गए। तब मुझे पता चला कि उसे ट्रांसिएंट टाचेप्निया (transient tachypnea) है। यह श्वास संबंधी विकार है, जो नवजात शिशुओं में होता है। इसके कारण मेरे बच्चे को सांस लेने में कठिनाई होती थी।
इस विकार का पता चलते ही मेरे बेटे को इंटेस्विक केयर सेंटर (NISU) भेज दिया गया। मुझे अपने बेटे के बिना ही घर जाना पड़ा। घर का खाली पालना और खिलौने देखकर मुझे बहुत बुरा लगता था।
करीब 30 दिनों तक हर दिन मैं केयर सेंटर उससे मिलने जाती थी। मैंने अपने बच्चे को तब दूध पिलाया था, जब मैं उसके साथ थी। मैंने अपने स्तन के दूध की आपूर्ति को बनाए रखने के लिए हर दिन 3 घंटे तक ब्रेस्ट पंप किया। एक महीने बाद नर्स ने मुझे बताया कि हम अपने बच्चे को घर ले जा सकते हैं। उसके बाद कोविड महामारी शुरू हो गई।
जब मेरा बेटा एक साल का था, तो मैं पहली बार अपने परिवार से मिलने के लिए उसे संयुक्त अरब अमीरात से भारत लेकर आई। मुझे नहीं पता था कि कोविड की वजह से उड़ानें निलंबित कर दी जाएंगी। इस दौरान मैं 10 महीने तक माँ के घर में ही रही। तब मैंने सोचा कि मैं क्यों न अपनी पैरेंटिंग जर्नी से जुड़ा कंटेंट क्रिएट करूं। तभी से मेरा यह सफर शुरू हो गया।
वीडियो बनाने के लिए मेरी प्रेरणा मेरे अपने अनुभव रहे हैं और वो महिलाएं, जिन्हें मैंने जीवन भर अपने आसपास देखा है। मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद कहना चाहूंगी, जिन्होंने मुझे सपोर्ट किया।
मैंने पाया है कि मेरे अधिकतर एडल्ट फियर मेरे बचपन के ट्रॉमा का परिणाम हैं। मेरे पास अद्भुत माता-पिता थे, लेकिन हमारे बीच हर चीज के बारे में बातचीत नहीं होती थी। इसलिए मैं यह सुनिश्चित कर रही हूं कि मैं अपने बच्चे से वह सारी बात करूं, जो मैं कर सकती हूं। हर रिश्ते में बातचीत बहुत महत्वपूर्ण होती है।
साथ ही हम इक्वल पैरेंटिंग पर विश्वास रखते हैं। मेरे पति समझते हैं कि यह हमारा बच्चा है और वह हमारी समान जिम्मेदारी है।
मैं अपने बच्चों को दो महत्वपूर्ण बातें सिखाना चाहती हूं। पहली बात कि खुशी हो या उदासी, सारी भावनाओं को अपने वश में रखो। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण होना जरूरी है। दूसरी बात यह कि हर चीज में समाधान खोजें, समस्या नहीं। इसके अलावा, मैं उसमें हाइजीन से जुड़ी अच्छी आदतें डालने की भी कोशिश कर रही हूं।
पहले महीने में लैचिंग बहुत मुश्किल थी। सौभाग्य से मैंने एक ब्रेस्ट पंप खरीदा, जिससे चीजें थोड़ी बेहतर हुई। जैसा मैंने सोचा था उसके मुकाबले वीनिंग आसान थी। मैंने बेटे के साल भर के होने के बाद वीनिंग को आसान बनाने के लिए धीरे-धीरे एक-एक टाइम की फीडिंग को कम करना शुरू कर दिया था। ये ट्रिक मेरे काफी काम आई।
मैं सबसे पहले अपनी भावनाओं को मैनेज करती हूं। मैं बच्चे और अपने बीच महत्वपूर्ण सीमाएं रखती हूं। जब भी मेरा बेटा थोड़ा अलग एक्ट करता है, तो मैं उसे गले लगाती हूं और किस करती हूं।
सबकुछ खुद से करने की कोशिश न करें। साल की सर्वश्रेष्ठ माँ होने का पुरस्कार किसी को नहीं मिलता। आपको जब भी लगे कि सहायता चाहिए, तो मदद के लिए कहें। कभी ये मत सोचें कि आप अच्छी माँ नहीं हैं या नहीं बन पाएंगी।
सभी माँ के लिए मेरा यह संदेश है कि आप जितना महसूस करती हैं उससे अधिक मजबूत हैं और आपका बच्चा जितना आप जानती हैं उससे अधिक लचीला। आप दोनों ही एक दूसरे की ताकत हैं। अपने बच्चे का साथ दें और उसके साथ एक अच्छा बॉन्ड बनाएं।
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