31 May 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
हर माँ की कहानी व उनका जीवन अपने आप में अनोखा होता है। अभी तक आप बेबीचक्रा की कई मॉम्स से मिल चुके हैं। इसी लिस्ट में आज हम आपको एक स्पेशल मॉम से मिलवाने वाले हैं। हमारी नई मॉम का नाम है संचियता यादव दे। संचियता यादव दे व उनकी प्रेग्नेंसी का सफर बताने से पहले यहां पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने वाले हैं।
संचियता यादव दे का नाम मीडिया के सामने सबसे पहली बार सितंबर 2014 में आया था। उस दौरान उनके एक्स बॉयफ्रेंड ने तेजाब से संचियता यादव दे पर हमला कर दिया था। इस हमले में इनका पूरा चेहरा जल गया था। उस दौरान संचियता 25 साल की थी।
25 साल की युवा उम्र में तेजाबी हमले ने उनके जीवन को कई तरह से बदल दिया। शारीरिक व मानसिक पीड़ा के साथ भी उन्हें जाने और अनजाने लोगों के ताने भी सुनने के लिए मिले। लेकिन इसके बाद भी इन्होंने हार नहीं मानी और आखिर चार साल बाद अपने हमलावर को सजा दिलाई।
उनके इस पूरे सफर में उनके बेस्ट फ्रेंड जो अब उनके पति भी हैं, उन्होंने भरपूर सहयोग किया। उनके दोस्त न सिर्फ संचियता से शादी की, बल्कि उनके साथ असामान्य व्यवहार करने के लिए अपने घरवालों के साथ ही दूसरे लोगों को भी प्रेरित किया।
संचियता यादव दे की इस लड़ाई में एसिड अटैक सर्वाइवर्स के साथ काम करने वाले एक एनजीओ ने भी मदद की और बाद में संचिता खुद इसका हिस्सा बन गईं और अपनी जैसी दूसरी कई लड़कियों की मदद भी की। तो, चलिए अब आगे पढ़ते हैं संचियता यादव दे के मॉम बनने का सफर।
मैं और मेरा परिवार कोलकाता से हैं। मैंने स्टेटस इनवर्टिस कोलकाता गर्ल्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है और फिलहाल में एक होटल में काम करती हूं। मैंने मेरे बेस्ट फ्रेंड से शादी की है और अभी हमारी एक बेटी है।
उस हमले के बाद मैंने और मेरे परिवार ने यह उम्मीद छोड़ दी थी कि दूसरी सुंदर लड़कियों की तरह मेरी भी शादी होगी। लेकिन मेरे बेस्ट फ्रेंड ने इस टूटी उम्मीद को भी पूरी कर दी। मेरे पति और मेरे सास-ससुर बहुत ही सपोर्टिव हैं, वे हर तरीके से मेरी मदद करते हैं और मेरा सम्मान करते हैं। मैंने 2020 में शादी की और 2021 में अपनी प्यारी को बेटी को जन्म दिया।
हां, हमले के बाद बहुत से लोग मेरे जले हुए चेहरे को देखकर हंसते थे, मेरा मजाक बनाते थे। पर अब चीजें बहुत बदल गई हैं। मैं मेरे पति, बेटी और परिवार के साथ बहुत खुश हूँ।
हां, थाइराइड ने मेरी प्रेग्नेंसी का सफर थोड़ा मुश्किल कर दिया था। इसकी वजह से मेरा ब्लड प्रेशर अचानक से बहुत ज्यादा बड़ जाता था और मुझे इसके कारण परेशानियां होने लगती थी। यहां तक मेरे डॉक्टर ने मुझे प्रसव के एक महीने पहले ही कुछ सावधानियां बरतनें के लिए बता दिया था, ताकि मेरी सिजेरियन डिलीवरी के दौरान किसी तरह की परेशानी न हो।
मेरा ज्यादातर समय मेरे काम में निकल जाता है, पर मैं जब भी घर पर आती हूँ बच्ची के साथ खेलती हूँ। इसी तरह मेरे पति भी जब शाम को काम से घर पर वापस आते हैं, तो वे भी बच्ची की देखभाल करने में मेरा साथ देते हैं। जैसा कि हम दोनों पति-पत्नी अपने काम में बिजी रहते हैं, तो इस दौरान मेरी सास ही बच्ची और घर की देखभाल करती हैं।
एक तरह से बच्ची की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी मेरी सास ने ही ली हुई है। बेटी के खाने-पीने से लेकर, उसके नहाने और सोने से जुड़ी सारी बातों का ध्यान वही रखती हैं।
मेरी हमेशा यही कोशिश रहेगी कि जब भी मेरी बेटी बड़ी और समझदार होने की उम्र में आएगी, तो मैं उसे अच्छा इंसान बनने की परवरिश दूंगी। मैं हमेशा उसे अच्छे काम करने की सीख दूंगी, पर वो अपने जीवन में क्या बनना चाहती है, यह पूरी तरह से उसकी अपनी मर्जी होगी। मैं उस पर किसी तरह का दबाव नहीं डांलूगी।
संचियता यादव दे की कहानी बहुत से महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। इसी तरह बेबीचक्रा पर आप नई मॉम्स की प्रेग्नेंसी का सफर पढ़ते रहें।
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