8 Aug 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिला को काफी सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जी हां, स्तन में गांठ बनना, अधिक दूध बनना, दूध नहीं बनना, स्तनों में दर्द, स्तन में पस जमना और ब्रेस्ट इंफेक्शन, आदि। इनका अगर आपको होम्योपैथिक उपचार आप खोज रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए ही है। यहां हमने विस्तार से ब्रेस्टफीडिंग के दौरान होने वाली समस्याओं के लिए कुछ हौम्योपैथिक दवाई व उपचार का जिक्र किया है। चलिए, बढ़ते है आगे –
अगर महिला के स्तनों में दूध बहुत ज्यादा बन रहा है (मैटरनल हाइपरगैलेक्टिया) और उसके चलते स्तनों में दर्द व सूजन है, तो लैक कैनिनम मदद कर सकता है। यह दवाई ब्रेस्ट मिल्क के ओवर प्रोडक्शन को कम करने में सहायक मानी गई है। नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (NCBI) की वेबसाइट में भी लैक कैनिनम को मैटरनल हाइपरगैलेक्टिया में मददगार बताया है। इसे चिकित्सक की सलाह पर दिन में दो से तीन बार ले सकते हैं।
सिलिकिया टेरा दवाई का इस्तेमाल ब्रेस्ट में बनने वाले पस के लिए किया जाता है। पस के चलते स्तन के ग्लैंड्स में बनी गांठ से सिलिकिया टेरा दवाई निजात दिला सकती है। साथ ही सूजन से भी राहत मिलती है। इसके अलावा, अनिद्रा और कम स्टेमिना की दिक्कत को भी सिलिकिया टेरा दूर करती है।
पल्सेटिला नामक फूल से बनने वाली होम्योपैथिक दवाई Pulsatilla 30C का उपयोग दर्दभरे निप्पल को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, स्तन के ऊतक में होने वाले सूजन और संक्रमण यानी मैस्टाइटिस से राहत दिलाने के लिए भी पल्सेटिला 30 C का उपयोग कर सकते हैं। यह अत्यधिक दूध की आपूर्ति को घटाने व दूध की आपूर्ति को बढ़ाने दोनों के काम आ सकता है। हालांकि, इस पल्सेटिसा 30 C कैसे काम करती है, इसको लेकर कोई वैज्ञानिक रूप से मान्य नैदानिक परीक्षण उपलब्ध नहीं हैं।
स्तनपान से महिलाओं के ब्रेस्ट में होने वाले दर्द, सूजन, कठोरता और ब्रेस्ट इंफेक्शन के उपचार के लिए हौम्योपैथिक दवाई रिकिनस कम्युनिस इस्तेमाल किया जाता है। इस दवाई को स्तनपान से पहले या स्तनपान के दौरान निप्पल व ब्रेस्ट के ऊपर लगाया जा सकता है। बस दवाई लगाने के बाद शिशु को दोबारा स्तनपान कराने से पहले इस दवाई को निप्पल व ब्रेस्ट से पूरी तरह साफ करना होगा।
यह होम्योपैथिक दवाई भी स्तनपान के कारण ब्रेस्ट में होने वाले दर्द को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा, स्तनों में दूध जमने से स्तन में बनने वाली गांठ व कठोरता को ठीक करने के लिए भी फाइटोलैक्का अमेरीकाना का उपयोग चिकित्सक करते हैं। इसके अलावा, स्तनों में दूध इकट्ठा होने पर होने वाले ब्रेस्ट इंफेक्शन से भी यह दवाई बचा सकती है।
साथ ही यह त्वचा संबंधी अन्य दिक्कतों को भी दूर करने में मदद करता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह स्तन की स्किन में होने वाली शिकायत जैसे स्किन में क्रेक आना, डेड स्किन सेल्स को कम कर सकता है।
होम्योपैथिक उपचार करने के दौरान खान-पान पर विशेष ध्यान देना होता है। इस दौरान डॉक्टर सूती के आरामदायक कपड़े पहनने और अधिक नमक व चीनी का सेवन करने से बचने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा चाय और कॉफी का सेवन कम करने और मसालेदार खाना से दूरी बरतने की सलाह डॉक्टर देते हैं। कमरे के तापमान को भी सामान्य रखना होगा और खुद को थकान से बचाने की कोशिश करनी होगी। तब कहीं जाकर होम्यौपैथिक दवाओं का असर तेजी से होता है।
महिलाओं का स्तनपान के दौरान समस्याओं से गुजरना आम है। बस समय रहते इसका उपचार करवाना जरूरी है, ताकि किसी तरह का इंफेक्शन न हो और अगर इंफेक्शन हो जाए, तो उसके बिगड़ने से कोई दूसरी दिक्कत न हो। इसी कारण से हमने यहां ब्रेस्टफीडिंग की होम्योपैथिक दवाओं की जानकारी दी है। इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के बिल्कुल भी इस्तेमाल में न लाएं।
चित्र स्रोत – Freepik
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