इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके व उपचार

इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके व उपचार

5 May 2022 | 1 min Read

Ankita Mishra

Author | 409 Articles

आयुर्वेदिक तरीके व उपाय विभिन्न परेशानियों के इलाज के लिए प्राचीन काल से ही उपयोग में लाए जा रहे हैं। उन्हीं में एक है महिलाओं में इंफर्टिलिटी (Female Infertility) की समस्या। इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके न सिर्फ कारगर माने गए हैं, बल्कि इन्हें किफायती व कम खर्च वाला भी माना जाता है। 

बेबीचक्रा के इस लेख में आप बांझपन का इलाज करने के लिए आयुर्वेदिक तरीके व उपचार (Female Infertility Ayurvedic Treatment) के बारे में पढ़ सकते हैं। हालांकि, एक बात का ध्यान रखें कि यहां बताए गए कोई भी इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके अपनाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। 

इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके | बांझपन की आयुर्वेदिक दवा

1. पंचकर्म

पंचकर्म पद्धति एक आयुर्वेदिक तरीका है, जो इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके (Ayurvedic Treatment for Infertility in Hindi) में अपनाया जा सकता है। पंचकर्म प्रक्रिया की खासियत है कि यह महिला बांझपन व पुरुष नपुंसकता दोनों की ही समस्या को दूर करने में प्रभावकारी माना जा सकता है। 

इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके व उपचार
इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके व उपचार / चित्र स्रोतः फ्रीपिक

पंचकर्म पद्धति में विभिन्न जड़ी-बूटियों की मदद से शरीर के विषाक्त पदार्थों को दूर किया जाता है और शरीर को अंदरूनी रूप से शुध्द व स्वस्थ बनाया जाता है। इसके लिए पांच अलग-अलग चरण किए जाते हैं और इसी प्रक्रिया को पूरी करने में समय भी काफी लग सकता है। 

2. चंद्रप्रभा वटी

इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके में अगला नाम चंद्रप्रभा वटी का शामिल किया जा सकता है। यह एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो महिला इनफर्टिलिटी इलाज में लाभकारी मानी जा सकती है। आयुर्वेद के अनुसार, चंद्रप्रभा वटी के इस्तेमाल से महिलाओं में ओव्यूलेशन डिसऑर्डर का इलाज किया जा सकता है। इससे असंतुलित हुए थायराइड व अन्य हार्मोन को संतुलित किया जा सकता है और इंफर्टिलिटी के कारणों को दूर किया जा सकता है। 

3. कचनार गुग्गुल

इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक उपचार में एक नाम कचनार गुग्गुल का भी है। कचनार गुग्गुल विभिन्न औषधियों के मिश्रण से बनाई जाती है, जिसका मुख्य लाभ महिला के शरीर में हार्मोनल असंतुलन को बेहतर बनाने के लिए देखा जा सकता है। 

खासतौर पर अगर पीसीओएस के कारण महिला बांझपन की समस्या से परेशान है, तो बांझपन का इलाज करने के लिए कचनार गुग्गुल प्रभावकारी हो सकती है।

4. शतावरी

शतावरी का इस्तेमाल भी इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक उपचार में शामिल किया जा सकता है। शतावरी के सेवन से महिलाएं अपनी प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकती हैं और ओव्यूलेशन डिसऑर्डर का इलाज कर सकती हैं। इसके अलावा, शतावरी में एस्‍ट्रोजेन के गुण होते हैं, जो महिलाओं के अंडे को पोषण देने में मददगार हो सकता है। 

​5. गंभारी फल 

अध्ययनों के अनुसार, गंभारी फल (Verbenaceae) के अर्क में प्रोलैक्टिन स्राव को कम करने का प्रभाव होता है। इसके अलावा, यह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के सीरम स्तर को बढ़ा सकता है, जिससे यौन क्रिया में सुधार हो सकता है। 

इस वजह से गंभारी फल का इस्तेमाल न सिर्फ बांझपन का इलाज कर सकता है, बल्कि विभिन्न स्त्री रोग जैसे- मासिक धर्म की अनियमित व रजोनिवृत्ति की समस्याएं भी दूर कर सकता है। 

6. अश्वगंधा

बांझपन दूर करने के घरेलू टोटके में अश्वगंधा का इस्तेमाल भी शामिल किया जा सकता है। यह एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसका नाम काफी प्रचलित है व अक्सर इसके सेवन को प्राथमिकता भी दी जाती है। अश्वगंधा के इस्तेमाल से महिलाओं में पीसीओएस के लक्षण नियंत्रित किए जा सकते हैं। 

इसके अलावा, यह अविकसित सर्विक्स और यूट्रस की परेशानी भी कम कर सकता है। ऐसे में इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके में अश्वगंधा का इस्तेमाल भी लाभकारी हो सकता है।

8. हल्दी

इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके व उपचार
इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके व उपचार / चित्र स्रोतः फ्रीपिक

बांझपन का इलाज करने के लिए आयुर्वेदिक तौर पर हल्दी का सेवन भी किया जा सकता है। दरअसल, इसके लिए हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन यौगिक लाभकारी माना जा सकता है। करक्यूमिन यौगिक न सिर्फ हल्दी को पीला रंग देता है, बल्कि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो इंसुलिन प्रतिरोध को कम कर सकते हैं और पीसीओएस से जुड़ी परेशानियों को दूर करके बांझपन का इलाज कर सकते हैं। 

9. त्रिफला गुग्गुल

त्रिफला गुग्गुल, तीन अलग-अलग आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से मिलकर बना है, जिनमें शामिल हैः शुद्ध गुग्गुल यानी गुग्गुल के पेड़ का गोंद, त्रिफला चूर्ण और पीपल का चूर्ण। इन तीनों मिश्रणों के सेवन से बांझपन की आयुर्वेदिक दवा बनाई जा सकती है। 

त्रिफला गुग्गुल बंद हुए फैलोपियन ट्यूब, स्कार टिश्यू व पेल्विक फ्लोर में आई सूजन संबंधी बीमारियों का इलाज कर सकता है और महिलाओं में होने वाली इंफर्टिलिटी की परेशानी को दूर कर सकता है। 

10. पुत्रजीवक बीज

पुत्रजीवक बीज से न सिर्फ महिला इनफर्टिलिटी इलाज किया जा सकता है, बल्कि पुरुषों के नपुसंकता का उपचार भी किया जा सकता है। दरअसल, पुत्रजीवक बीज में प्रजनन संबंधी रोगों, शारीरिक व सेक्स कमजोरी को दूर करने का प्रभाव होता है। 

पुत्रजीवक बीज को अंग्रेजी में चाइल्ड लॉइफ ट्री, संस्कृत में यष्टीपुष्प, हिंदी में पुत्रजीव, गुजराती में पुत्रन जीव व नेपाली में पुत्रन्जीवा जैसे अलग-अलग नामों से ये जाने जाते हैं। 

वहीं, आमतौर पर इस औषधि से बांझपन दूर करने के घरेलू टोटके अत्यधिक प्रचलित हैं। इसके लिए माँ बनने में आ रही समस्याओं को दूर करने लिए महिलाएं इसके बीजों की माला या करधन पहनती हैं। 

11. मंजिष्ठा

बांझपन की आयुर्वेदिक दवा के तौर पर मंजिष्ठा का सेवन करना भी लाभकारी हो सकता है। मंजिष्ठा की खुराक से ग्रीवा में मौजूद बलगम व अशुद्धियों को बाहर निकाला जा सकता है। बता दें कि ग्रीवा बलगम (Cervical Mucus) अधिक होने से महिलाओं में बांझपन का जोखिम बढ़ सकता है। 

12. अल्‍फाल्‍फा

महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ाने के घरेलू उपाय व इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके के रूप में अल्‍फाल्‍फा का इस्तेमाल भी शामिल किया जा सकता है। अल्फाल्फा विटामिन ए, ई व डी के साथ ही विभिन्न मिनरल से समृद्ध होता है, जो शरीर में एस्‍ट्रोजन के स्‍तर को बढ़ा कर बांझपन का इलाज कर सकता है। 

इसके अलावा, अल्फाल्फा में पाचक एंजाइम भी पाए जाते हैं, तो शरीर में हार्मोन के लेवल को संतुलित बनाए रखने में मददगार हो सकते हैं और शारीरिक कमजोरी भी दूर कर सकते हैं। 

13. सिंहपर्णी

सिंहपर्णी के जरिए भी इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक उपचार किए जा सकते हैं। अगर महिला में बांझपन की समस्या शारीरिक कमजोरी या खराब जीवनशौली के कारण हैं, तो सिंहपर्णी का सेवन स्त्री बीज बढ़ाने के उपाय में प्रभावकारी हो सकते हैं। सिंहपर्णी के सेवन से हार्मोन में एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ाया जा सकता है और गर्भ धारण करने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक तरीके कई हैं। पर ध्यान रखें कि इनमें से किसी भी इंफर्टिलिटी के आयुर्वेदिक उपचार अपनाने से पहले डॉक्टर की राय जरूर लें। एक बात का और ध्यान रखें कि घरेलू तौर पर बांझपन का इलाज करने के लिए ही इन उपायों को अपनाया जा सकता है। इसके साथ ही, महिला के दैनिक आहार व स्वास्थ्य की उचित निगरानी भी करनी चाहिए।

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