4 Aug 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
Medically reviewed by
Dr Pooja Marathe
माँ होना आसान नहीं है। पहले नौ महीने शिशु को गर्भ में रखना और फिर डिलीवरी के बाद उसका हर तरह से ख्याल रखना। इस दौरान सबसे बड़ा दायित्व होता है बच्चे को स्तनपान कराना। लेकिन स्तनपान के दौरान महिला को ढेरों परेशानियों से होकर गुजरना पड़ता है। आज इस लेख में हम उन्हें समस्याओं की बात कर रहे हैं, जिनसे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिला जूझती है।
लैक्टेशन और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट, डॉक्टर पूजा मराठे बताती हैं कि स्तनपान कराने वाली मां के स्तन में दर्द के ज्यादातर मामले गलत स्तनपान तकनीकों के कारण होते हैं। एक आम समस्या बच्चा का ठीक से दूध चूस न पाना भी है, जिसे लैचिंग कहते हैं। ठीक से लैचिंग न होने के कारण निप्पल में चोट लग जाती है, लेकिन स्तन का दूध खाली नहीं होता।
इन दोनों ही कारणों से स्तनपान के दौरान दिक्कत होती है। बाद में इनके चलते स्तन संक्रमण, प्लग्ड डक्ट जैसी शिकायतें होती हैं। इन सबके बारे में हम आगे विस्तार से बता रहे हैं। इन आम स्तनपान से जुड़ी दिक्कतों का जिक्र नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) यूके ने भी अपनी वेबसाइट पर किया है।
निप्पल में दर्द होना या उनका क्रैक पड़ना स्तनपान के दौरान परेशानी को बढ़ा देता है। यह अधिकतर बच्चे का ठीक से स्तनों से सटा न होने या उसकी पूरी पोजीशन गलत होने के कारण हो सकता है। इसके लिए आप निप्पल में ऑर्गेनिक और पूरी तरह सेफ निप्पल क्रीम लगाएं। अगर अच्छी निप्पल क्रीम नहीं मिल रही है, तो आप शुद्ध ऑर्गेनिक नारियल तेल भी निप्पल में लगा सकती हैं।
डिलीवरी के दो-तीन दिन तक पर्याप्त मात्रा में माँ का दूध स्तन में नहीं उतरता है। शिशु की जरूरत के अनुसार, स्तन में दूध आने में थोड़ा वक्त लगता है। दूध की आपूर्ति बढ़ाने के लिए आप शिशु को बारी-बारी दोनों निप्पल से दूध पिलाती रहें और शिशु से स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट बनाए रखें। दूध स्तनों में कम होने के कारण लैचिंग के समय आपको स्तन में दर्द महसूस हो सकता है।
स्तन का भरना वह स्थिति है, जिसमें दोनों स्तनों में अधिक मात्रा में दूध उतर जाता है। इससे ब्रेस्ट काफी टाइट, दूध से भरे हुए लगते हैं। इसके कारण उसके स्तन कठोर, खिंचाव वाले और दर्दभरे महसूस हो सकते हैं। स्तनों में दूध का इकट्ठा होना प्रसव के शुरुआती दिनों में हो सकता है, जब आपका शिशु स्तनपान करना सीख रहा होता है। इसके अलावा, यह तब भी होता है, जब शिशु बढ़ा हो जाए, लेकिन नियमित स्तनपान नहीं कर रहा हो।
स्तनपान करना और कराना कौशल है। इसे माँ और शिशु दोनों को सीखना होता है। इसे समझने के लिए समय भी लगता है। इसी वजह से जब शुरुआती दिनों में शिशु ठीक से दूध नहीं पी पाता, उसके कारण भी दिक्कत होती है।
कभी-कभी महिलाओं के स्तन में बहुत अधिक दूध बनने लगता है। इसके चलते सिर्फ माँ ही नहीं, बल्कि शिशु को भी दिक्कत होती है। बच्चे को दूध की अधिक मात्रा को संभालने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में पोजीशन को बदलना चाहिए, ताकि एकदम बहुत सारा दूध बेबी के मुंह में न जाए।
निप्पल की स्किन के फटने व क्षतिग्रस्त होने के चलते कई बार थ्रश इंफेक्शन हो जाता है। इसके चलते थ्रश इंफेक्शन का कारण बनने वाले कैंडिडा फंगस निप्पल से स्तन तक जा सकते हैं। थ्रश इंफेक्शन की आशंका लगते ही डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर लंबे समय तक स्तन में मौजूद दूध पूरी तरह से नहीं निकलता है, तो एंगर्जमेंट (engorgement ) होता है। मतलब स्तन भारी और कठोर लगते हैं। इसके चलते दूध वाहिकाएं यानी मिल्क डक्ट में ब्लॉकेज हो जाता है, जिससे ब्रेस्ट में एक छोटी व कोमल गांठ महसूस हो सकती है। शिशु को बार-बार दूध पिलाना व ब्रेस्ट पंप से दूध निकाल देने से इसमें मदद मिलेगी।
मास्टाइटिस का मतलब है स्तन की सूजन। यह दिक्कत तब होती है, जब अवरुद्ध दूध वाहिनी यानी ब्लॉक मिल्क डक्ट से राहत नहीं मिलती। यह स्तन को गर्म और दर्दनाक महसूस कराता है और फ्लू जैसे लक्षणों के साथ बहुत अस्वस्थ महसूस कराता है। इस स्थिति में बच्चे को स्तनपान कराना बंद न करें।
जब मास्टाइटिस का इलाज नहीं होता या स्तन के दूध को पूरी तरह निकालने से भी आराम नहीं मिलता, तो ब्रेस्ट एब्सिस हो जाता है। इस संक्रमण का कारण स्तन में जमने वाला दर्दनाक मवाद होता है। इसे निकालने के लिए ऑपरेशन की जरूरत पड़ सकती है।
रिसर्च बताते हैं कि करीब 10 में से एक बच्चे की जीभ के तल में मौजूद त्वचा की पट्टी (फ्रेनुलम) सामान्य से छोटी होती है। इसे टंग टाई कहा जाता है। कुछ बच्चे को टंग टाई से कोई परेशानी नहीं होती। मगर कुछ बच्चे टंग टाई के कारण सही से ब्रेस्टफीड नहीं कर पाते हैं। हालांकि, इसका इलाज बड़ी आसानी से हो जाता है।
निप्पल में व्हाइट डॉट नजर आएं, तो वो मिल्क ब्लब या मिल्क ब्लिस्टर हो सकता है। यह मिल्क डक्ट के ऊपर त्वचा की परतों के बनने और उसके पीछे दूध फंसने के कारण होता है। यह ऐसा लगता है कि मानो निप्पल में रेत का एक बड़ा दाना या कांच का एक टुकड़ा फंस गया है
वासोस्पाज्म तापमान में अचानक परिवर्तन के कारण होता है। दरअसल, दूध पीने के बाद निप्पल को बच्चे के गर्म मुंह से ठंडी हवा में आता है, जिसके कारण निप्पल सफेद दिखने लगते हैं और तेज दर्द हो सकता है। ऐसा अचानक निप्पल में ब्लड फ्लो होने से होता है। इसके लिए निप्पल पर एक गर्म नम कपड़ा लगाएं या जैतून के तेल से मालिश करें।
काफी बच्चे अपने मसूड़ों व दांतों से स्तन का दूध खींचने की कोशिश करते हैं। इसी दौरान वो स्तन को बाइट करते हैं। जब भी बच्चा ऐसा करे उसे अपने स्तन से दूर करने के बजाए और करीब लाएं। इससे वो दांत कांटना छोड़ देते हैं। साथ ही इसके लिए सतर्क रहने की भी जरूरत है। जब भी लगे कि बच्चा ब्रेस्ट को काटने वाला है, तो उसके मुंह के कोने में एक उंगली डालने के लिए तैयार रखें। ऐसा करके आप उसे स्तन को काटने से रोक सकती हैं।
आपको भी स्तनपान के दौरान इनमें से किसी भी समस्या का सामना करना पड़ता है, तो तुरंत स्तनपान विशेषज्ञ से संपर्क करें। इससे दर्द भरे निप्पल, स्तनों में भारीपन, थ्रश, मिल्क डक्ट का ब्लॉक होना, आदि शिकायतों को कम किया जा सकता है।
चित्र स्रोत – Pexels
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