22 Aug 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओडी (Polycystic ovary syndrome) एक ऐसा हेल्थ प्रॉबल्म हैं जो 10 में से 1 महिला को होता है। पीसीओएस के मरीजों में हॉर्मोनल असंतुलनता और मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याएं होती हैं, जिसका असर पूरे स्वास्थ्य पर पड़ता है। पीसीओएस के कारण इनफर्टिलिटी या बांझपन की समस्या ज्यादा होती है, लेकिन खुशी की बात यह है कि पीसीओडी में प्रेगनेंसी संभव है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओएस प्रजनन हार्मोन अंतुलन के कारण होता है। पीसीओएस के कारण अंडाशय के काम में बाधा उत्पन्न होता है। असल में पीरियड्स या मासिक धर्म चक्र के दौरान अंडा बनता है। लेकिन पीसीओडी में प्रेगनेंसी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि अंडा विकसित नहीं हो पाता है। यानि ओव्यूलेशन के दौरान जो अंडा रिलीज होता है, वह सही तरह से नहीं हो पाता है।
पीसीओएस एक ऐसा कंडिशन है जहां अंडाशय पुरुष हार्मोन (एण्ड्रोजन) का सामान्य स्तर से अधिक उत्पादन करता है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार के होते हैं-
आप सोच रहे होंगे कि आखिर पीसीओडी कैसे होता है, है न! पीसीओएस होने के सही कारण के बारे में अभी भी अध्ययन के द्वारा कोई प्रमाण नहीं मिला है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके पीछे कई फैक्टर हैं-
अब सवाल यह आता है कि क्या पीसीओडी में प्रेगनेंसी संभव ही नहीं है? लेकिन इस मामले में निराश होने की जरूरत नहीं है। प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ, सेक्सोलॉजिस्ट और कॉस्मेटोलॉजिस्ट डॉ. रितु संतवानी की सलाह है कि हेल्दी लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज, हेल्दी डाइट, वेट कंट्रोल, स्ट्रेस आदि कम करने से पीसीओडी में प्रेगनेंसी पूरी तरह से संभव है।
पीसीओडी में प्रेगनेंसी संभव बनाने के लिए कुछ स्टेप्स है, जिनको फॉलो करने पर पीसीओडी में जल्दी प्रेगनेंट हो सकते हैं।
वजन को कंट्रोल करना: अगर प्रेगनेंसी का प्लान है तो वजन और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को डॉक्टर से चेक करवा लें। अगर वजन ज्यादा हो तो कितना कम करना है इसके बारे में प्रेगनेंट होने से पहले डॉक्टर से बात करके कम कर लें।
ओव्यूलेशन कैलेंडर या ऐप का इस्तेमाल: पीरियड्स होने पर ओव्यूलेशन का पता लगाने के लिए ओव्यूलेशन कैलेंडर या ऐप का इस्तेमाल करें। इससे आपको पता लगेगा कि महीने के कितने दिनों में आपके गर्भवती होने की संभावना अधिक है।
ब्लड शुगर के लेवल की जाँच करें: प्रेगनेंसी में ब्लड शुगर का लेवल नॉर्मल रहना बहुत जरूरी है। इसलिए प्रेगनेंट होने के पहले ब्लड शुगर की जाँच जरूर करवा लें।
पीरियड्स को रेगुलर करें: अनियमित मासिक धर्म को नियमित करने के लिए अक्सर डॉक्टर गर्भनिरोधक गोलियाँ या बर्थ कंट्रोल पिल्स देते हैं ताकि एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टिन को संतुलित किया जा सके। इन पिल्स से एण्ड्रोजन का उत्पादन कम होने के साथ मासिकधर्मचक्र नियंत्रित होता है। इससे पीसीओडी में जल्दी प्रेगनेंट होने की संभावना (Pcod pregnancy in hindi) बनती है।
अगर आप बर्थ कंट्रोल पिल बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं तो डॉक्टर सिर्फ प्रोजेस्टिन (Progestin) पिल लेने की सलाह दे सकते हैं। एक दो महीने इस दवा को लेने से पीरियड रेगुलर होने लगता है।
पीसीओडी में प्रेगनेंट होने या ओव्युलेशन के लिए दवा:
क्लोमोफिन (Clomiphene): एंटी-एस्ट्रोजन दवा है, इसे मासिक धर्मचक्र के शुरूआत में लेना चाहिए।
यदि क्लोमीफीन ओव्यूलेशन में मदद नहीं करता है, तो आपको डायबिटीज की दवा मेटफॉर्मिन लेने के लिए कहा जा सकता है।
यदि क्लोमीफीन और मेटाफोर्मिन काम नहीं करता है, तो डॉक्टर एक ऐसी फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (FSH) और एक ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) लेने के लिए कह सकते हैं। आपको यह दवा एक शॉट में मिल जाती है।
लेट्रोजेल (फिमारा): एक दूसरी दवा है लेट्रोजेल, यह ओव्युलेशन में मदद करता है।
पीसीओडी में डाइट (पीसीओडी diet) :
डाइट का पीसीओएस या पीसीओडी के लक्षणों को मैनेज करके फर्टिलिटी की क्षमता बढ़ाने में अहम भूमिका होता है। एंटी-इंफ्लामेटोरी डाइट पौष्टिकता प्रदान करने के साथ-साथ हॉर्मोन और ब्लड शुगर के लेवल को संतुलित करता है। एंटी-इंफ्लामेटोरी डाइट में शामिल होता है-
फोलिक एसिड का सेवन करें: डॉक्टर से सलाह लेकर फोलिक एसिड का सेवन करें। इससे पीसीओडी में प्रेगनेंट होने की संभावना बढ़ती है।
आशा करते हैं कि पीसीओडी में प्रेगनेंसी क्या संभव हैं, इस सवाल का जवाब अब तक के चर्चा से आपको मिल गया होगा। आपके ऐसे ही सवालों का जवाब पाने के लिए देश की नंबर वन पेरेंटिग एप बेबीचक्रा के साथ जुड़े रहें।
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