7 Mar 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
सपना किसी को भी आ सकता है, जो कभी अच्छा, तो कभी बुरा या डरावना भी हो सकता है। इसे बेहद सामान्य भी माना जाता है। हर तरह के सपनों का एक मतलब भी बताया जाता है, लेकिन जब बात हो गर्भावस्था के दौरान बुरे सपने आने की, तो यह सबको चिंता में डाल सकता है। कई बार प्रेग्नेंसी में बुरे सपने आना, गर्भवती महिला के लिए एक खराब अनुभव हो सकता है, इस वजह से मानसिक रूप से वह काफी डर भी जाती है।
ऐसे में गर्भावस्था में बुरे सपने आना क्या है या इसका अर्थ क्या है, इस पर परेशान होने के बजाए यह समझने पर जोर देना चाहिए कि गर्भावस्था में खराब सपने आना सामान्य हैं या नहीं? इसी विषय में आपकी मदद करने के लिए हमनें यहां पर जानकारी दी है।
जी हां, हम यह कह सकते हैं कि गर्भावस्था में बुरे सपने आना बेहद सामान्य माना जा सकता है। इसकी वजह है अपनी गर्भावस्था, शिशु के स्वस्थ विकास व मातृत्व को लेकर महिला का हमेशा चिंता करते रहना। अगर कोई गर्भवती महिला इसके प्रति बहुत ज्यादा सोचती है या चिंता करती है, तो इससे उसमें तनाव हो सकता है, जिस वजह से सोते समय उसे डरावने व खराब सपने आ सकते हैं।
अन्य अध्ययनों की मानें, तो प्रेग्नेंसी में बुरे सपने आना गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में सबसे अधिक हो सकता है। रिसर्च में पाया गया है कि प्रेग्नेंसी की अंतिम तिमाही के दौरान महिलाओं को सिर्फ एक ही सप्ताह में एक या उससे अधिक बार बुरे सपने आ सकते हैं। वहीं, कुछ महिलाएं एक महीने में सिर्फ एक या दो बार ही बुरे सपने देख सकती हैं। हालांकि, इन दोनों ही मामलों में लगभग 10% महिलाओं को गर्भपात, शिशु की मृत्यु होने जैसे भयावह सपने ही अधिक आ सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में बुरे सपने आना निम्नलिखित कारणों की वजह से हो सकते हैं, जैसेः
गर्भावस्था के दौरान महिला कई तरह के शारीरिक व हार्मोनल बदलाव से गुजरती रहती है। इससे प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में असंतुलन हो सकता है, जिससे महिला के मानसिक स्थिति में बदलाव हो सकता है। इस तरह के बदलाव गर्भवती के मानसिक स्तर को भी प्रभावित कर सकते हैं। वहीं, एक अन्य अध्ययन बताता है कि इस दौरान प्रोजेस्टेरोन का बढ़ा स्तर बीती बातों को याद दिला सकता है।
इतना ही नहीं, ये हार्मोनल बदलाव मानसिक भावनाओं में सकारात्मक व नकारात्मक दोनों ही बदलाव ला सकते हैं। ऐसे में प्रेग्नेंसी में बुरे सपने आना, गर्भवती के शारीरिक व मानसिक स्तर में हो रहे बदलावों की वजह से भी हो सकता है।
घर में नए शिशु के आने की खबर से उत्साह का माहौल काफी होता है, लेकिन कहीं न कहीं गर्भवती महिला को बच्चे के अच्छे सामाजिक विकास की चिंता हो सकती है। अध्ययन बताते हैं कि खास तौर पर पहली बार गर्भवती होने वाली में इस तरह की चिंता अधिक देखी जा सकती है, जो मेटर्नल मेंटल रिप्रजेंटेशन (MMR) यानी मातृत्व संबंधी मनोस्थिति को बढ़ा सकते हैं।
इसकी वजह से गर्भवती महिला को दिनभर अपने शिशु के अच्छे उम्र, अच्छे जीवन, अच्छे रोजगार व अच्छी शिक्षा जैसी स्थितियां सता सकती हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान लगभग 39-54% गर्भवती महिलाएं नींद की खराब गुणवत्ता का अनुभव कर सकती हैं, जिसका सीधा असर गर्भावस्था के दौरान बुरे सपने आने के जोखिम को बढ़ा सकता है। दरअसल, गर्भ में बढ़ते शिशु व पेट के बढ़ते आकार की वजह से महिला को पहले की तरह सोने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में इस दौरान उसे हमेशा अपने सोने कि स्थिति का ध्यान रखना चाहिए, ताकि गर्भावस्था में नींद की खराब गुणवत्ता को अच्छा बनाया जा सके।
यह भी बता दें कि प्रेग्नेंसी के तीसरे चरण में रैपिड आई मूवमेंट (REM) की समस्या भी अधिक देखी जा सकती है। इसकी वजह से जागने पर भी सपने याद रह सकते हैं। ऐसे में प्रेग्नेंसी में बुरे सपने आना खराब नींद की वजह से भी हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान अक्सर 15% महिलाओं में एंग्जायटी, तनाव व अवसाद जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। इसकी वजह है शिशु व मातृत्व के प्रति लेकर उनका बढ़ता हुआ डर हो सकता है। यही वजह है कि गर्भावस्था में बुरे सपने आना मानसिक रूप से परेशान रहने का भी एक लक्षण हो सकता है। अध्ययन भी यह बताते हैं कि अगर मन में खराब विचार आते हैं, तो सोते समय ऐसी महिलाओं को चिंता हो सकती है और बुरे सपने आ सकते हैं।
अगर कोई महिला अपनी गर्भावस्था के दौरान एंटीडिप्रेसेंट, एंटीमाइक्रोबियल या एंटीहाइपरटेन्सिव्स जैसी अन्य दवाओं का सेवन करती है, तो सोते समय गर्भावस्था के दौरान बुरे सपने आने की संभावना बढ़ सकती है।
प्रेग्नेंसी के तीनों चरणों में महिला को अलग-अलग सपने आ सकते है। वो सपने किस तरह के होते हैं, जानने के लिए यहां पढ़ें प्रेग्नेंसी में आने वाले आम सपने :
गर्भावस्था के दौरान बुरे सपनों से बचाव कैसे कर सकती हैं या गर्भावस्था में बुरे सपने आना कम कैसे किया जा सकते है, इसके लिए बताए जा गए टिप्स पढ़ें।
कम नींद की वजह से गर्भवती महिला को तनाव व अवसाद हो सकता है, जो उसके भावनात्मक स्तर को प्रभावित करके बुरे सपने आने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में रोजाना पर्याप्त नींद लें।
जब भी कोई बुरा या अच्छा सपना आए, तो उसे अपने पति, परिवार के सदस्यों व अन्य करीब लोगों के साथ शेयर करें। उनके साथ सपनों को शेयर करने से मानसिक मनोबल को बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिससे गर्भावस्था के दौरान बुरे सपने आने के जोखिम कम हो सकते हैं।
जितना हो सके खुद को पॉजिटिव रखें और मन में हमेशा अच्छे ख्याल लाएं। इसके लिए आप किसी पसंदीदा जगह पर घूमने जा सकती हैं या किसी हॉबी से जुड़े कार्य में भी खुद के व्यस्त रख सकती हैं।
अपनी शारीरिक क्षमता व सुविधा के अनुसार रोजाना एक्सरसाइज करें। एक्सरसाइज करने से शरीर भी हेल्दी रहेगा और तनाव भी कम किया जा सकता है।
अपना भी ख्याल रखें। अपनी जरूरतों को समझें और उसे पूरा करने पर ध्यान दें। दिन भर में कोई एक काम ऐसा जरूर करें जिसे करने से आपके मन को खुशी मिले।
गर्भावस्था में बुरा सपना आना कम करने के लिए एक उपाय यह भी है कि इसके पीछे के कारण को समझें। इसके लिए किसी मनोविशेषज्ञ की मदद भी ले सकती हैं।
इमेजरी रिहर्सल थेरेपी (Imagery Rehearsal Therapy) एक तरह की थेरेपी है, जिसमें विशेषज्ञों के द्वारा गर्भवती महिला को बुरे सपने आने के कारण व लक्षणों को समझा जाता है। फिर इसके आधार पर वे गर्भवती महिला को थेरेपी देते हैं। इससे गर्भावस्था में बुरे सपने आना बंद हो सकता है।
गर्भावस्था में बुरे सपने आना, यह कई वजहों पर निर्भर कर सकता है, इसलिए गर्भवती महिला को इससे परेशान नहीं होना चाहिए। अगर गर्भावस्था के दौरान बुरे सपने आने की स्थिति बढ़ने लगी है, तो उन्हें इस बारे में मनोविशेषज्ञ से बात करनी चाहिए। साथ ही, पती व परिवार के अन्य करीबी सदस्यों के साथ भी अपने सपनों के अनुभव को साझा करना चाहिए। ऐसा करने से उनका भावनात्मक सपोर्ट बढ़ सकता है और मन में बुरे ख्याल आने भी कम हो सकते हैं।
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