29 Jul 2022 | 1 min Read
Mona Narang
Author | 163 Articles
प्रेग्नेंसी के दौरान महिला कई सारे बदलावों से गुजरती है। जैसे स्किन संबंधित परेशानियां, बालों का झड़ना, ब्रेस्ट का साइज बढ़ना, आदि। इसके अलावा महिलाएं प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग्स का भी सामना करती हैं। इसकी वजह से वे कभी वो रोने लगती है, तो कभी किसी पर चिल्लाने लगती हैं, तो कभी बिना बात के उदास होकर बैठ जाती हैं। यह सब उन्हें काफी परेशान करता है।
इस लेख में प्रेगनेंसी में मूड स्विंग्स के कारण और लक्षण (Mood swings during pregnancy) के बारे में जानेंगे। साथ ही लेख के अंत में प्रेग्नेंसी के दौरान मूड स्विंग से बचाव के लिए एक्सपर्ट्स द्वारा शेयर की गई कुछ असरदार टिप्स आपसे शेयर कर रहे हैं।
कम्यूनिटी एक्सपर्ट, डॉक्टर पूजा मराठे बताती हैं, प्रेग्नेंसी के दौरान मूड स्विंग्स की शिकायत तीनों तिमाही में रहती है। लेकिन ज्यादातर महिलाओं को पहली तिमाही में छठे से दसवें सप्ताह के बीच मूड स्विंग्स का अनुभव होता है। मूड स्विंग के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को अचानक रोने का मन कर सकता है, तो कभी बिना बात गुस्सा आने लगता है, कुछ तनाव में रहने लगती हैं, तो किसी को चिड़चिड़ापन हो सकता है।
गर्भावस्था महिला के मूड में इतने बदलाव क्यों होते हैं, नीचे इसके संभाविक कारण बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
हार्मोन्स में बदलाव होना- गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में हार्मोंस के स्तर में काफी उतार चढ़ाव आता है (Pregnancy Hormones and Mood Swings in Hindi)। इसका असर उनके मस्तिष्क पर भी पड़ता है, जिस वजह से गर्भवती तनाव, उदास, चिड़चिड़ापन, चिंता व डिप्रेशन महसूस करती हैं।
पर्याप्त नींद न लेंना- प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के पूरी नींद लेनी चाहिए। नींद पूरी न होने से गर्भवती का व्यवहार चिड़चिड़ा हो सकता है। साथ ही उन्हें हर समय थकान महसूस हो सकती है।
शारीरिक बदलाव- कुछ महिलाओं में मूड स्विंग्स का कारण शरीर में होने वाले बदलाव हैं। कुछ महिलाएं बढ़ता हुआ वजन व हर दिन हो रही दिक्कतों से इतना परेशान हो जाती है, जिसका सीधा असर उनके मानसिक तनाव पर पड़ता है।
एंग्जायटी- कुछ महिलाएं माँ बनने के साथ आने वाली जिम्मेदारियों के लेकर, वहीं कुछ लेबर पेन के बारे में सोचकर और डिलीवरी के बाद पेट पर स्ट्रेच मार्क्स व टांकों के निशान आदि की वजह से चिंता करने लगती हैं। इसका असर उनके मूड को प्रभावित करता है और मूड स्विंग्स का कारण बनता है।
मॉर्निंग सिकनेस- ज्यादातर महिलाएं पहली तिमाही के दौरान उल्टी व जी मिचलाने की शिकायत से परेशान हो जाती हैं। कुछ महिलाओं में मॉर्निंग सिकनेस के कारण मूड स्विंग्स हो सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में मू़ स्विंग्स (Mood swings during pregnancy) की समस्या से कैसे निपटा जा सकता है, नीचे इसके लिए कुछ बेहतरीन टिप्स साझा कर रहे हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान मूड स्विंग्स को मैनेज करने को लेकर कम्यूनिटी एक्सपर्ट, डॉक्टर पूजा मराठे ने बताया कि गर्भवती को भरपूर नींद लेनी चाहिए। इससे न सिर्फ गर्भवती का मूड बेहतर होता है बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रेग्नेंसी में वॉक पर जाना, योग व एक्सरसाइज के जरिए खुद को एक्टिव रखें। इससे मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक हार्मोन उत्तेजित होता है, जो तनाव को दूर करने में मदद करता है। बता दें सेरोटोनिन हार्मोन को हैप्पी हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। ध्यान रखें, यदि आप एक्सरसाइज या योग करती हैं, तो एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें।
कुछ गर्भवती शरीर में हो रहे बदलावों को स्वीकार नहीं पाती हैं और इसके बारे में सोच-सोच कर खुद को तनाव में गिरफ्त कर लेती हैं। इससे उनका व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है, जिसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए, सबसे पहले आपको समझना होगा कि आप एक खूबसूरत जर्नी का हिस्सा हैं। आपके अंदर आपका और आपके पार्टनर का बेबी बन रहा है। इस चीज को महसूस करें और हर बदलाव को इस जर्नी की सीढ़ी समझ उसे खुली बांहों से स्वीकार करें। हर हाल में अपनी बॉडी से प्यार करें।
प्रेग्नेंसी की जर्नी के दौरान पति-पत्नी एक दूसरे के पहले से ज्यादा करीब आ जाते हैं। इन खूबसूरत पलों को यादगार बनाने के लिए पार्नटर के साथ ट्रिप प्लान करें। अगर बाहर नहीं जा सकती हैं, तो वीकेंड पर आउटिंग पर जाएं। कैंडल लाइट डिनर पर जाएं। कभी-कभी एक दूसरे के फ्रेंड्स के साथ टाइम स्पेंड करें। पार्टनर के साथ अपने मैटरनिटी वियर की शॉपिंग करने जाएं। खुश रहें और पार्टनर संग अपने कनेक्शन को मजबूत बनाएं।
कोई बात परेशान कर रही हैं, तो उसे लेकर खुद में परेशान होकर स्ट्रेस बढ़ाने से अच्छा है किसी अपने के साथ शेयर करना। दिमाग में आ रही नकारात्मक भावनाओं को खुद पर हावी न होने दें। इसके बारे में अपनी माँ, पार्नटर, बेस्ट फ्रेंड, जिसके साथ आप कंफर्टेबल महसूस करें, उनसे शेयर करें। वो आपको समझेंगे और आपकी परेशानी का हल ढूंढ कर देंगे।
प्रेग्नेंसी में क्रेविंग्स होना सामान्य है। लेकिन आपके लिए क्या सही है यह आपको तय करना है। कई बार क्रेविंग्स के लिए शुगर या कार्ब्स लेना गलत नहीं है। लेकिन जल्दी-जल्दी ऐसा हो रहा है तो ऐसे में हेल्दी और पोषक तत्वों से भरपूर चीजों से अपनी क्रेविंग्स को शांत करें। कभी भी मील स्किप न करें।
कुछ महिलाएं हर लक्षण को गूगल कर जानकारी जुटाने लगती हैं। इसके चलते कई बार वे बेवजह तनाव की शिकार हो जाती हैं। अगर आपको कुछ भी आसामान्य लक्षण नजर आता है, तो इसे लेकर गूगल करने की बजाय डॉक्टर से बात करें।
उम्मीद करते हैं लेख में दिए गए टिप्स प्रेग्नेंसी के दौरान मूड स्विंग्स को मैनेज करने में सहायक होंगे। अगर आप दिन-ब-दिन तनाव की गिरफ्त में आ रही हैं और चाहकर भी आपका आपके इमोश्नस पर कंट्रोल नहीं है तो ऐसी स्थिति में काउंसलर से चर्चा करना बेहतर होगा।
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