13 Mar 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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यदि आप प्रेगनेंट हैं या उम्मीद से हैं तो हो सकता है, जैसे-जैसे बच्चा पेट में बड़ा हो रहा है, आपको सोने पर अच्छी तरह से नींद नहीं आ रही है। लगभग तीन-चौथाई महिलाओं का प्रेगनेंसी के दौरान थकान के कारणों में सही तरह नींद नहीं आना होता है। इस अवस्था को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (OSA) कहा जाता है और जितनी जल्दी हो सके ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया टीट्रमेंट की जरूरत होती है। आपके जानकारी के लिए बता दें कि, इस अवस्था का असर प्रेगनेंसी और गर्भस्थ शिशु दोनों पर होता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (OSA) है क्या और यह किस तरह से यह प्रेगनेंसी को प्रभावित करता है तो टेंशन मत लीजिए हम आगे इसके बारे में विस्तार से बताएंगे कि स्लीप एप्निया क्यों होता है और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया का ट्रीटमेंट कैसे होता है।
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें सोते समय सांस बार-बार रुक जाती है, जिससे अच्छी तरह से नींद लेने में बाधा उत्पन्न होता है।
यह तब होता है जब महिला का ऊपरी वायुमार्ग – यानि कि जीभ और नरम तालू का बेस – या तो आंशिक रूप से या पूरी तरह से ब्लॉक हो जाता है या रात के दौरान कोलैप्स हो जाता है, जिससे सांस 10 सेकंड या उससे अधिक समय तक रुक जाती है।
ऐसा रात भर में सैकड़ों बार होता है। इस प्रक्रिया के बाद जब सांस फिर से शुरू होती है, तो आप जोर से खर्राटे ले सकते हैं या यहां तक कि हांफ भी सकते हैं या आपकी नींद में घुटन महसूस हो सकती है।
विश्वसनीय स्रोतों के अनुसार विशेषकर प्रेगनेंसी में अगर सही समय पर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया ट्रीटमेंट नहीं हुआ तो हाई ब्लड प्रेशर और जेस्टेशनल डायबिटीज होने का खतरा रहता है। रिसर्च के अनुसार-
-लेबर पेन देर तक होना।
-बिना प्लान के सिजेरियन डिलीवरी होना।
-प्रिक्लेम्प्शिया, जो ऑर्गन इंजरी, स्टिलबर्थ और मृत्यु का कारण बन सकता है।
-ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम, एक ब्रीदिंग डिसऑर्डर है, जिसके कारण रक्त में बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड और पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं होता है।
जैसा कि आप जानते ही हैं कि स्लीप एपनिया से सांस लेने में समस्या होती है, जिसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा रहता है। इसके कारण ब्लड वेसेल्स में बदलाव हो सकता है, यानि कि हार्ट द्वारा पंप किए गए ब्लड की मात्रा कम हो जाती है। इसके कारण बेबी के शरीर में ऑक्सीजन की लेवल में गिरावट आ सकती है।
इसके कारण बेबी हार्ट रेट ड्रॉप कर सकता है, या एसिडोसिस (Acidosis) हो सकता है। इसके अलावा फेटल ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन हो सकता है, इस कंडिशन में बेबी का ग्रोथ गर्भाशय में जितना होना चाहिए, उतना नहीं हो पाता है। फलस्वरूप बेबी जेस्टेशनल एज से छोटा हो जाता है।
प्रेगनेंसी के दौरान नींद में बाधा उत्पन्न होने पर, हॉर्मोन जो रिलीज होता है उसके मात्रा में कमी आती है, इससे न सिर्फ ग्रोथ में बाधा उत्पन्न होती है, बल्कि शिशु सही तरह से विकसित भी नहीं हो पाता है। इन सबके कारण प्रीटर्म बर्थ का भी खतरा हो सकता है।
यह तो सच है कि रात भर सही तरह से नींद नहीं होने पर स्लीप एपनिया के कारण सुबह थकान और चिड़चिड़ा महसूस हो सकता है। इसके अलावा-
-दांतों का पिसना
-सूखा गला
-रात में दिल की धड़कन तेज होना
-सुबह सिरदर्द होना
-चिड़चिड़ापन
-सोते रहने में बहुत परेशानी होना
यदि प्रेगनेंसी के दौरान स्लीप एपनिया के लक्षण महसूस हो रहे हों तो जितनी जल्दी हो सके गायनाकॉलोजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर मुंह, नाक और गले की जाँच अच्छी तरह से करेंगे। उसके बाद वे स्लीप स्पेशालिस्ट को दिखाने की सलाह दे सकते हैं। स्लीप स्पेशालिस्ट सोते समय एयरफ्लो, सांस लेने का पैटर्न और रक्त में ऑक्सीजन के स्तर जैसी चीजों को मापने के लिए नींद अध्ययन – या पॉलीसोम्नोग्राफी कर सकते हैं। इस आधार पर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया ट्रीटमेंट बेस करता है।
सच तो यह है कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया ट्रीटमेंट, स्लीप एपनिया की गंभीरता और लक्षणों पर निर्भर करता है। डॉक्टर आपको एडहेसिव ब्रीदिंग स्ट्रिप्स के साथ शुरू करने की सलाह दे सकते हैं, जो सोते समय सांस लेने में आपकी मदद करने के लिए बंद नाक को खोले रखने में मदद करता हैं।
बंद नाक को खोले रखने में ये मदद कर सकते हैं-
स्लीप एपनिया के अधिक गंभीर मामलों में, वे इन चीजों की भी सिफारिश कर सकते हैं:
-स्लीप एपनिया पैच
-स्पेशल माउथपिस(जो दंत चिकित्सक द्वारा जबड़े को आगे और जीभ को एक अलग स्थिति में रखकर लगाया जाता है)
-कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर मशीन (CPAP) का इस्तेमाल
इसके अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव करने पर भी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया ट्रीटमेंट में मदद मिल सकती है-
एक्सपर्ट टिप्स- सच तो यह है कि अगर प्रेगनेंसी के पहले ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की कोई समस्या नहीं थी तो डिलीवरी के बाद स्लीप एपनिया की समस्या धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी। लेकिन इसके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान सनस्क्रीन का इस्तेमाल करके त्वचा को धूप के साइड इफेक्ट्स से बचा सकते हैं।
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