20 Feb 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
Author | 387 Articles
वैसे तो माँ को ही गर्भधारण करने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार माना जाता है। यह भी माना जाता है कि गर्भपात होने के कई संदिग्ध फैक्टर्स हैं जो माँ से ही संबंधित हैं। लेकिन सच तो यह है कि शुक्राणु या स्पर्म भी गर्भपात का कारण बन सकते हैं। कई मामलों में स्पर्म की क्वालिटी प्रेगनेंसी को प्रभावित करती है और मिसकैरेज के लिए जिम्मेदार हो सकती है।
वैसे तो माँ को ही गर्भधारण करने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार माना जाता है। यह भी माना जाता है कि गर्भपात होने के कई संदिग्ध फैक्टर्स हैं जो माँ से ही संबंधित हैं। लेकिन सच तो यह है कि शुक्राणु या स्पर्म भी गर्भपात का कारण बन सकते हैं। कई मामलों में स्पर्म की क्वालिटी प्रेगनेंसी को प्रभावित करती है और मिसकैरेज के लिए जिम्मेदार हो सकती है।
सच तो यह है कि गर्भपात का कोई एक कारण या स्पष्ट व्याख्या करना मुश्किल है। लेकिन किसी को बार-बार गर्भपात होता भी है तो उसको हेल्दी प्रेगनेंसी हो सकता है।
पहले का जमाने में गर्भधारण का सारा दारोमदार माँ को माना जाता था, लेकिन हाल के अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि स्पर्म क्वालिटी सफल गर्भावस्था के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। एब्नार्मल क्रोमोसोम से लेकर स्पर्म डीएनए फ्रेगमेंटेशन और लाइफस्टाइल प्रेगनेंसी के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि गर्भपात होने पर माँ के साथ-साथ पिता की भी जाँच बार-बार करनी चाहिए।
गर्भपात का प्रमुख कारण क्रोमोसोमल समस्याएं हो सकती हैं। क्योंकि एक विकासशील बच्चे के आधे गुणसूत्र यानि क्रोमोसोम पिता से आते हैं, यह संभव है कि वह गर्भावस्था में असामान्य गुणसूत्रों का योगदान कर सकता है।चार में से लगभग तीन गर्भपात गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान होते हैं। आमतौर पर, अगर पहली तिमाही के दौरान किसी महिला का गर्भपात होता है, तो यह माना जाता है कि बच्चे के गुणसूत्रों में कोई समस्या थी। लेकिन पिछले एक दशक में हुए कुछ शोध बताते हैं कि बार-बार होने वाले गर्भपात के कुछ मामलों का कारण पिता के शुक्राणु में एब्नॉर्मल क्रोमोसोम भी होते हैं।
कई अनुसंधानों से यह पता चला है कि स्पर्म क्वालिटी, डीएनए पर आधारित होता है, जिसको नुकसान पहुँच सकता है। इसी नुकसान को स्पर्म डीएनए फ्रेगमेंटेशन कहते हैं। एसडीएफ यानि स्पर्म डीएनए फ्रेगमेंटेशन कई कारणों से हो सकता है, इनमें सेल डेथ, एनवायरनमेंट टॉक्सिन्स, और बीमारी या बुखार प्रमुख होते हैं। जिन पुरूषों में इंफर्टिलिटी की समस्या होती है, उनके कारण भी महिला का बार-बार गर्भपात हो सकता है।
जब एक महिला गर्भवती होती है तो हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए महिला और पुरूष दोनों जिम्मेदार होते हैं। अगर पुरूष के अनहेल्दी लाइफस्टाइल यानि कि सिगरेट पीना, शराब पीना, पौष्टिकता की कमी, ज्यादा वजन आदि स्पर्म की क्वालिटी और काउंट पर असर डालते हैं तो उसका सीधा असर प्रेगनेंसी पर भी पड़ता है।
अनहेल्दी विकल्प कई फैक्टर्स को जन्म दे सकते हैं जो एक सफल गर्भावस्था की संभावना को कम करते हैं। इसमें शुक्राणु की गतिशीलता और जीवन शक्ति में कमी, शुक्राणुओं की कम संख्या और असामान्य आकारिकी (शुक्राणु का आकार) शामिल हैं। इससे शारीरिक नुकसान भी हो सकता है। शुक्राणु को कोई नुकसान प्रजनन क्षमता की समस्या पैदा कर सकता है और, यदि अंडा निषेचित हो जाता है, तो इससे गर्भपात भी हो सकता है।
एक्सपर्ट टिप्स: गर्भपात को रोकने के लिए यह भी जरूरी है कि महिला और पुरूष अपने हाइजीन का पूरी तरह से ख्याल रखें ताकि किसी प्रकार का इंफेक्शन होने का खतरा न रहें। इसके लिए दोनों को समय-समय पर हाथ धोते रहना चाहिए।
Handwash
साथ ही महिला को अपने इंटिमेट हाइजीन का ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स के बाद प्राइवेट पार्ट्स का इंटिमेट हाइजीन वाश से क्लिन करना चाहिए।
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