डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करें?

डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करें?

24 Apr 2019 | 1 min Read

Ankita Mishra

Author | 409 Articles

गर्भावस्‍था का चरण नौ महीनों का होता है। हालांकि, कुछ मामलों में प्रीटर्म लेबर यानी समय से पहले शिशु का जन्म भी देखा जाता है। इसके अलावा, डिलीवरी डेट निकल जानें के बाद भी शिशु का प्रसव लेट हो सकता है, ऐसे में  डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करे व क्या न करें, इसी से संबंधित जानकारी हम यहां दे रहे हैं। 

इस लेख में  डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करे (Post Term Pregnancy in Hindi), किस डॉक्टर पर जाएं और किसी तरह शिशु के प्रसव की तैयारियां करें, इसी से जुड़ी विस्तारपूर्वक जानकारी नीचे पढ़ें।

डिलीवरी डेट निकल जाने का मतलब – Post Term Pregnancy in Hindi

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि गर्भावस्था के नौ महीने पूरे होने के बाद भी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू नहीं होती है। इस कारण शिशु के प्रसव में नौ माह से अधिक का समय भी लग सकता है। वहीं, डॉक्टर गर्भवती महिला को जांच के दौरान ही उनके शिशु की डिलीवरी डेट बता देते हैं, जो आमतौर पर गर्भावस्था के बढ़ते चरणों व महिला के स्वास्थ्य के अनुसार बदल भी सकता है। 

डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करे
डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करे / चित्र स्रोतः अनस्प्लैश

इसके अलावा, डिलीवरी डेट निकल जाने का मतलब नीचे बताए गए बिंदुओं से भी समझा जा सकता हैः

  • अगर शिशु का जन्म गर्भावस्था के 37वें से 38वें हफ्ते के बीच होता है, तो इसे प्रीटर्म बर्थ कहते हैं।
  • अगर शिशु का जन्म गर्भावस्था के 39वें से 40वें हफ्ते के बीच होता है, तो इसे फुल टर्म बर्थ कहते हैं।
  • अगर शिशु का जन्म गर्भावस्था के 41वें से 42वें हफ्ते के बीच होता है, तो इसे लेट टर्म बर्थ कहते हैं।
  • वहीं, अगर शिशु का जन्म गर्भावस्था के 42वें हफ्ते के बाद होता है, तो इसे पोस्ट टर्म बर्थ (Post Term Pregnancy in Hindi) कहते हैं।

यानी अगर प्रेग्नेंसी के 39वें से 41वें हफ्ते के बीच तक शिशु का जन्म नहीं होता है (Overdue Delivery Pregnancy) या 41वें स्पताह के बाद शिशु का जन्म होता है, तो इसे ही डिलीवरी डेट निकल जाना कहा जाता है। इसे पोस्ट टर्म प्रेग्नेंसी या ओवरड्यू प्रेग्नेंसी कहते हैं। 

डिलीवरी डेट निकल जाए, तो क्या करते हैं डॉक्टर?

अगर गर्भावस्था के 41वें व 42वें हफ्ते के बाद भी शिशु का जन्म नहीं होता है या गर्भवती महिला को लेबर पेन शुरू नहीं होता है, तो यह चिंता का विषय हो सकता है। ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर कुछ जरूरी टेस्ट के परिणामों के आधार पर ऑपरेशन के जरिए शिशु को जन्म देने की सलाह भी दे सकते हैं। 

डिलीवरी डेट निकल जाने पर (Overdue Delivery Pregnancy) डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः

नॉन स्ट्रेस टेस्ट (एनएसटी) – Non Stress Test (NST)

डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करे, इसके लिए नॉन स्ट्रेस टेस्ट (एनएसटी) भी किया जा सकता है। इसके जरिए गर्भ में पल रहे भ्रूण की धड़कन और उसकी गतिविधियों की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। यह टेस्ट अल्ट्रासाउंड की ही तरह होता है, इसके करने के लिए किसी फ्लूइड टेस्ट या सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। 

कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (सीएसटी) – Contraction Stress Test (CST) 

कॉन्ट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट (सीएसटी) गर्भाशय के संकुचन की स्थिति की जांच करने के लिए की जाती है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि गर्भाशय के संकुचन का शिशु की हृदय गति पर किस तरह का प्रभाव पड़ रहा है। इस टेस्ट को करने के लिए कार्डियोटोकोग्राफ की जाती है। 

बायोफिजिकल प्रोफाइल टेस्ट (बीपीपी) – Biophysical Profile Test (BPP) 

बायोफिजिकल प्रोफाइल (बीपीपी) एक अल्ट्रासाउंड और नॉन स्ट्रेस टेस्ट है। यह तभी किया जाता है जब गर्भावस्था में संभावित खतरों के लक्षण नजर आते हैं। इस टेस्ट के जरिए गर्भ में भ्रूण के दिल की धड़कन, सांस लेने की दर, एमनियोटिक द्रव का स्तर व शिशु से जुड़ी अन्य गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है। 

पेल्विक चेकअप – Pelvic Exam

पेल्विक चेकअप के जरिए गर्भाशय ग्रीवा की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। इस टेस्ट से इसकी पुष्टि की जा सकती है कि शिशु के प्रसव के दौरान गर्भाशय ग्रीवा कितना फैल सकता है और कितना नहीं।

नोटः डिलीवरी डेट निकल जाने पर यहां बताए गए निम्नलिखित टेस्ट गर्भवती महिला की उम्र, गर्भावस्था के चरण व महिला के स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर किए जा सकते हैं। 

डिलीवरी डेट निकल जाने पर गर्भवती रखे ध्यान

डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करे, इससे संबंधित कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जा सकता है। यहां हम डिलीवरी डेट निकल जाने पर क्या करना चाहिए, इससे जुड़ी जरूरी बातें बता रहे हैं। 

1. शांत रहें 

अगर डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करे, इसके लिए सबसे पहले खुद को शांत रखें। ध्यान रखें ओवर ड्यू भी प्राकृतिक ही है। इसलिए, अगर ओवर ड्यू के दौरान गर्भवती महिला पूरी तरह से स्वस्थ्य महसूस करती है और गर्भ में बच्चे की हलचल भी सामान्य रहती है, तो अगले 2-3 दिनों का इंतजार किया जा सकता है।

2. देखभाल करें

डिलीवरी डेट निकल जाने पर क्या करना चाहिए, इसका एक आसान सुझाव है खुद की देखभाल करना। गर्भ में पल रहा बच्चा कितना स्वस्थ होगा, यह पूरी तरह से माँ की स्वास्थ्य परिस्थिति पर निर्भर कर सकता है। ऐसे में अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें। किसी भी तरह से लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से मिलें।

3. व्यस्त रहें

डिलीवरी की डेट निकल जाने पर क्या करें, इसके बारे में सोच रहे हैं, तो ध्यान रखें कि बच्चे कि डिलीवरी के लिए किसी तरह की जल्दबाजी में ऑपरेशन कराने का फैसला न लें। बल्कि, अगले कुछ दिनों तक खुद को सामान्य रूप में रखें और डिलीवरी से मन भटकाने के लिए खुद को मूवी देखने, दोस्तों से गपशप करने या किसी हॉबी को करने में व्यस्त रख सकती हैं।

4. बच्चे का कमरा सजाएं

डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करे
डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करे / चित्र स्रोतः अनस्प्लैश

ओवर ड्यू डेट की चिंता कम करने का सबसे आसान तरीका है बच्चे के रूप व पालने को सजाना। यानी घर में नए नन्हें मेहमान का स्वागत कैसे करना है, इसकी तैयारियां करना। इस दौरान बच्चे के नाम से लेकर, उसके पहने के कपड़े, डायपर, बेबी केयर प्रोड्क्ट आदि की भी शॉपिंग लिस्ट पूरी कर सकती हैं।

5. लेबर पेन के तरीकों पर ध्यान देना

लेबर पेन बच्चे के जन्म का संकेत देता है। वहीं, कई बार ओवरड्यू प्रेग्नेंसी की वजह से लेबर पेन नहीं शुरू होता है, ऐसे में लेबर पेन लाने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जा सकता है, जैसेः

  • डॉक्टर से बात करें। 
  • पेल्विक एक्सरसाइज करें।
  • हेल्दी आहार खाएं।
  • लेबर पेन शुरू न होने के कारणों पर अपने डॉक्टर से चर्चा करें।
  • पेल्विक को मजबूत बनाने के लिए मालिश करवाएं।
  • गर्भानाल की स्थिति की जांच करवाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या अवधि से अधिक समय की गर्भावस्था खतरनाक है?

हां, मात्र 4% शिशुओं का जन्म डयू डेट पर होता है। ऐसे में अगर ड्यू डेट के बाद भी बच्चे का जन्म नहीं होता है, तो घबराएं नहीं। 

क्या डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद भी गर्भावस्था जारी रहना सामान्य है?

हां, डिलीवरी डेट निकल जाने के बाद भी गर्भावस्था जारी रहना सामान्य है, लेकिन यह कितना सामान्य व स्वस्थ है, यह गर्भवती महिला के स्वास्थ्य स्थिति पर भी निर्भर कर सकता है।

कुछ शिशुओं का जन्म ड्यू डेट गुजर जाने के बाद क्यों होता है?

कुछ स्थितियों में ड्यू डेट निकल जाना खतरे का भी संकेत हो सकता है। अगर ड्यू डेट के बाद गर्भ में बच्चे की कोई हलचल नहीं होती है या माँ को रक्तस्राव होता है, तो खतरे का संकेत हो सकता है। साथ ही, यह गर्भ में शिशु को ऑक्सीजन न मिलना भी दर्शा सकता है।

यदि मेरी गर्भावस्था नियत तिथि के बाद भी जारी रहे तो क्या होगा?

41-42 हफ्ते की गर्भावस्था सामान्य मानी जा सकती है। इसलिए, गर्भावस्था नियत तिथि के बाद भी जारी रहे, तो घबराएं नहीं। अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

अगर मैं प्रेरित प्रसव न चाहूं तो डिलीवरी के और क्या विकल्प हैं?

अगर प्रेरित प्रसव नहीं चाहती और सामान्य डिलीवरी करना चाहती हैं, तो डॉक्टर की सलाह पर एक से दो दिन का और इंतजार करें या डॉक्टर की सलाह के अनुसार अन्य फैसला ले सकती हैं।

प्रसव शुरू होने के इंतजार में मैं कैसे समय बिताउं?

प्रसव शुरु होने के इंतजार में मैं कैसे समय बिताउं, यह एक बड़ा सवाल हो सकता है। इसके लिए गर्भवती महिला को फिल्म देखने, विंडो शॉपिंग करने व बच्चे के आगमन से जुड़ी तैयारियों के जरिए खुद को व्यस्त रख सकती हैं।  

एक बात का ध्यान रखें कि डॉक्टर द्वारा सुझाए गए ड्यू डेट बच्चे के जन्म का सिर्फ एक तरह का अनुमान ही होता है, जो बदल भी सकता है। ऐसे में अगर डिलीवरी की डेट निकल जाने पर क्या करें, इसके लिए शहर के ऑब्स्टट्रिशन एंड गयनेकोलॉजिस्ट की खोज करें और ओवर ड्यू डिलीवरी का कारण पता करें। 

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