13 Apr 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
बेबीचक्रा नई माँ को स्वास्थ्य की देखभाल के साथ ही पेरेंटिंग टिप्स से भरी जानकारियां भी साझा करता है। इसी कड़ी में हम माँ की जिम्मेदारी निभाने वाली मॉम्स के निजी अनुभवों को भी शेयर कर रहे हैं। इस लेख में हम अपनी न्यू मॉम्स और पेरेटिंग की जिम्मेदारी निभा रहीं मदर्स को अवंती पोशिरकर से रूबरू करा रहे हैं।
अवंती पोशिरकर वर्कहॉलिक के साथ ही दो बच्चों की जिम्मेदारी भी निभा रही हैं। इतना ही नहीं, ये अपने बच्चों के साथ सोशल मीडिया पर लोगों को इंफ्लूयंस भी करती हैं। तो चलिए जानते हैं अवंती पोशिरकर से उनके माँ बनने का सफर और उनका मदरहुड।
अवंती पोशिरकर (Avanti Poshirkar) की पेरेटिंग लाइफ, टिप्स व अनुभव जानने से पहले निजी तौर पर उनका परिचय भी जान लेते हैं।
मैंने साल 2016 में शादी की। इसके एक साल बाद 2017 में मैंने और मेरे पति ने बेबी प्लान कर लिया। मेरी पहली प्रेग्नेंसी पूरी तरह से प्लान्ड थी और इस दौरान मैं खुद के लिए व बेबी के हेल्थ के लिए बेहद सतर्क रहती थी। प्रेग्नेंसी में क्या खाना चाहिए, क्या नहीं खाना चाहिए, इन सब बातों का मैंने बेहद ध्यान रखा, जिसमें मुझे मेरे पति व मेरे डॉक्टर ने भी काफी मदद की।
अनप्लांड प्रेग्नेंसी किसी के भी साथ हो सकती है। यह पूरी तरह से नॉर्मल व नेचुरल है। मेरा मानना तो यह भी है कि अनप्लांड प्रेग्नेंसी भी खूबसूरत होती है। हां, वो बात अलग है कि प्लान की हुई गर्भावस्था को संभालना थोड़ा आसान होता है। जब मुझे मेरी अनप्लांड सेकेंड प्रेग्नेंसी की जानकारी हुई, तो इस बारे में मैंने मेरे पति व परिवार के सदस्यों से बात की। हमें शुरू से ही दो बच्चे चाहिए थे, लेकिन हम चाहते थे कि दोनों बच्चों के बीच 3 से 5 साल का ऐज गैप हो।
वहीं, मेरी दूसरी प्रेग्नेंसी पहले बेबी के 1 साल के बाद ही हो गई। यह थोड़ा मुश्किल जरूर था, लेकिन हमनें दूसरी गर्भावस्था के दौरान देखभाल की प्रक्रिया को पहली गर्भावस्था की तरह की आगे बढ़ाया और दूसरे बच्चे को भी नॉर्मल डिलीवरी के जरिए जन्म दिया।
मैं मेरी प्रेग्नेंसी से किसी तरह का समझौता नहीं चाहती थी। मैंने यह पहले ही सोच लिया था कि अपनी गर्भावस्था को स्वस्थ बनाए रखूंगी और नॉर्मल डिलीवरी से बच्चे को जन्म दूंगी। मेरी इस योजना में पेरेंटिंग व प्रेग्नेंसी केयर बुक्स के साथ ही, मेरे डॉक्टर ने भी मेरी मदद की।
गर्भावस्था के दिनों में मैं सिर्फ होममेड फूड खाती थी और जितना हो सकता था, जंक व फास्ट फूड से दूर रहती थी। मेरी प्रेग्नेंसी डाइट में कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए मेरे पति भी बेहद सजग रहते थे और हम साथ में मिलकर होममेड फूड बनाते थे।
इसके अलावा, मेरी गर्भावस्था को स्वस्थ बनाए रखने के लिए मैं नियमति रूप से स्कैवट एक्सरसाइज भी करती थी।
मुझे प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही नॉर्मल डिलीवरी चाहिए थी, तो मैंने दादर व माहिम के नॉर्मल डिलीवरी एक्सपर्ट डॉक्टर से परामर्श किया। जहां में रेगुलर चेकअप के लिए टाइम से जाती थी। हेल्दी होममेड फूड खाती और जरूरत के अनुसार एक्सरसाइज करती थी। अगर इन सब बातों का ध्यान रखा जाए, तो मुझे लगता है कि नॉर्मल डिलीवरी की संभावना अपने आप ही बढ़ सकती है।
नॉर्मल डिलीवरी से शिशु को जन्म देने में 12 से 24 घंटे तक का समय लग सकता है। मैं मेरे प्रसव के घंटों की बात करूं, तो मुझे लगभग 18 घंटों तक डिलीवरी पेन से गुजरना पड़ा था। मैंने इस दौरान प्रसव को बढ़ाने के लिए कोई दवा भी नहीं ली थी।
मुझे मेरे निजी जीवन के साथ ही, मेरा कामकाजी जीवन भी बेहद प्यारा है। यही वजह है कि मैंने पूरी गर्भावस्था यानी 9 महीनों तक ऑफिस का कामकाज भी संभाला, जिसे बताते हुए मुझे बेहद खुशी भी होती है। मैं यह कह सकती हूं कि प्रेग्नेंसी के दौरान मेरा वर्क लाइफ पूरी तरह से बैलेंस था।
मैं सामान्य दिनों की ही तरह प्रेग्नेंसी में भी हर दिन घर से ट्रैवल करके ऑफिस जाती और ऑफिस से ट्रैवल करके घर आती थी। जब मुझे लगा कि अब मेरा ड्यू डेट करीब आ रहा है, तो उसके 15 दिन पहले ही मैंने ऑफिस से छुट्टी ली और प्रसव का इंतजार किया।
मेरा बड़ा बेटा बहुत समझदार है। मेरे दूसरे बच्चे के इंतजार में जितना मैं खुश थी, उतनी ही खुशी मेरे पहले बच्चे को भी थी। मुझे यह पता था कि दोनों बच्चों की उम्र में सिर्फ 18 महीने का फासला एक अच्छी प्लानिंग नहीं है। इस वजह से दोनों बच्चों के फीडिंग, सोने के टाइम, उनके साथ समय बीताने जैसे कलैश हो सकते हैं।
ऐसी परेशानी मुझे या मेरे बच्चों को न हो, इसके लिए मैं बेटे से दूसरे बेबी के बारे में बातचीत करती रहती थी। मैं उसे बताती रहती थी कि जब घर में छोटा बेबी आएगा, तो उसे दूध की बोतल देना होगा, डायपर देना होगा। इसी तरह दूसरे कामों में भी मम्मी की मदद करनी होगी और जब मेरा दूसरा बेबी घर आया, तो मेरे पहले बेबी ने ठीक इसी तरह से अपने छोटे भाई का स्वागत किया।
मैं इंस्टाग्राम पर जो भी वीडियो शेयर करती हूं, वो सारे वास्तविक जीवन से ही जुड़े हैं। मैं बस मेरे बच्चे क्या रहे हैं, किस तरह वो फनी चेहरे बनाते हैं या किस तरह वो मजे करते हैं, इसे बस रिकॉर्ड करती हूं और फैंस के साथ शेयर कर देती हूं। मैं जो भी शेयर करती हूं उनका अनुभव सभी बच्चे व पेरेंट्स करते हैं, शायद इसलिए लोग मेरे पोस्ट देखकर मुझसे एक तरह का लगाव भी महसूस करने लगते हैं।
अगर आप चाहते हैं कि आपकी प्रेग्नेंसी हेल्दी हो, आपका बच्चा हेल्दी व अच्छा हो, तो बस मौजूदा परिस्थिति के साथ चलते जाएं। ये मत सोचें की प्रेग्नेंसी प्लान्ड है या अनप्लान्ड है। दोनों ही तरह की परिस्थिति में अगर सकारात्मक सोच, सही तरीके से माँ की देखभाल की जाए, तो प्रेग्नेंसी को मजेदार और यादगार बनाया जा सकता है।
अगर माँ बनने से या पेरेंटिंग टिप्स से जुड़ा मन में कोई डर है, उलझन है या इससे जुड़ा किसी तरह का नकारात्मक विचार है, तो बिना झिझक अपने करीबी लोगों से खुलकर बात करें। उन्हें अपनी भावना बताएं। वे आपकी जरूर मदद करेंगे। ध्यान रखें किसी भी रिश्ते को आगे बढ़ाने में पारदर्शी बातचीत की भूमिका सबसे अहम होती है।
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