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ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार आ जाने पर इन प्रोडक्ट का करें इस्तेमाल

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार आ जाने पर इन प्रोडक्ट का करें इस्तेमाल

2 May 2022 | 1 min Read

Ankita Mishra

Author | 409 Articles

सामान्यतौर पर, स्तनपान के दौरान स्तनों में सूजन व दर्द की समस्या देखी जा सकती है। हालांकि, कुछ नई माताएं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार का अनुभव भी करती हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार स्तनपान की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। स्तनपान के दौरान निप्पल में क्रेक होने से माँ को स्तनपान में परेशानी हो सकती है और वह तेज दर्द के अनुभव से गुजर सकती हैं। 

ऐसे में स्तनपान के दौरान निप्पल में क्रेक होने पर उसका उपचार कैसे करें, इसके लिए बेबीचक्रा के इस लेख में कुछ उत्पादों का जिक्र किया गया है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार के उपचार के लिए घरेलू तौर (Home Remedies to Cure Cracked Nipples) पर इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, अगर निप्पल में घाव या दर्द की समस्या गंभीर है, तो डॉक्टरी इलाज को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार का प्राकृतिक उपचार

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार का प्राकृतिक उपचार (Home Remedies to Cure Cracked Nipples) करने के लिए यहां पर 10 उपाय बताए गए हैं, जिन्हें आप अपनी सुविधानुसार के अनुसार उपयोग में ला सकती हैं।

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार / चित्र स्रोतः फ्रीपिक

1. ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार भरने के लिए घी लगाएं

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार का प्राकृतिक उपचार करने के लिए देसी घी का नुस्खा अपनाया जा सकता है। देसी घी में त्वचा काे घाव भरने व सूदिंग वाले प्रभाव होते हैं। साथ ही, घी लगाने से स्तनों के दर्द, सूजन, जलन व लालिमा की समस्या का उपचार भी किया जा सकता है। 

2. स्तनों के दरार का प्राकृतिक उपचार है बर्फ

स्तनों के दरार का प्राकृतिक उपचार करने के लिए बर्फ के टुकड़ों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए बर्फ के छोटे टुकड़ों को कॉटन के रूमाल में लपेट लें और फिर उससे स्तनों व उसके आस-पास की त्वचा की सिकाई करें। इससे दर्द व सूजन में काफी राहत मिल सकती है और निप्पलों के दरार भी जल्द ही भर सकते हैं। 

3. स्तनपान के दौरान निप्पल में क्रेक दूर करने के लिए लगाएं एलाेवेरा जेल

स्तनपान के दौरान निप्पल में क्रेक दूर करने के लिए एलाेवेरा जेल का इस्तेमाल करना भी प्रभावकारी हो सकता है। एलोवेरा जेल प्राकृतिक तौर पर नमी के गुणों से भरपूर होता है। ऐसे में त्वचा की नमी को वापस लाकर एलोवेरा जेल स्तनों के दरारों को हील करने में मदद कर सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए स्तनों को साफ करके उस पर एलोवेरा जेल लगाएं और 20 मिनट बाद पानी से स्तनों को धो लें। 

ध्यान रखें कि शिशु को स्तनपान कराने के बाद ही स्तनों पर एलोवेरा जेल लगाएं। 

4. निप्पल में घाव या दर्द दूर करने की औषधी है माँ का दूध

जी हां, मां का दूध भी निप्पल में घाव या दर्द का उपचार कर सकता है। इसके लिए अपने स्तनों से एक चम्मच दूध निकालें और स्तनों के दरारों पर लगा लें। हर 4 से 5 घंटे के बीच ऐसा करें। हफ्तों भर में निप्पल में घाव या दर्द दूद हो सकते हैं। 

5. नारियल तेल से इलाज करें निप्पल में घाव या दर्द का

कोकोनट ऑयल मसाज भी निप्पल में घाव या दर्द को दूर कर सकता है। नारियल तेल से निप्पलाें का रूखापन दूर किया जा सकता है। इसके अलावा, नारियल तेल में प्राकृतिक तौर पर हीलिंग व सूथिंग गुण भी होते हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार का प्राकृतिक उपचार करने के लिए किसी कटोरी में दो चम्मच नारियल तेल गुनगुना करें और उससे स्तनों की मालिश करें। दिन में दो बार ऐसा नियमित रूप से करें। 

यहां पर हम बेबीचक्रा के कोकोनट ऑयल को खरीदने का विकप्ल भी दे रहे हैं। इसे खरीदने के लिए चित्र पर क्लिक करें या नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। 

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6. स्तनों के दरार का प्राकृतिक उपचार है तुलसी के पत्तों का पेस्ट

तुलसी के पत्तों में एंटी-बैक्‍टीरियल गुण होते हैं, जो विभिन्न बैक्‍टीरिया को नष्ट करने में मददगार होते हैं। इसी वजह से स्तनों के दरार का प्राकृतिक उपचार करने के लिए तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए 8-10 तुलसी के पत्तों को पीस कर उसका पेस्ट बना लें और फिर इस पेस्ट को निप्पलों पर लगा लें। 

बेहतर होगा अगर ऐसा सोते समय करें। ताकि, बार-बार बच्चे को स्तनपान कराने के लिए माँ को स्तनों को धोना न पड़ें। 

7. कैमोमाइल से करें स्तनों के दरार का प्राकृतिक उपचार

तुलसी की तरह कैमोमाइल भी एक औषधीय पौधा है। इसमे सूजन कम करने वाला एंटी इंफ्लामेटरी प्रभाव होता है, जो स्तनों के सूजन को कम कर सकता है और दरारों को भरने में मदद कर सकता है। स्तनपान के दौरान मास्टिटिस का उपचार करने के लिए कैमोमाइल का इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो सबसे पहले कॉटन बॉल को कैमोमाइल तेल में डिप करें, फिर हल्के हाथों से उसे स्तनों पर निप्पलों पर लगाएं। 

8. ​ऑलिव ऑयल भी है स्तनपान के दौरान मास्टिटिस का घरेलू उपचार

नारियल तेल की तरह ही ऑलिव ऑयल यानी जैतून तेल का इस्तेमाल भी स्तनपान के दौरान मास्टिटिस के लिए घरेलू तौर पर किया जा सकता है। इसके लिए आधा कप गुनगुने पानी में 2-3 चम्‍मच ऑलिव ऑयल की डालें। फिर उस पानी में कॉटन को डिप करें और उससे स्तनों व निप्पलों की सफाई करें। ऐसे दिन में कम से कम दो बार अवश्य करें। 

9. ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार भरने के लिए शहद का इस्तेमाल

कटे-फटे निप्पलों के घाव भरने के लिए शहद का उपयोग भी किया जा सकता है। इसमें सूदिंग व हीलिंग के साथ ही, एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो कटने व जलने जैसे घावों में जल्द से जल्द भरने में मददगार हो सकते हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार भरने के लिए इस तरह करें शहद का इस्तेमाल-

  • सबसे पहले स्तनों को ठंडे पानी से साफ करें। 
  • फिर साफ उंगलियों की मदद से निप्पलों पर शहद लगाएं। 
  • 20 मिनट बाद शहद को साफ कर लें। 

नोटः अगर बच्चे की उम्र 1 वर्ष से कम है, तो माताओं को शहद का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि 1 वर्ष से छोटी उम्र के बच्चों में शहद बोटुलिज्म का कारण बन सकता है। इसके बाद भी अगर स्तनपान के दौरान निप्पल में क्रेक के लिए शहद का इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो स्तनपान से पहले स्तनों से शहद को अच्छी तरह से साफ करें।

10. स्तनपान के दौरान निप्पल में क्रेक के उपचार के लिए गर्म पानी से सिकाई करें

स्तनपान के दौरान निप्पल में क्रेक के घरेलू उपचार में गर्म पानी से सिकाई करना भी लाभकारी हो सकता है। ऐसा करने से निपल्स की खुजली, कटने के घाव, सूजन, दर्द व लालिमा से राहत पाया जा सकता है। इसके लिए दो कप पानी में एक चम्मच एप्सम सॉल्ट डालकर उसे गर्म करें। फिर इस पानी में कॉटन का रूमाल भिगोएं और उससे पानी निचोड़ लें। अब उसी रूमाल से स्तनों व निप्पलों की सिकाई करें। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार का प्राकृतिक उपचार करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार आने पर हर बार स्तनपान कराने के बाद स्तनाें काे गुनगुने पानी से साफ करें। 
  • अगर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार आने से गंभीर दर्द होता है, तो कुछ दिनों तक शिशु को सीधे तौर पर स्तनपान कराने की प्रक्रिया को रोक सकती हैं। इसके बजाय निप्पल शील्ड या स्तनों से दूध निकालकर भी शिशु को माँ का दूध पिलाया जा सकता है। 
  • शिशु काे बारी-बारी से दोनों की स्तनों से स्तनपान कराना चाहिए। 

एक बात का ध्यान रखें कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में दरार की समस्या तब गंभीर हो सकती है, जब शिशु को दांत निकल रहे हों। दांत निकलने पर शिशुओं को काटने की लालसा अधिक हो जाती है, ऐसे में घर दादी-नानी या आया की मदद से बच्चे को स्तनपान कराने के तरीके सीखें।

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