27 Apr 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
ऐसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जो सिजेरियन डिलीवरी के कारण को बढ़ावा देती हैं। अगर आप सिजेरियन ऑपरेशन नहीं चाहती हैं और नॉर्मल डिलीवरी से अपने बच्चे को जन्म देना चाहती हैं, तो इस लेख में दी गई बातों का ध्यान रख सकती हैं।
यहां सी-सेक्शन प्रसव के कारण बनने वाली कुछ मुख्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बारे में बताया गया है। साथ ही, सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान व सी सेक्शन डिलीवरी रिकवरी टाइम कितना हो सकता है, इसके बारे में भी जानकारी दी गई है।
यहां हम सी-सेक्शन या सिजेरियन डिलीवरी के कारण (Common Reasons for C-Section Delivery in Hindi) को बढ़ाने वाली कुछ परिस्थितियों के बारे में बता रहे हैं, जिनमें निम्नलिखित स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां शामिल हो सकती हैंः
अगर गर्भवती महिला की यह दूसरी प्रेग्नेंसी हो और उसके पहले शिशु का जन्म ऑपरेशन से हुआ हो, तो इसकी संभावना बढ़ सकती है कि अगले बच्चे का जन्म भी सिजेरियन डिलीवरी से हो सकता है।
अगर गर्भ में शिशु की स्थिति असामान्य है जैसे – शिशु का सिर ऊपर और पैर नीचे होना या बच्चे की पोजीशन टेढ़ी-मेढ़ी होना या फिर गर्भ में बच्चा बार-बार अपनी स्थिति बदलता हो, तो ऐसी स्थिति भी सिजेरियन डिलीवरी के कारण को बढ़ा सकती है।
प्लेसेंटा प्रेविया (Placenta Previa) एक तरह की स्थिति है, जिसमें प्लेसेंटा गर्भाशय के नीचे आ जाता है। इसके कारण गर्भाशय ग्रीवा आधा या फिर पूरी तरह से प्लेसेंटा से घिर सकता है। ऐसी स्थिति में गर्भ में बच्चे की गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं और उसे परेशानी भी हो सकती है।
अगर किसी कारणवश गर्भावस्था के आखिरी चरणों में गर्भपात हो जाए या गर्भवती महिला पहले भी गर्भपात की स्थिति से गुजर चुकी है, तो ऐसी स्थितियां भी सिजेरियन के कारण में शामिल हो सकती हैं।
गर्भावस्था में प्री-एक्लेमप्सिया होना गंभीर माना जा सकता है। प्री-एक्लेमप्सिया उच्च रक्तचाप का ही गंभीर रूप होता है। इसके कारण मूत्र में प्रोटीन की मात्रा बढ़ सकती है, जो गर्भस्थ शिशु के लिए खतरनाक हो सकती हैं। इस वजह से सिजेरियन के कारण में इसे भी शामिल किया जा सकता है।
गर्भावस्था का चरण पूरा होने के बाद भी महिला को लेबर पेन शुरू न होना या लेबर पेन रूक-रूक कर शुरू होना, आदि जैसी परिस्थितियों में भी डॉक्टर डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन का निर्देश दे सकते हैं।
मल्टीपल बच्चे यानी गर्भ में दो या उससे अधिक शिशु होना भी सी-सेक्शन प्रसव के कारण को बढ़ावा दे सकते हैं। ताकि, गर्भ से सभी बच्चों को सुरक्षित तरीके से जन्म दिया जा सके।
अगर मां की बच्चेदानी सामान्य से छोटी है, तो यह भी सी-सेक्शन प्रसव के कारण को बढ़ा सकती है। दरअसल, छोटी बच्चेदानी के कारण गर्भ से बच्चे का बाहर निकल पाना मुश्किल हो सकता है।
ऐसी स्थिति में जबरन नॉर्मल डिलीवरी कराने से बच्चे की गर्दन से नीचे का हिस्सा गर्भाशय में फस सकता है, जो शिशु मृत्यु का जोखिम भी बढ़ा सकता है। जिस कारण ऐसी स्थिति में तत्काल प्रभाव से सिजेरियन ऑपरेशन की आवयकता हो सकती है।
एमनियोटिक द्रव की कमी होने के कारण गर्भ के अंदर शिशु को ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, साथ ही उसके फेफड़ों का विकास भी प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, अगर इसकी समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो गर्भपात भी हो सकता है।
ऐसे में गर्भावस्था के दौरान एमनियोटिक द्रव कम होने के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी से शिशु को जन्म देने की सलाह दे सकते हैं।
अगर माँ के गर्भनाल से भ्रूण तक उचित मात्रा में रक्त की पूर्ति न हो, इसके कारण शिशु को ऑक्सीजन की कमी महसूस हो सकती है, जिससे उसके मृत्यु का जोखिम भी बढ़ सकता है। ऐसी परिस्थिति होने पर भी डॉक्टर सी-सेक्शन यानी सिजेरियन ऑपरेशन की सलाह दे सकते हैं।
अगर गर्भ में ही शिशु को किसी तरह का जन्मदोष हो जैसे जन्मजात हृदय रोग, किसी अंग का अधूरा विकसित होना, नाक, होंठ या तालू कटे-फटे या आपस में जुड़ें हो, तो ऐसी परिस्थितियां भी सिजेरियन डिलीवरी के कारण में शामिल हो सकती हैं। इसे बर्थ डिफेक्ट (Birth Defects) या कंजेनाइटल डिसऑर्डर (Congenital Disorder) भी कहा जाता है।
अगर माँ को गर्भावस्था के दौरान एचआईवी जेनिटल हर्पीस या योनि से जुड़ा को ई संक्रमण हो, तो इसके कारण जन्म के दौरान शिशु को भी इंफेक्शन फैलने का जोखिम हो सकती है। इसके अलावा, अगर माँ को लंबे समय से डायबिटीज, अस्थमा या कोई अन्य गंभीर व क्रोनिक बीमारी होती है, तो ऐसी परिस्थितियां भी सिजेरियन डिलीवरी के कारण को जन्म दे सकती हैं।
यूट्राइन रप्चर (Uterine Rupture) या गर्भाशय का टूटना एक गंभीर स्थिति है, जिसके होने पर तुरंत सिजेरियन ऑपरेशन करने की आवश्यकता हो सकती है। दरअसल, इसके कारण गर्भ में शिशु तक ऑक्सीजन, रक्त व अन्य पोषण की पूर्ति होनी बंद हो सकती है, जो गर्भ में शिशु के मृत्यु का कारण बन सकती है।
सी-सेक्शन या सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान निम्नलिखित हो सकते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया हैः
सिजेरियन डिलीवरी के दौरान डॉक्टर महिला को सुन्न करने वाली दवा की खुराक देते हैं। ऐसे में सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान दर्द का अनुभव नहीं होता है, लेकिन सिजेरियन ऑपरेशन पूरा होने के बाद कुछ घंटों में दवा का असर खत्म होने के बाद महिला को तेज दर्द का अनुभव हो सकता है।
सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान में एनीमिया भी शामिल है। अगर ऑपरेशन के दौरान आवश्यकता से अधिक बह जाए या किसी कारण खून का बहाव कम न हो, तो महिला के शरीर में खून की कमी हो सकती है, जो एनीमिया का कारण बन सकती है।
अगर सिजेरियन ऑपरेशन के बाद टांकों की उचित देखभाल न की जाए, तो यह सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान का कारण बन सकता है। इससे महिला को इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। टांके पक सकते हैं, जिसमें पस भी भर सकता है और इस वजह से सी सेक्शन डिलीवरी रिकवरी टाइम भी बढ़ सकता है।
नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले सी सेक्शन डिलीवरी रिकवरी में अधिक समय लग सकता है। अगर सही तरीके से सी-सेक्शन के बाद टांकों की देखभाल की जाए, तो एक से दो हफ्तों में टांकों के घाव भर सकते हैं और एक से दो महीने में टांकें पूरी तरह से सूख भी सकते हैं।
हमनें इस लेख में सिजेरियन के कारण बताएं हैं। अगर इस लेख में बताए गए किसी भी स्वास्थ्य परिस्थिति को लेकर कोई संदेह है, तो इस बारे में अपने डॉक्टर की उचित सलाह ले सकते हैं।
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