21 Feb 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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अक्सर डिलीवरी के बाद माँ शिशु की देखभाल, घर के काम, रिश्तों को संभालने, अपने ड्युटी में बैलेंस बनाए रखने में बीजी हो जाती हैं। लेकिन एक चीज जिस पर उनका नियंत्रण नहीं रहता है, वह है डिलीवरी के बाद पीरियड्स का होना। डिलीवरी के बाद पीरियड्स होने की बात को लेकर बहुत सारी परेशानियाँ होती हैं, जिसके बारे में न्यू मॉम को पता नहीं होता है। आज हम ऐसी ही कुछ पीरियड्स के बारे में अनजानी बातें शेयर करेंगे।
डिलीवरी के बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ता है, मेंस्ट्रुअल साइकल में भी परिवर्तन आने लगता है।
डिलीवरी के बाद से लेकर बढ़ते उम्र में पीरियड्स को लेकर अनेकों कंडिशन्स होते हैं, जिनके बारे में आप अनजान हैं-
बच्चे के जन्म के बाद दो से छह हफ्ते तक ब्लीडिंग होता है। इस ब्लीडिंग या पीरियड्स का कलर लाल से सफेद रंग का होता है। इसको लोचिया कहते हैं, बच्चे के जन्म के दौरान टीशू आदि में जो रक्त संग्रहित रहता है, वह निकलता है। इस तरह से शरीर अपनी सफाई करता है। इस दौरान माँ को टैम्पोन या मेंस्ट्रूअल कप का इस्तेमाल न करके सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करना चाहिए। पैड को बदलने और पहनने के पहले हाथों को साफ कर लेना बहुत जरूरी होता है।
आपके जानकारी के लिए बता दें कि ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवाने पर 25 दिनों के बाद महिलाएं ओव्युलेट करने लगती है, जिसके कारण गर्भधारण करने का खतरा बन जाता है। लेकिन बर्थ कंट्रोल मेथड या ब्रेस्टफीडिंग इस मामले में काम कर सकता है।
डिलीवरी के बाद आम तौर पर सभी महिलाएं कोई न कोई कॉन्ट्रासेप्टिव विकल्प लेने के बारे में सोचती हैं, जैसे-
इन जन्म नियंत्रण विधियाँ हार्मोन को प्रभावित करते हैं , यूटेरस का लाइन पतला हो जाता हैं, इसलिए ब्लीडिंग भी कम होता है। कुछ पिल्स, आईयूडी, और शॉट्स, विशेष रूप से प्रोजेस्टिन-ओनली तरीके, पीरियड्स को पूरी तरह से रोक भी सकते हैं, जिसका वे उपयोग कर रहे हैं। डेपो-प्रोवेरा इंजेक्शन भी अनियमित पीरियड्स का कारण होता है और इसके उपयोग के दौरान भी पीरियड्स रूक सकता है। पीरियड्स के दौरान प्राइवेट पार्ट्स को क्लिन रखने के लिए हार्श सोप का इस्तेमाल न करके बेबी मॉइश्चराइजिंग वाश का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
डिलीवरी होने के बाद न्यू मॉम बच्चे की देखभाल और घर की देखभाल में इतनी उलझ जाती हैं कि कोई भी सही समय पर नहीं कर पाती है। अपनी सेहत और घर या बच्चों के काम के बीच संतुलन बना नहीं पाती हैं। फलस्वरूप वह स्ट्रेस में आ जाती हैं। इसका सीधा असर पीरियड्स पर पड़ता है, या तो ब्लीडिंग हेवी होता है या कम होने लगता है।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ता जाता है, हार्मोन के स्तर में बदलाव होने लगता है, जिससे पीरियड्स मे भी बदलाव आता है। जैसे-जैसे आप पेरिमेनोपॉज़ (आमतौर पर आपके 40 के दशक में) में प्रवेश करते हैं, अंडाशय कम एस्ट्रोजन बनाते हैं। फलस्वरूप अनियमित पीरियड्स में हो सकता है—वे छोटे, लंबे और बीच के दिनों में बढ़ या घट सकते हैं।
अब आप समझ ही गए होंगे कि डिलीवरी के बाद पीरियड्स के कम या ज्यादा होने के पीछे क्या कारण होता है। इसके अलावा बेबी-केयर संबंधी और जानकारियों, प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्याओं के समाधान, और पेरेंटिग संबंधित जानकारियों के लिए बेबीचक्रा ऐप या वेबसाइट को सब्सक्राइब करें और टेंशन फ्री होकर प्रेगनेंसी और पेरेंटिंग जर्नी को एन्जॉय करें।
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