22 Feb 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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गर्भपात या मिसकैरेज शब्द को तो हम सभी जानते हैं, लेकिन जिस महिला को इस अवस्था से गुजरना पड़ता है, उसके लिए यह अवस्था मानसिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत ही गंभीर और दर्दभरा होता है। इस अवस्था में खुद को या किसी अपने को जो अवस्था से गुजर रही है,उसको क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे में बहुत कम लोगो को जानकारी होती है। तो आज हम इसी विषय पर बात करेंगे कि गर्भपात या मिसकैरेज हो जाने पर कैसे सेल्फ केयर करनी चाहिए।
गर्भपात को मिसेकैरेज भी कहा जाता है। इसके अलावा इसको स्पॉन्टेनियस अबॉर्शन भी कहा जा सकता है। आम तौर पर गर्भधारण के पहले 20 हफ्तों में गर्भपात होने का खतरा रहता है यानि गर्भावस्था का अप्रत्याशित अंत हो सकता है। इसीलिए इसको ‘गर्भपात’ कहा जाता है, इसका मतलब यह नहीं होता कि इसके लिए गर्भपात जिनका हुआ है उन्होंने कुछ गलत किया है। असल में ज्यादातर गर्भपात नियंत्रण से बाहर होते हैं और इसलिए होते हैं क्योंकि भ्रूण का विकास रुक जाता है।
गर्भपात के प्रकार- डॉक्टर गर्भपात होने के प्रकार के आधार पर मरीज की देखभाल करते हैं-
मिस्ड मिसकैरेज: इस अवस्था में मरीज को पता ही नहीं होता है कि उसने कब प्रेग्नेंसी खो दी है। वह इस बात से अनजान होती हैं। इस अवस्था में गर्भपात के कोई लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन अल्ट्रासाउंड के द्वारा इसका पता चलता है कि भ्रूण के दिल की धड़कन नहीं है।
पूर्ण गर्भपात– इस अवस्था में महिला गर्भावस्था खो देती हैं और उनका गर्भाशय खाली हो जाता है। इसमें ब्लीडिंग होता है और फेटल टीशू भी ब्लीडिंग में निकल जाता है। इस बात की भी पुष्टि अल्ट्रासाउंड से होता है।
बार-बार गर्भपात होना– इस प्रकार में लगातार तीन बार गर्भपात होता है।
थ्रेटेंड मिसकैरेज– इस अवस्था में सर्विक्स का मुँह बंद रहता है, लेकिन ब्लीडिंग और पेल्विक में क्रैम्पिंग होता रहता है। लेकिन प्रेगनेंसी में इससे कोई फर्क नहीं पहुँचता है, सिर्फ लगातार मॉनिटर करने की जरूरत होती है।
इनएविटेबल मिसकैरेज– इस अवस्था में मरीज को ब्लीडिंग होता है, ऐंठन भी होता है और सर्विक्स खुलनी (फैलना) शुरू हो जाती है। एमनियोटिक द्रव का रिसाव भी हो सकता हैं। यानि पूर्ण गर्भपात की संभावना हो सकती है।
गर्भपात हो गया है ,यह सबलोगों को पता नहीं भी चल सकता है। लेकिन जिन लोगों में गर्भपात के लक्षण होते हैं, उनमें सबसे आम लक्षण हैं:
यदि मरीज को इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव होता हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
क्रोमोसोमल असामान्यताएं गर्भावस्था के फर्स्ट ट्राइमेस्टर (13 सप्ताह तक) 50% गर्भपात का कारण बन सकते हैं। फर्टिलाइजेशन के दौरान, जब अंडाणु और शुक्राणु जुड़ते हैं, तो गुणसूत्रों या क्रोमोसोम के दो सेट आपस में जुड़ जाते हैं। यदि एक अंडे या शुक्राणु में सामान्य से अधिक या कम गुणसूत्र होते हैं, तो भ्रूण की असामान्य संख्या बनती है। जैसे ही एक फर्टिलाइज्ड अंडा भ्रूण में विकसित होता है, इसकी कोशिकाएं कई बार विभाजित और गुणा होती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान असामान्यताएं भी गर्भपात का कारण बनती हैं। इसके अलावा और भी कारण हैं-
– अगर पहली तिमाही में गर्भपात हुआ है तो कम से कम एक हफ्ते तक आराम करने की सलाह दी जाती है।
– अगर 6 से 8 महीने के बीच गर्भपात हुआ है तो कम से कम डेढ़ महीने तक बेड रेस्ट करने की सलाह दी जाती है। साथ ही आयरन से भरपूर डायट और मल्टीविटामिन का सेवन करने की सलाह डॉक्टर देते हैं।
-घर के काम जितना हो सके कम करने के लिए कहा जाता है। भारी काम या सामान उठाने की गलती कभी भी नहीं करनी चाहिए।
-मिसकैरेज होने के बाद सेक्स करने की गलती नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस वक्त यूटेरस की अवस्था बहुत गंभीर होती है। कम से कम 6 हफ्तों के बाद एक दूसरे के करीब आना सेफ होता है।
-बिना डॉक्टर के सलाह के वर्कआउट शुरू करने की गलती नहीं करनी चाहिए। सिर्फ योगा निर्देशक के सलाह के अनुसार योगाभ्यास कर सकते हैं।
-मिसकैरेज के बाद ज्यादा गर्म पानी से न नहाएं। अगर ब्रेस्ट में सूजन है तो आईस पैक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
-स्वीमिंग पूल पर जाकर तैरना नहीं चाहिए, इसके लिए दो हफ्ते तक इंतजार करना ही बेहतर होता है।
– सेल्फ केयर टिप्स 1: अपने दिल की बात आप अपने दोस्त या पति से करें। इस तरह से आपके मन में जो उथल-पुथल चल रहा होता है, वह आप शेयर कर सकते हैं। अपनों से बात शेयर करने पर सेल्फ केयर करने में मदद मिलती है।
-सेल्फ केयर टिप्स 2: अगर आप धार्मिक प्रकृति की हैं तो धार्मिंक सभा या कीर्तन-पूजा आदि में भाग लें, इससे मन को सुकून मिलेगा।
-सेल्फ केयर टिप्स 3: अगर आपको लग रहा है कि आप इस परिस्थिति से उबर नहीं पा रही हैं तो आप काउंसलिंग का सहारा भी ले सकती हैं।
-सेल्फ केयर टिप्स 4: अपने दिल के गुबार को बाहर निकालें न कि भीतर दबाएं। इससे मनोवैज्ञानिक स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। इस तरह से आप अपना सेल्फ केयर कर सकते हैं।
-सेल्फ केयर टिप्स 5: किसी सपोर्ट ग्रूप से भी संपर्क कर सकते हैं, जहाँ आपके जैसे ही महिलाएं गर्भपात के दर्द को झेल चुकी हैं। वह सेल्फ केयर करने के बेहतर तरीके बता सकती हैं।
– सेल्फ केयर टिप्स 1: आयरन से भरपूर डायट लेनी चाहिए, जिसमें हरी सब्जियाँ, दाल, तिल, सोयाबीन, किशमिश आदि हो।
-सेल्फ केयर टिप्स 2: कैल्शियम से भरपूर डायट का सेवन करना चाहिए, जैसे कि दूध, दही, ड्राई फ्रूट, सी-फूड आदि।
-सेल्फ केयर टिप्स 3: फल और सब्जियाँ जितना हो सके ले सकती हैं।
– सेल्फ केयर टिप्स 4:मीठा खाने से बचना चाहिए।
– सेल्फ केयर टिप्स 5: जंक और प्रोसेस्ड फूड से जितना हो सके दूरी बरतनी चाहिए।
ये सारे डायट आपको सेल्फ केयर करने में मदद करेंगे ताकि आप जल्द से जल्द अपने डेली रूटीन में लौट सके।
एक्सपर्ट टिप्स– अब तक तो आपने गर्भपात के बाद सेल्फ केयर संबंधी टिप्स के बारे जानकारी ले रहे थे, लेकिन इसके साथ एक बार और भी जरूरी है, वह है पर्सनल हाइजीन का ध्यान रखना। जब भी सैनिटरी पैड वैगरह बदलें हैंड वाश करना न भूलें। साथ ही अगर प्राइवेट पार्ट्स को क्लिन करना है तो मॉइश्चराइजिंग बेबी वाश का इस्तेमाल विकल्प के रूप में कर सकते हैं।
मॉइश्चराइजिंग बेबी वाश
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