31 Oct 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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आजकल डिलीवरी के बाद हीव्स की परेशानी महिलाओं में बहुत आम हो गई है। किसी एलर्जी के कारण या दूसरे समस्याओं के कारण लाल-लाल रैशेज चेहरे पर या शरीर के दूसरे अंगों में निकलने लगते हैं। हीव्स को पित्ती भी कहते हैं। यह पित्ती लाल-लाल चकत्तों के रूप में हथेली, हाथ, पैर, मुँह कहीं भी निकल जाता है।
असल में पित्त या पित्ती निकलने का मतलब यह है कि डिलीवरी के बाद न्यू मॉम का इम्यून सिस्टेम अभी भी स्ट्रॉंग नहीं हुआ है, यानि असंतुलित अवस्था में है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि पित्त निकलने की समस्या आपको पहले भी था। डिलीवरी के बाद ऐसी छोटी-छोटी स्किन एलर्जी का सामना नयी माँ को करना ही पड़ता है। लेकिन हीव्स को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है, ये जैसे निकलता है, वैसे ही समय के साथ खत्म हो जाता है।
हीव्स त्वचा पर लाल चकत्ते या उभरे हुए थक्कों की तरह दिखती है। वे कभी-कभी त्वचा पर चकत्ते जैसे कि एक्जिमा की तरह भी दिखती हैं। कुछ लोगों को गर्भावस्था के अंत में या उनके बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद ही पित्ती जैसा दिखने वाला एलर्जी रैश हो जाता है।
यदि आपको पोस्टपार्टम हीव्स की समस्या है, तो आपको हीव्स के संकेत और लक्षण इस तरह दिख सकते हैं, जैसे-
आपको कई कारणों से प्रसवोत्तर पित्ती या त्वचा पर लाल चकत्ते हो सकते हैं। यदि आपको सामान्य रूप से पित्ती नहीं होती है, तो इसका कारण आपकी गर्भावस्था से जुड़ा हो सकता है। एक बार जब आपका शरीर डिलीवरी के बाद ठीक हो जाता है, धीरे-धीरे पित्ती की समस्याएं ठीक होने लगती हैं।
एलर्जी- डिलीवरी के समय हॉर्मोन के अंसतुलन से शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है और त्वचा भी संवेदनशील बन जाती है। अगर पहले से किसी प्रकार की एलर्जी की समस्या है तो वह इस अवस्था में बढ़ सकता है। और अगर पहले से एलर्जी की कोई समस्या नहीं है तो समय के साथ यह ठीक हो जाता है।
इसके अलावा कुछ चीजें हैं जो त्वचा से प्रतिक्रिया करके एलर्जी का कारण बन जाते हैं, जैसे-
इंफेक्शन या संक्रमण- बैक्टीरिया और वायरस जैसे कीटाणुओं के संक्रमण भी अस्थायी रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली को खराब कर सकती हैं। इनके कारण भी डिलीवरी के बाद हीव्स की समस्या शुरू हो सकती है।
लिवर की समस्या– गर्भावस्था का असर लिवर पर भी पड़ता है, जिसके कारण इसका फंक्शन सुस्त हो जाता है। लीवर रक्त से विषाक्त पदार्थों को छानने का अपना काम स्लो कर देता है। जब ऐसा होता है, तो लीवर एंजाइम अस्थायी रूप से असंतुलित हो जाते हैं और रक्त में अपशिष्ट जमा होने लगते हैं। इन दोनों स्थितियों के कारण पित्ती और अन्य प्रकार की त्वचा पर चकत्ते निकलने लगते हैं।
एलोवेरा जेल– एलोवेरा का एंटी-इंफ्लामेटोरी और मॉइश्चराइजिंग गुण हीव्स के बेचैनी से राहत दिलाने में मदद करता है। एलोवेरा को काटकर उसका जेल निकाल लें और हीव्स या पित्ती पर लगाएं।
नारियल का तेल- यह बहुत ही आम घरेलू उपायों में शामिल होता है। नारियल तेल लेकिन विशुद्ध या ऑर्गेनिक होना चाहिए। प्रभावित त्वचा पर नारियल का तेल लगाने से जलन और खुजली से राहत मिलती है।
तुलसी का पत्ता- तुलसी भी त्वचा संबंधी अनेक समस्याओं में बहुत फायदा पहुँचाता है। तुलसी का पेस्ट बनाकर पित्त पर लगाने से उसके लक्षणों से आराम मिलता है।
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