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Premature Aging:  प्रेगनेंसी के बाद प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षणों को ऐसे करे मैनेज

Premature Aging:  प्रेगनेंसी के बाद प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षणों को ऐसे करे मैनेज

10 Jan 2023 | 1 min Read

Mousumi Dutta

Author | 387 Articles

प्रेगनेंसी के बाद शरीर और त्वचा पर बहुत बदलाव आ जाता है। बच्चे के प्यारे से मुखड़े को देखकर माँ हर दर्द को सह लेती हैं, लेकिन प्रीमेच्योर एजिंग की समस्या को लेकर वह टेंशन में आ जाती हैं। जाहिर है कोई भी महिला समय से पहले बढ़ते उम्र के लक्षणों को स्वीकार नहीं कर पाती हैं। पर टेंशन लेने की बिल्कुल जरूरत नहीं है, आज हम सबसे पहले बात करेंगे कि डिलीवरी के बाद त्वचा पर कैसे बदलाव आते हैं और प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षणों को आसानी से कैसे कंट्रोल में ला सकते हैं। 

प्रेगनेंसी के बाद त्वचा में फिर से पहले की तरह रौनक या लुक आने में थोड़ा देर लगता है। गर्भावस्था के बाद सिर्फ स्ट्रेच मार्क्स की समस्या ही नहीं होती है, बल्कि प्रीमेच्योर एजिंग की भी समस्या रहती है। चेहरे पर बढ़ते उम्र के लक्षण जैसे झुर्रियां, माथे, नाक और गालों पर काले धब्बे, मुँहासे, ब्लैकहेड्स वैगरह वैगरह। 

अक्सर प्रेगनेंसी के नौ महीने के अंदर जो भी त्वचा संबंधी समस्याएं होती है, जैसे ब्रेकआउट्स, डार्क सर्कल्स, ड्राई स्किन आदि गर्भावस्था के बाद धीरे-धीरे कम होने लगते हैं, लेकिन समस्या कम नहीं हुई तो त्वचा की खोई हुई रौनक को लौटाने के लिए कुछ टिप्स को फॉलो कर सकते हैं। 

डिलीवरी के बाद प्रीमेच्योर एजिंग की समस्या क्यों होती है?। What Causes Premature Aging in the Skin after Delivery?

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि शरीर का सबसे बड़ा अंग त्वचा होती है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में जो भी जीवनशैली और हॉर्मोन में परिवर्तन होता है, उसका गहरा असर त्वचा पर ही पड़ता है। तो फिर पहले गर्भावस्था में त्वचा में जिन कारणों से बदलाव आता है, उसके बारे में पहले जान लेते हैं-

  • हॉर्मोनल स्विंग्स
  • वसकुलर चेंजेज
  • ग्लैंडुलर चेंजेज
  • स्किन के स्ट्रक्चर में बदलाव आदि।

यहाँ तक अगर प्रेगनेंसी में मुँहासे आदि जैसी दूसरी त्वचा संबंधी समस्याएं हैं तो वह भी गर्भावस्था के दौरान और बाद में बदतर अवस्था में आ जाती हैं। फलस्वरूप माँ बनने के बाद प्रीमेच्योर एजिंग का प्रॉब्लम सर चढ़कर बोलने लगता है।

माँ बनने के बाद कुछ महिलाओं को लगता है कि  बच्चा होने के बाद वह खुद के चेहरे को पहचान ही नहीं पा रही है। रातों को बच्चे के साथ जगने के कारण, दिन भर उनकी देखभाल करने, नर्सिंग आदि कामों में बीजी रहने के कारण उनको खुद के तरफ ध्यान देने का समय ही नहीं मिल पाता है। फलस्वरूप 30 के उम्र में 40 जैसी नजर आने लगती है। जिसके कारण वह स्वभाव से थोड़ी चिड़चिड़ी और नाखुश जैसा महसूस करती है, या उनका आत्मविश्वास दूसरों के सामने थोड़ा कम होता नजर आता है। 

पर माँ बनने का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि वह अपना ख्याल न रखें। माँ जब तक खुश नहीं रहेगी तब तक वह बच्चे को भी खुश नहीं रख पाएगी। इसलिए प्रेगनेंसी के बाद त्वचा संबंधी समस्याओं को इन ट्रिक्स की मदद से सॉल्व करके 30 के उम्र में 18 की चमक ला सकती हैं। 

डिलीवरी के बाद प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षणों को मैनेज करने के टिप्स/चित्र स्रोत: फ्रीपिक

डिलीवरी के बाद बढ़ते उम्र के लक्षणों को मैनेज करने के टिप्स। Tips to Manage Premature Aging Issues

त्वचा पर झाईंया और काले दाग-धब्बे-  हम पहले की चर्चा कर चुके हैं कि दिन-रात की कम नींद, भाग-दौड़ त्वचा पर अपना असर छोड़ने लगती है। प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में मेलानिन का प्रोडक्शन ज्यादा होने के कारण माथे, ऊपरी होंठ और गालों के आसपास काले धब्बे बन जाते हैं, इसको ‘द मास्क ऑफ प्रेगनेंसी’ भी कहते हैं। इसके लिए आप द मॉम्स कंपनी द्वारा नेचुरल वीटा रिच डेली क्लीनिंग एंड ब्राइटनिंग नेचुरल वीटा रिच फेस क्रीम और नेचुरल वीटा रिच फेस सीरम का कॉम्बो पैक इस्तेमाल कर सकती हैं। 

इस डुओ पैक के इस्तेमाल से त्वचा की खोई हुई रौनक लौट आती है, साथ ही स्किन मॉइश्चराइज भी हो जाता है। जिसके कारण काले दाग-धब्बे, झाईंया आदि कम होने लगती है। काकाडू प्लम, चिया सीड ऑयल, हायल्यूरोनिक एसिड और विटामिन सी, बी3 और बी5 जैसे नेचुरल चीजों के पावर पैक से यह डुओ बना है।

त्वचा पर झुर्रियाँ और बढ़ते उम्र के लक्षण– अक्सर महिलाओं की त्वचा गर्भावस्था से लेकर माँ बनने के बाद भी रूखी त्वचा की समस्या से जुझती रहती है। इसके फलस्वरूप स्किन अपनी इलास्टिसिटी खो देती है और फिर स्किन पर झुर्रियों की महीन रेखाएं नजर आने लगती है। द मॉम्स कंपनी का डे और नाइट क्रीम केयर कॉम्बो बकुचियोल से बना है – रेटिनॉल का एक प्राकृतिक विकल्प झुर्रियों की महीन रेखाओं को कम करने के साथ स्किन को टोन भी करता है। 

इस डुओ के रोजाना इस्तेमाल से  स्वस्थ, चमकती त्वचा फिर से वापस नजर आने लगती है। डे और नाइट क्रीम कॉम्बो में नियासिनामाइड और हयालूरोनिक एसिड त्वचा की लोच को बढ़ाने और त्वचा की मजबूती को बहाल करने में मदद करते हैं जबकि ग्रीन टी एक्सट्रैक्ट और सी बकथॉर्न ऑयल स्किन को प्रदूषण और यूवीए रे से जो नुकसान होता है, उससे बचाने में मदद करता है।

बढ़ता वजन और स्ट्रेच मार्क्स की समस्या- बढ़ते पेट और ब्रेस्ट के साइज में वृद्धि के कारण भी स्किन का नेचुरल मॉइश्चर कहीं खो जाता है। इसके कारण स्किन ड्राई हो जाती है और फिर स्ट्रेच मार्क्स और स्ट्रेच मार्क्स में खुजली की समस्या  होने लगती है। 

द मॉम्स कंपनी का नेचुरल बॉडी बटर और नेचुरल स्ट्रेच ऑयल के साथ नेचुरल स्ट्रेच मार्क बंडल खुजली और रूखी त्वचा को आराम देने और मॉइस्चराइज करने, कोलेजन बनाने और घावों और निशानों को ठीक करने का काम करती है। यह प्रोडक्ट डर्मेटोलॉजिकली टेस्टेड और प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इस्तेमाल करने के लिए बिल्कुल सुरक्षित होता है।

फटे होंठ की समस्या-  प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में स्किन के ड्राई होने के कारण होंठों पर भी इसका असर पड़ता है। चेहरे की तरह होंठ भी फटे और खुरदुरे नजर आने लगते हैं।

 बेबीचक्रा का लिप बाम ऑर्गेनिक ऑयल्स से बनाया जाता है , जो लिप्स को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। लिप बाम अपने प्रमाणित सुरक्षित प्राकृतिक अवयवों के कारण होंठों को प्राकृतिक रंगत के साथ गुलाबी चमक प्रदान करता है। साथ ही सनस्क्रीन सूरज से प्राकृतिक सुरक्षा देने के लिए भी बनाया गया है।

ऊपर बताए गए सारे प्रोडक्ट प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इस्तेमाल करने के लिए सेफ है। इन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने के साथ हेल्दी डायट और हेल्दी लाइफस्टाइल को भी मेंटेन करने की कोशिश करनी चाहिए। याद रखें कि जैसे प्रेगनेंसी के दौरान माँ के शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने पर शिशु भी स्वस्थ जन्म लेता है है उसी तरह डिलीवरी के बाद भी अगर प्रीमैच्युर एजिंग की समस्या को कम करके और थोड़ा अपने लिए ‘मी टाइम’ निकालकर माँ खुश रहती हैं तो बच्चा भी स्वस्थ तरीके से विकसित होगा।

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