18 Apr 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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अगर प्रेगनेंसी के दौरान फूड पॉइजनिंग हुआ है तो इसका मतलब यह है कि आपने कुछ ऐसा खा लिया है, जिसमें बैक्टीरिया, वायरस या टॉक्सिन है। इसके कारण शरीर और मन में बेचैनी, उल्टी, दस्त जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
गर्भावस्था में फूड पॉइजनिंग चिंता का कारण बन सकती है। बीमार महसूस करने के अलावा, अजन्मे बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंता होना स्वाभाविक हो जाता है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान खाने-पीने का ध्यान अच्छी तरह से रखना चाहिए। क्योंकि फूड पॉइजनिंग में अवस्था गंभीर होने पर गर्भपात, स्टिलबर्थ या समय से पहले डिलीवरी का कारण बन सकता है।
अक्सर गर्भवती महिलाएं, मेटाबॉलिज्म और सर्कुलेशन में परिवर्तन के कारण फूड पॉइजनिंग के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। गर्भावस्था के दौरान खाद्य विषाक्तता के लक्षणों की पहचान करना अक्सर मुश्किल हो जाता है, जिन लोगों को मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है।
चलिए आगे जानते हैं कि प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग क्यों होता है और इसके होने पर क्या करना चाहिए।
यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के विश्वसनीय स्रोत के अनुसार, प्रेगनेंसी में शरीर का इम्यून सिस्टेम कमजोर हो जाने के कारण फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। प्रतिरक्षा कमजोर होने का कारण शरीर में हॉर्मोन के स्तर का बदलाव होता है।
असल में गर्भावस्था के दौरान शरीर का ज्यादातर ऊर्जा शिशु के विकास में खर्च होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को खाना खाते समय या बनाते समय विशेष रूप से सतर्क होने की जरूरत होती है ताकि फूड पॉइजनिंग से बच सकें।
गर्भावस्था के दौरान शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य से कमजोर हो जाती है, इसलिए शरीर के लिए उन बैक्टीरिया से लड़ना कठिन हो जाता है, जो भोजन के द्वारा शरीर में प्रवेश करती है।
जब आप दूषित खाद्य पदार्थ खाते हैं तब फूड पाइजनिंग होने के खतरा बढ़ जाता है-
वैसे तो फूड पॉइजनिंग कई तरह के होते हैं। लेकिन गर्भावस्था के समय कुछ सामान्य रहती हैं तो कुछ खतरनाक रूप धारण करती हैं।
लिस्टेरियोसिस– यह लिस्टेरिया बैक्टीरिया से आता है। अन्य लोगों की तुलना में गर्भवती महिलाओं को लिस्टेरियोसिस होने की संभावना 13 गुना अधिक होती है। यह रेडी-टू-ईट मीट जैसे हॉट डॉग और कोल्ड कट में छिपा रहता है। सी फूड, पॉल्ट्री और डेयरी प्रोडक्ट्स में भी यह हो सकता है, खासकर यदि वे पास्चुरीकृत नहीं हैं। यह रेफ्रिजरेटर में ठंडे खाद्य पदार्थों पर भी बढ़ सकता है।
एस्चेरिचिया कोलाई (ई कोलाई)- यह बैक्टीरिया आंत में नेचुलरी रहता है। फिर भी, यदि आप दूषित फल और सब्जियां, कच्चा या अधपका मांस, या कुछ विशेष प्रकार के ई. कोलाई युक्त दूध और फलों के रस को पाश्चुरीकृत नहीं करते हैं, तो गर्भावस्था में बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।
साल्मोनेला– यह बैक्टीरिया साल्मोनेलोसिस नामक चीज के कारण बनता है। अधिकतर समय अधपके या कच्चे अंडे, मीट, पोल्ट्री, या अपाश्चुरीकृत फूड प्रोडक्ट्स के खाने के कारण ये हो सकता है। आप इसे तब भी प्राप्त कर सकते हैं, यदि आप ऐसा खाना खाते हैं जो मिट्टी से छू गया हो या साल्मोनेला से संक्रमित जानवर के मल से संक्रमित हो गया हो।
कैम्पिलोबैक्टर– गर्भावस्था के दौरान ये बैक्टीरिया मुख्य रूप से दूषित चिकन या अपाश्चुरीकृत खाद्य पदार्थों के माध्यम से मिलता है।
इसके अलावा नोरोवायरस भी कभी-कभी मालन्यूट्रिशन या कुपोषण का कारण बन सकता है।
मतली, उल्टी और दस्त के अलावा, गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग होने पर-
असल में गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में लगातार होने वाले बदलावों के साथ, यह बताना मुश्किल हो सकता है कि क्या मतली और उल्टी जैसे लक्षण सामान्य हैं या फूड पॉइजनिंग के कारण हो रहे हैं, इसलिए जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
इसके अलावा प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग होने पर अवस्था को बिगड़ने नहीं देना चाहिए, इसलिए डॉक्टर को दिखना बेस्ट उपाय होता है।
एक्सपर्ट टिप्स– प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग से खुद को बचाने के साथ स्किन को भी धूप के तेज किरणों से भी बचाना जरूरी होता है, इसलिए घर से बाहर निकलने के पहले सनस्क्रीन लगाना कभी न भूलें।
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