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प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग होने पर क्या करना चाहिए?

प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग होने पर क्या करना चाहिए?

18 Apr 2023 | 1 min Read

Mousumi Dutta

Author | 387 Articles

अगर प्रेगनेंसी के दौरान फूड पॉइजनिंग हुआ है तो इसका मतलब यह है कि आपने कुछ ऐसा खा लिया है, जिसमें बैक्टीरिया, वायरस या टॉक्सिन है। इसके कारण शरीर और मन में बेचैनी, उल्टी, दस्त जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

गर्भावस्था में फूड पॉइजनिंग चिंता का कारण बन सकती है। बीमार महसूस करने के अलावा, अजन्मे बच्चे की सुरक्षा को लेकर चिंता होना स्वाभाविक हो जाता है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान खाने-पीने का ध्यान अच्छी तरह से रखना चाहिए। क्योंकि फूड पॉइजनिंग में अवस्था गंभीर होने पर गर्भपात, स्टिलबर्थ या समय से पहले डिलीवरी का कारण बन सकता है।

अक्सर गर्भवती महिलाएं, मेटाबॉलिज्म और सर्कुलेशन में परिवर्तन के कारण फूड पॉइजनिंग के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। गर्भावस्था के दौरान खाद्य विषाक्तता के लक्षणों की पहचान करना अक्सर मुश्किल हो जाता है, जिन लोगों को मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है।

चलिए आगे जानते हैं कि प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग क्यों होता है और इसके होने पर क्या करना चाहिए।

प्रेगनेंसी में खाद्य विषाक्तता क्यों होता है। Causes of Food Poisoning During Pregnancy in Hindi

यू.एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) के विश्वसनीय स्रोत के अनुसार, प्रेगनेंसी में शरीर का इम्यून सिस्टेम कमजोर हो जाने के कारण फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। प्रतिरक्षा कमजोर होने का कारण शरीर में हॉर्मोन के स्तर का बदलाव होता है।

असल में गर्भावस्था के दौरान शरीर का ज्यादातर ऊर्जा शिशु के विकास में खर्च होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को खाना खाते समय या बनाते समय विशेष रूप से सतर्क होने की जरूरत होती है ताकि फूड पॉइजनिंग से बच सकें

फूड पॉइजनिंग के प्रकार। Types of Food Poisoning  in Hindi

गर्भावस्था के दौरान शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य से कमजोर हो जाती है, इसलिए शरीर के लिए उन बैक्टीरिया से लड़ना कठिन हो जाता है, जो भोजन के द्वारा शरीर में प्रवेश करती है।

जब आप दूषित खाद्य पदार्थ खाते हैं तब फूड पाइजनिंग होने के खतरा बढ़ जाता है-

  • बैक्टीरिया
  • पैरासाइट्स
  • वायरस
  • कुछ केमिकल्स

वैसे तो फूड पॉइजनिंग कई तरह के होते हैं। लेकिन गर्भावस्था के समय कुछ सामान्य रहती हैं तो कुछ खतरनाक रूप धारण करती हैं।

लिस्टेरियोसिस– यह लिस्टेरिया बैक्टीरिया से आता है। अन्य लोगों की तुलना में गर्भवती महिलाओं को लिस्टेरियोसिस होने की संभावना 13 गुना अधिक होती है। यह रेडी-टू-ईट मीट जैसे हॉट डॉग और कोल्ड कट में छिपा रहता है। सी फूड, पॉल्ट्री और डेयरी प्रोडक्ट्स में भी यह हो सकता है, खासकर यदि वे पास्चुरीकृत नहीं हैं। यह रेफ्रिजरेटर में ठंडे खाद्य पदार्थों पर भी बढ़ सकता है।

एस्चेरिचिया कोलाई (ई कोलाई)- यह बैक्टीरिया आंत में नेचुलरी रहता है। फिर भी, यदि आप दूषित फल और सब्जियां, कच्चा या अधपका मांस, या कुछ विशेष प्रकार के ई. कोलाई युक्त दूध और फलों के रस को पाश्चुरीकृत नहीं करते हैं, तो गर्भावस्था में बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।

साल्मोनेला– यह बैक्टीरिया साल्मोनेलोसिस नामक चीज के कारण बनता है। अधिकतर समय अधपके या कच्चे अंडे, मीट, पोल्ट्री, या अपाश्चुरीकृत फूड प्रोडक्ट्स के खाने के कारण ये हो सकता है। आप इसे तब भी प्राप्त कर सकते हैं, यदि आप ऐसा खाना खाते हैं जो मिट्टी से छू गया हो या साल्मोनेला से संक्रमित जानवर के मल से संक्रमित हो गया हो।

कैम्पिलोबैक्टर– गर्भावस्था के दौरान ये बैक्टीरिया मुख्य रूप से दूषित चिकन या अपाश्चुरीकृत खाद्य पदार्थों के माध्यम से मिलता है।

इसके अलावा नोरोवायरस भी कभी-कभी मालन्यूट्रिशन या कुपोषण का कारण बन सकता है।

प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग
प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग/चित्र स्रोत: फ्रीपिक

प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग के लक्षण। Symptoms of Food Poisoning During Pregnancy in Hindi

मतली, उल्टी और दस्त के अलावा, गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग होने पर-

  • सिर दर्द
  • बुखार
  • पेट दर्द या बेचैनी
  • डिहाइड्रेशन
  • मल में खून

असल में गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में लगातार होने वाले बदलावों के साथ, यह बताना मुश्किल हो सकता है कि क्या मतली और उल्टी जैसे लक्षण सामान्य हैं या फूड पॉइजनिंग के कारण हो रहे हैं, इसलिए जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

फूड पॉइजनिंग का इलाज। Treatment of Food Poisoning During Pregnancy in Hindi

  • फूड पॉइजनिंग के समय डिहाइड्रेशन होने से बचना चाहिए ताकि गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं का सामना न करना पड़े।
  • शरीर में तरल की कमी को धीरे-धीरे पानी पीकर संतुलित करने की कोशिश करनी चाहिए।
  • आपके जानकारी के लिए बता दें कि शरीर मुख्य रूप से पानी से बना होता है। यह शरीर का मास्टर क्लींजर, फ्लशर और डिटॉक्सिफायर है। तरल पदार्थ का सेवन करते रहने से शरीर बीमारी को ठीक करने में नेचुरली काम करता है।
  • पानी शरीर को ठीक करने में मदद करने का सबसे किफायती और सार्वभौमिक तरीका होता है। इसलिए स्वस्थ करने के लिए साफ और स्वच्छ पानी का सेवन करना चाहिए।

इसके अलावा प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग होने पर अवस्था को बिगड़ने नहीं देना चाहिए, इसलिए डॉक्टर को दिखना बेस्ट उपाय होता है।

प्रेगनेंसी में खाने को दूषित होने से कैसे बचाएं। Prevention Tips in Hindi

  • पके हुए खाना को कच्चे फूड्स से दूर रखें।
  • कच्ची या अपाश्चुरीकृत डेयरी से दूर रहें।
  • जितना हो सके डिब्बाबंद मीट से बचें।
  • खाने से पहले फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धो लें और हाथ को धोना भी न भूलें।
  • खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रूप से स्टोर करें और खाने से पहले एक्सपायरी डेट्स की जांच कर लें।
  • फूड्स को फ्रीजर में स्टोर करें ताकि वे फ्रेश रहें।
  • खाद्य पदार्थों को कमरे के तापमान पर नॉर्मल करने के जगह डीफ्रॉस्ट करने का विकल्प चुनें।

एक्सपर्ट टिप्स– प्रेगनेंसी में फूड पॉइजनिंग से खुद को बचाने के साथ स्किन को भी धूप के तेज किरणों से भी बचाना जरूरी होता है, इसलिए घर से बाहर निकलने के पहले सनस्क्रीन लगाना कभी न भूलें।

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