4 May 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
गर्भावस्था का सफर नाजुक माना जाता है। इस दौरान माँ के स्वास्थ्य से जुड़ी छोटी चूक भी माँ व शिशु के लिए गंभीर स्थिति बन सकती है। इन्हीं स्थितियों में से एक है गर्भावस्था में थैलेसीमिया होना। गर्भावस्था में थैलेसीमिया होना एक रक्त से जुड़ा विकार है, जो होने वाले बच्चे में आनुवांशिक बीमारी का कारण भी बन सकता है। गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया होना क्या है, इसके प्रकार व कारण आदि की जानकारी विस्तार से जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
प्रेग्नेंसी में थैलेसीमिया होना (Thalassemia in Pregnancy in Hindi) एक आनुवांशिक यानी जेनेटिक रक्त विकार है। यानी यह माँ को उसके परिवार से मिल सकता है और गर्भावस्था के दौरान अगर उसे पहली बार थैलेसीमिया होता है, तो वह अपनी इस बीमारी को अपने बच्चे तक ट्रांसफर कर सकती है।
थैलेसीमिया होने पर शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा असंतुलित हो सकती है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाना वाला प्रोटीन होता है। ऐसा होने पर गर्भवती महिला के शरीर में खून की कमी हो सकती है और वह एनीमिया का शिकार भी हो सकती है।
थैलेसीमिया के प्रकार मुख्य रूप से दो होते हैं-
1. अल्फा थैलेसीमिया – इस स्थिति में रक्त में अल्फा ग्लोबिन प्रोटीन में परिवर्तन के कारण होता है। इसके अलावा, कुछ महिलाओं में जन्म से ही इस प्रोटीन की कमी हो सकती है।
2. बीटा थैलेसीमिया – यह रक्त में बीटा जीन न होने के कारण होता है। इसकी वजह से रक्त में बीटा ग्लोबिन प्रोटीन का उत्पादन असंतुलित हो जाता है।
इसके अलावा, थैलेसीमिया के दोनों ही प्रकार को दो उपप्रकार भी हैं, जिनमें शामिल हैंः
i) थैलेसीमिया मेजर – अगर बच्चे को माता-पिता दोनों के ही जीन से दोषपूर्ण जीन मिलता है, तो उस स्थिति को थैलेसीमिया मेजर कहते हैं।
ii) थैलेसीमिया माइनर – अगर बच्चे को सिर्फ माँ या पिता से ही दोषपूर्ण जीन मिलता है, तो उस स्थिति को थैलेसीमिया माइनर कहते हैं।
निम्नलिखित कारणों से गर्भावस्था में थैलेसीमिया (Pregnancy mein Thalassemia hone ke karan) हो सकता हैः
निम्नलिखित तरीकों से प्रेग्नेंसी में थैलेसीमिया (Thalassemia and Pregnancy) का निदान किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैंः
अगर माता या पिता में से किसी एक को भी थैलेसीमिया है, तो डॉक्टर गर्भ में पल रहे बच्चे में थैलेसीमिया का खतरा ज्ञात करने के लिए जरूरी टेस्ट की सलाह दे सकते हैं, जैसेः
गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया होना गर्भ में पल रहे शिशु के लिए कई तरह के जोखिम उत्पन्न कर सकता है, जैसेः
बच्चे में थैलेसीमिया का खतरा कम से कम हो, इसके लिए गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान थैलेसीमिया की जांच अवश्य करानी चाहिए। अगर गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया होना जाहिर होता है, तो उचित डॉक्टरी उपचार लेना चाहिए।
निम्नलिखित तरीकों से प्रेग्नेंसी में थैलेसीमिया का इलाज किया जा सकता हैः
अगर बच्चा थैलेसीमिया के साथ जन्म लेता है, तो उसकी परवरिश व देखभाल करते समय पेरेंट्स को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि बच्चा भविष्य में स्वस्थ्य रूप से विकास कर सके और उसके सामान्य जीवन स्तर को बेहतर बनाया जा सके।
इस बारे में सलाह देते हुए मैटरनल केयर और चाइल्ड न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉक्टर पूजा का कहना है कि “थैलेसीमिया के साथ जन्में अधिकांश बच्चे जन्म के दौरान स्वस्थ ही नजर आते हैं, लेकिन जन्म के पहले साल के अंदर उन्हें गंभीर एनीमिया होने का जोखिम हो सकता है। बिना इलाज के बच्चे में लीवर, हड्डियों व हृदय से जुड़ी समस्याएं हो सकती है।”
ऐसे में इन खास बच्चों की देखभाल के लिए पेरेंट्स को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिएः
अगर आपको या आपके साथी को आनुवांशिक बीमारी के तौर पर थैलेसीमिया है, तो गर्भावस्था की योजना बनाने से पहले अपने डॉक्टर की उचित सलाह ले सकती हैं। इसके अलावा, अगर गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया (Thalassaemia during Pregnancy) की पुष्टि होती है, तो इसका उचित उपचार जरूर कराएं, ताकि होने वाले बच्चे में थैलेसीमिया का खतरा कम से कम किया जा सके।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.