10 Mar 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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प्रेगनेंसी के दौरान और डिलीवरी के बाद शरीर बहुत सारे बदलावों से होकर गुजरता है, जैसे कि वजाइना का ढीला होना, ब्रेस्ट साइज बढ़ जाना, स्किन ड्राई या सेंसिटिव हो जाना या बाल रूखे बेजान या काला-घना हो जाना वैगरह वैगरह। लिनिया नाइग्रा यानि पेट पर लकीर जैसे स्पष्ट दिखाई देती है, वैसे हर बदलाव दिखाई नहीं देता है।
डिलीवरी के बाद ऐसा ही एक बदलाव शरीर में होता है, वह है प्रसव के बाद वजाइना का ढीला हो जाना। बच्चे के जन्म के समय खिंचाव के कारण वजाइना फैल जाता है या ढीला हो जाता है। ऐसा होने के कारण सेक्स लाइफ में थोड़ी समस्या आ सकती है। लेकिन इसके लिए निराश होने की जरूरत नहीं है, आपको सिर्फ डॉक्टर के निर्देशानुसार कुछ एक्सरसाइज करने की जरूरत होती है।
शायद आपको पता नहीं कि वजाइना शरीर के अंदर होता है। बाहर जो अंश दिखाई देता है, वह है लेबिया (फोल्ड या लिप्स), क्लाइटोरिस और मॉन्स पबिस (जहाँ प्युबिक हेयर निकलता है) ये वल्वा का अंश होता है, वजाइना का नहीं। वजाइना का मुँह वह है, जहाँ से ब्लीडिंग होती है और डिलिवरी के दौरान बच्चा बाहर आता है।
बच्चे के जन्म के दौरान वजाइना स्ट्रेच्ड होता है यानि बेबी जब बर्थ कैनल से होकर गुजरता है तब वजाइना में खिंचाव आ जाता है। एक अध्ययन के अनुसार जन्म के दौरान पेल्विक फ्लोर मसल्स सामान्य से तीन गुना ज्यादा खिंचाव सह सकता है।
इसी कारण डिलीवरी के बाद यानि बच्चे के जन्म के बाद वजाइना ढीली हो जाती है, क्योंकि योनि के आसपास की पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियाँ खिंच जाती है। यह ढीलापन इस आधार पर निर्भर करता है कि बच्चा कितना बड़ा है, डिलीवरी के दौरान किसी जटिलता का सामना करना पड़ा है कि नहीं या कितनी बार वजाइनल डिलीवरी हुई है। अनुवांशिक कारक और अधिक वजन भी वजाइना के ढीला होने के कारणों में शामिल होता है।
सच तो यह है कि डिलीवरी के बाद वल्वा और वजाइनल ओपनिंग में जो बदलाव आता है, वह समय के साथ ठीक हो जाता है यानि परिवर्तन अस्थायी होता है। सामान्य तौर पर, प्रेगनेंसी या डिलीवरी के बाद योनि का कार्य नहीं बदलता है, बल्कि, कभी-कभी योनि को नियंत्रित करने वाली पेल्विक फ्लोर मांसपेशियां प्रभावित होती हैं।
ये मांसपेशियां ब्लाडर और वजाइना को घेरती हैं और सहारा देती हैं, इसलिए बच्चे के जन्म के दौरान या गर्भावस्था के स्ट्रेस से घायल या कमजोर हो सकती हैं। कुछ मामलों में, पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को नुकसान पहुँचने से ब्लाडर डिसफंक्शन या यूटेरिन प्रोलैप्स जैसी जटिलताएं हो सकती हैं।
पेल्विक एक्सरसाइज, पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करने का बेस्ट तरीका है।
कीगल एक्सरसाइज
इस एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले सही पेल्विक फ्लोर मसल को पहचानने की जरूरत है। पेशाब करते वक्त अगर बीच में रूक जाने पर जो मांसपेशी का एहसास होता है, वह पेल्विक फ्लोर मसल्स होता है। इस एक्सरसाइज को इस तरह से कर सकते हैं-
पेल्विक टिल्ट एक्सरसाइज
पेल्विक टिल्ट एक्सरसाइज का उपयोग करके वजाइना की मांसपेशियों को मजबूत कर सकते हैं:
आशा करते हैं कि डिलीवरी के बाद वजाइना ढीली नहीं रह जाती है, यह बात आपको समझ में आ गई होगी। वजाइना में जो भी ढीलापन आता है वह समय के साथ और एक्सरसाइज करने से ठीक हो जाता है।
एक्सपर्ट टिप्स- डिलीवरी के बाद प्राइवेट पार्ट्स की देखभाल करने के साथ-साथ लिप स्किन की भी देखभाल करनी चाहिए। डिलिवरी के बाद अगर लिप फट जाते हैं तो लिप बाम का इस्तेमाल करने में देर नहीं करनी चाहिए।
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