2 Jan 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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यह तो हम सभी जानते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में होने वाले हॉर्मोनल बदलाव का असर त्वचा की तरह बालों पर भी पड़ता है। इन बदलाव के कारण किसी के बाल घने और मोटे हो जाते हैं तो किसी के बाल पतले, रूखे, बेजान होकर झड़ने लगते हैं। इसके लिए प्रेगनेंसी के दौरान न सिर्फ डायट यानि खान-पान पर ध्यान देने की जरूरत होती है, बल्कि हेयर प्रोडक्ट्स में बदलाव की भी आवश्यकता होती है।
कहने का मतलब यह है कि प्रेगनेंसी के पहले बालों के लिए जो शैंपू या हेयर ऑयल का इस्तेमाल कर रहे थे, हो सकता है उनमें बदलाव लाने की जरूरत है। मसलन अगर बालों में प्रोटीन की जरूरत है तो खाने में प्रोटीन को शामिल करने के साथ-साथ प्रोटीन शैंपू से बालों को धोने से भी ड्राई हेयर, हेयर फॉल जैसे समस्याओं से आजादी मिल सकती है।
बालों का अपना एक नेचुरल साइकिल होता है, यानि नए बालों का निकलना, 2-3 महीनों तक उनका रहना और फिर झड़ जाना। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान यह चक्र बदल जाता है। कई महिलाओं को गर्भावस्था के लगभग 15 सप्ताहों में अपने बाल घने महसूस हो सकते हैं। ऐसा इसलिए नहीं है कि बालों का प्रत्येक रेशा मोटा हो जाता है, बल्कि इसलिए होता है क्योंकि बाल अपने चक्र के बढ़ते चरण में लंबे समय तक रहते हैं, जिसका अर्थ है कि सामान्य से कम बाल झड़ते हैं। यह एस्ट्रोजन हॉर्मोन के स्तर में वृद्धि के कारण होता है।
इसके विपरीत कुछ गर्भवती महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर गिर जाने के कारण बाल झड़ने, पतला होने या ड्राई हो जाने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
प्रेगनेंसी के दौरान कई बार बालों में नमी की कमी हो जाती है। अगर हेयर मॉइश्चराइजर लगाने के बाद भी बाल ड्राई ही नजर आ रहे हैं तो समझ जाना चाहिए कि प्रोटीन की कमी होने के कारण यह समस्या हो रही है। आपके जानकारी के लिए यह बता दें कि बाल मूल रूप से अमीनो एसिड और केराटिन नामक प्रोटीन की श्रृंखलाओं से बने होते हैं। प्रेगनेंसी में हॉर्मोन का असंतुलन, केमिकल चीजों का उपयोग, ओवरस्टाइलिंग, प्रदूषण, गर्मी, गंदगी आदि कारणों से केराटिन का इस्तेमाल ज्यादा होता है। इसके कारण बालों में गैप बन जाता है, जो बालों के नुकसान होने, बाल झड़ने और रूखे होने का कारण होते हैं।
अमिनो एसिड्स जो कार्बनिक यौगिक होते हैं और प्रोटीन बनाने के लिए एक साथ बनते हैं। यह प्रोटीन बालों को मजबूत करने के साथ संरचना के लिए जिम्मेदार होते हैं। यदि शरीर में अमिनो एसिड की कमी हो जाती है तो बाल कमजोर होकर झड़ने लगते हैं। नेचुरल हेयर प्रोडक्ट्स, हेयर प्रोटीन ट्रीटमेंट, प्रोटीन से भरपूर डायट बालों को मजबूत करने के साथ उनकी खोई हुई रौनक लौटाने में मदद करते हैं।
अब सवाल यह आता है कि कैसे पता चलेगा कि कब हेयर प्रोडक्ट्स में शैंपू को बदलने की जरूरत है। अगर नहाने के बाद बाल कंघी करने पर टूटकर गिर रहे हैं, या बाल बेजान और रूखे नजर आ रहे हैं तो समझ जाना चाहिए कि प्रोटीन शैंपू इस्तेमाल करने का समय आ गया है।
इन टिप्स के आधार पर सही प्रोटीन शैंपू का चुनाव करना आसान होता है-
बालों के किस्म के आधार पर- प्रोटीन शैंपू ड्राई, नॉर्मल, कर्ली, ऑयली सभी प्रकार के बालों के लिए उपलब्ध होता है। साथ जो शैंपू बालों केमिकल्स के नुकसान से बचाकर उसमें नया जान लाने में मदद करें, उसका चुनाव करना चाहिए।
स्ट्रेंथनिंग फॉर्मूला वाले शैंपू: प्रोटीन शैंपू में बालों क मजबूत करने की भी क्षमता होनी चाहिए। प्रोटीन के अलावा जो अवयव बालों को तेजी से स्वस्थ बनाने में मदद करते हों वैसे शैंपू का चुनाव करना चाहिए।
केमिकल फ्री वाले शैंपू- शैम्पू हार्श केमिकल्स से मुक्त होने चाहिए , क्योंकि ये प्रोटीन के प्रभाव को उलट सकते हैं और बालों से नेचुरल ऑयल को खत्म कर सकते हैं! इसलिए, खरीदने से पहले जांच लें कि शैम्पू में पैराबेन्स, सल्फेट्स, थैलेट्स और अन्य केमिकल से फ्री है कि नहीं।
आपके जानकारी के लिए बता दें कि द मॉम्स को. का नेचुरल प्रोटीन शैंपू इन सभी आयामों में खरा उतरता है। इसमें हाइड्रोलाइज्ड व्हीट प्रोटीन होता है, जो बालों को नमी प्रदान करता है। बीटरूट में एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन ए और सी, आयरन और पोटेशियम होता है जो स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर तरीके से करने में मदद करता है। साथ ही कोकोनट बेस्ड क्लींजर बालों को ज्यादा झाग वाले शैंपू के हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं जो बालों से प्राकृतिक प्रोटीन छीन लेते हैं।
अब तक के विश्लेषण से आप समझ ही गए होंगे कि प्रेगनेंसी के दौरान क्यों और कब बालों को प्रोटीन शैंपू की जरूरत पड़ती है। प्रेगनेंसी से जुड़े समस्याओं के समाधान, बेबी-केयर और पैरेंटिग संबंधित जानकारियों के बेबीचक्रा ऐप या वेबसाइट को सब्सक्राइब करें और टेंशन फ्री होकर प्रेगनेंसी और पैरेंटिंग जर्नी को एन्जॉय करें।
मूल चित्र स्रोत: इंस्टाग्राम
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