11 Apr 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 279 Articles
गर्भावस्था का सफर कई उतार-चढ़ाव से भरा होता है, जो कि सामान्य है। हालांकि, अगर इन उतार-चढ़ावों के प्रति सतर्कता न बरती जाए, तो गर्भावस्था का सफर मुश्किल भी बन सकता है। ऐसे में सुरक्षित गर्भावस्था के उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय प्रेग्नेंसी के समय सावधानी बरतने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसमें मददगार साबित हो सकते हैं।
सुरक्षित गर्भावस्था के उपाय करना चाहती हैं, तो नीचे बताई गई बातों का ध्यान रखें। एक बात का ध्यान रखें कि हर महिला के गर्भावस्था का सफर व गर्भ ठहरने के लक्षण भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, इस दौरान सभी को एक समान ही देखभाल की आवश्यकता होती है। ऐसे में यहां बताए गए सुरक्षित गर्भावस्था के उपाय हर गर्भवती के लिए लाभकारी हो सकते हैं।
गर्भवती हैं या नहीं, सबसे पहले स्वंय इसकी पुष्टि करनी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि गर्भ ठहरने के लक्षण की पहचान की जाए। स्वंय से गर्भ ठहरने के लक्षण पहचाने के लिए नीचे बताई गए गर्भ ठहरने के लक्षण ध्यान में रखें, जैसेः
एक बार गर्भ ठहरने के लक्षण पहचाने के बाद जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए और गर्भावस्था के दौरान जांच करानी चाहिए। डॉक्टर न सिर्फ प्रेग्नेंसी के लक्षणों की पुष्टि करने में मदद करेंगे, बल्कि गर्भावस्था के चरण को कैसे स्वस्थ बनाया जा सकता है, इसके लिए सुरक्षित गर्भावस्था के उपाय व इससे जुड़ी जरूरी बातों के निर्देश भी दे सकते हैं। साथ ही प्रेग्नेंसी का पहला सप्ताह कब से शुरू होता है, ऐसे ही अन्य सवाल भी पूछ सकते हैं।
इसके अलावा, गर्भावस्था की शुरुआती चरण में चेक-अप करवाने के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं:
गर्भावस्था के दौरान जांच से गर्भवती महिला व गर्भ में पल रहे भ्रूण का स्वास्थ्य पता लगाया जा सकता है। इसी के आधार पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, गर्भवती महिला स्वंय के लिए संतुलित डाइट का चार्ट बना सकती हैं। गर्भावस्था के लिए संतुलित डाइट में निम्नलिखित खाद्यों को शामिल किया जा सकता है, जैसेः
प्रेग्नेंसी केयर में न सिर्फ संतुलित आहार, बल्कि शरीर में पानी की मात्रा का भी ध्यान रखना अहम होता है। इससे ब्लड प्रेशर को स्वस्थ बनाने में मदद मिल सकती है। इसके लिए गर्भवती महिलाएं दिनभर में करीब 8 से 12 गिलास तरल पी सकती हैं, जिसमें पानी के साथ ही, फलों व सब्जियों का जूस, सूप, दूध आदि शामिल कर सकती हैं।
प्रेग्नेंसी टिप्स में उचित शारीरिक स्वच्छता का भी ध्यान रखना चाहिए। गर्भावस्था के चरणों में महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य दिनों के मुकाबले कमजोर हो सकती है, जिस वजह से स्वास्थ्य से जुड़े संक्रमण होने का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे में माँ व बच्चा सेहतमंद बने रहे, इसके लिए शारीरिक स्वच्छता के साथ ही, सोने, उठने-बैठने व दिनचर्या में इस्तेमाल होने वाली सभी वस्तुओं से जुड़ी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
गर्भवती महिला का आहार कैसा होना चाहिए, इसके प्रति सजगता जरूरी है। इसके साथ ही, गर्भवती महिला का खाद्य कितना स्वच्छ है, उसे इसका भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, गर्भवती महिला को पका हुआ, पौष्टिकता से भरपूर, ताजा व कीटाणु रहित भोजन ही आहार में शामिल करना चाहिए। साथ ही, निम्नलिखित खाद्यों को आहार में शामिल करने से बचना भी चाहिएः
गर्भवती महिला के स्वास्थ्य व प्रेग्नेंसी की स्थिति के आधार पर डॉक्टर कुछ तरह के सप्लीमेंट्स व दवाओं की खुराक को निर्देशित कर सकते हैं। जिसे डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों के अनुसार व तय समय पर लेना चाहिए।
गर्भावस्था में नियमित रूप से व्यायाम व योग करना लाभकारी हो सकता है। व्यायाम व योग की मदद से उचित शारीरिक वजन को बनाए रखने में मदद मिल सकती है, साथ ही उच्च व निम्न रक्तचाप, कमर दर्द व मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या को भी कम किया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान कौन से व्यायाम व योग करने चाहिए, इस बारे में डॉक्टरी सलाह पर निम्नलिखित व्यायाम को किया जा सकता हैः
गर्भावस्था के दौरान सावधानियां भी बरतनी चाहिए, जिसमें खासतौर पर ध्रूम्रपान व अल्कोहल से दूरी बनाना शामिल है। गर्भावस्था में धूम्रपान व अल्कोहल के सेवन से गर्भावस्था की जटिलताएं बढ़ सकती हैं। यह माँ व बच्चा दोनों के लिए लिए ही जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए गर्भावस्था के दौरान सावधानियां बरतनी भी जरूरी है। इसके लिए महिला को शारीरिक रूप से अधिक भाग-दौड़ करने से बचना चाहिए। गर्भावस्था के चरण शरीर में कई तरह के बदलाव लाते रहते हैं, जिस वजह से गर्भवती अधिक थकान महसूस कर सकती है। ऐसे में उसे उचित आराम करना चाहिए और कम से कम 7-8 घंटे सोना चाहिए।
सुरक्षित गर्भावस्था के उपाय करते समय न सिर्फ प्रेग्नेंसी के समय सावधानी से जुड़ी बातों का ध्यान रखना चाहिए, बल्कि प्रेग्नेंसी केयर से जुड़़ी सभी बातों का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। इनके साथ ही, समय-समय पर गर्भावस्था के दौरान जांच भी कराना चाहिए। ताकि माँ व बच्चे के स्वास्थ्य स्थिति से खुद को अपटेड रख सकें।