27 Sep 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
Author | 387 Articles
प्रेगनेंसी के दौरान प्रेगनेंसी ग्लो होगा ऐसा हमेशा नहीं होता है। प्रेगनेंसी में स्किन और लिप्स ड्राई देखकर शायद आपको आश्चर्य हो रहा होगा कि आखिर यह क्यों हो रहा है आपके साथ। इतनी ड्राई स्किन देखकर आपको टेंशन हो रहा होगा कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं। पर स्ट्रेस न लें, ड्राईनेस प्रेगनेंसी का एक लक्षण होता है और इसके लिए बिल्कुल भी घबड़ाने की जरूरत नहीं है।
प्रेगनेंसी में आपके शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं, कुछ के बारे में आपको पता होता है, जैसे मॉर्निंग सिकनेस, बहुत भूख, बढ़ता पेट, मिजाज में बदलाव, सूजे हुए पैर और बदलते हुए स्तन आदि। लेकिन प्रेगनेंसी में ड्राई स्किन और लिप्स ऐसी बातें है, जिनके बारे में आपने सोचा भी नहीं होगा। फटे, सूखे होंठ या खुजली वाली सूखी त्वचा पहली तिमाही में शुरू हो सकती है और कुछ महिलाओं के लिए, गर्भावस्था के दौरान बनी रहती है।
आप जिस ड्राईनेस के बारे में सोच रही ही हैं, उसके पीछे कई कारण है। और सबसे अच्छी बात यह है कि इस समस्या का सोल्युशन भी बहुत आसान है। तो चलिए पहले यह जानते हैं कि प्रेगनेंसी में स्किन और लिप्स क्यों ड्राई हो जाते हैं।
प्रेगनेंसी में ड्राईनेस के पीछे मूल कारण डिहाइड्रेशन होता है। पर्याप्त पानी न पीने से लेकर उच्च रक्त मात्रा तक सब कुछ आपकी त्वचा और होंठों को सूखने का कारण बन सकता है।
पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीने के कारण- प्रेगनेंसी के दौरान आपके बॉडी को अधिक मात्रा में फ्लूइड की जरूरत होती है, और जैसे-जैसे आपका बच्चा बढ़ता है, जरूरत और भी बढ़ती जाती है। यदि आप तरल पदार्थ का सेवन नहीं बढ़ाते हैं, तो डिहाइड्रेशन से जुझना पड़ सकता है जैसे कि रूखी त्वचा और सूखे होंठ।
रक्त की मात्रा का बढ़ जाना- प्रेगनेंसी में ड्राई स्किन और लिप्स के पीछे यह भी एक कारण हो सकता है। कभी-कभी नॉर्मल अवस्था की तुलना में रक्त की मात्रा 50% तक बढ़ जाती है। इसके फलस्वरूप ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है, जिसके कारण गुर्दे को अधिक काम करना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप बार-बार पेशाब और निर्जलीकरण होता है, जो अंततः शुष्क होंठ और त्वचा की ओर जाता है।
इसके अलावा रक्त की वृद्धि और निर्जलिकरण के कारण स्किन में खिंचाव होने लगता है। इसके कारण प्रेगनेंसी में स्किन और लिप्स का रूखापन महसूस होने लगता है।
वाटर रिटेंशन – भले ही आपको अजीब लगे मगर प्रेगनेंसी में ड्राई स्किन और लिप्स के पीछे यह भी एक कारण बन सकता है। गर्भावस्था के दौरान, वैसोप्रेसिन हार्मोन के बढ़े हुए स्तर के कारण आपके शरीर में पानी की कमी होने लगती है, जिसके कारण सूजन होने लगता है। अत्यधिक सूजन त्वचा को खींच सकती है, जिससे यह शुष्क और फटी हुई हो जाती है।
शरीर के आकार में परिवर्तन- प्रेगनेंसी के दौरान शरीर कई तरह के बदलावों से गुजरता है, जिसमें बच्चे का लगातार बढ़ा होना भी शामिल है। बढ़ते बच्चे के कारण त्वचा अपनी नमी खोने लगती है।
पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की जरूरत- प्रेगनेंसी के दौरान खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की जरूरत होती है। लेकिन हमेशा ऐसा करना संभव नहीं हो पाता है। तीसरी तिमाही के दौरान आपका शरीर अंगों को शिफ्ट करता है और आपके बढ़ते बच्चे के लिए जगह बनाने के लिए संकुचित करता है। इसलिए ज्यादा पानी पीने से उल्टी होने की संभावना रहती है। इसके अलावा ब्लाडर के चपटा होने के कारण भी बार-बार बाथरूम जाने की जरूरत पड़ती है, फलस्वरूप शरीर को जितनी पानी की जरूरत होती है वह मिल नहीं पाती।
इससे बचने का एक ही उपाय है, ज्यादा पानी वाले फूड्स का सेवन करना जैसे कि खीरा, पालक, या तरबूज आदि। दिन भर में थोड़ी मात्रा में पानी, दूध या जूस पीने से भी आपको तरल पदार्थ कम करने और मूत्राशय के भार को रोकने में मदद मिल सकती है।
बॉडी को मॉइश्चर करने की जरूरत- प्रेगनेंसी में स्किन और लिप्स को ड्राई होने से बचाने के लिए कुछ तरीकों को अपनाना होगा।
इसके साथ ही स्किन को मॉइश्चराइज रखने से स्ट्रेच मार्क्स की समस्या को भी कम किया जा सकता है। इसके लिए आप नेचुलर बॉडी बटर और नेचुरल स्ट्रेच ऑयल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा प्रेगनेंसी में स्किन और लिप्स को ड्राई होने से बचाने के लिए नरम और सूती कपड़े। इसके अलावा धूप में बाहर निकलने पर सनस्क्रीन लगाना बिल्कुल न भूलें।
संबंधित लेख:
गर्भ में बच्चे का विकास न होने का कारण
पीसीओडी में प्रेगनेंसी: पीसीओडी में जल्दी प्रेगनेंट होने के उपाय
ब्रेस्टफीड के बाद ब्रेस्ट का ढीलापन: 11 ब्रेस्ट को टाइट करने के ईजी टिप्स
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.