20 Jan 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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हमें पता है कि आप वजाइनल फिस्टुला के नाम से अनजान है। कई बार डिलीवरी के समय लंबे समय तक लेबर पेन में रहने के कारण वजाइनल फिस्टुला की समस्या हो जाती है। इस समस्या के कारण वजाइना के छेद से मूत्र, गैस और मल सब कुछ पास होने लगता है। मुश्किल की बात यह है कि अपनी उंगलियों को योनि में डालने से वजाइना फिस्टुला महसूस नहीं कर सकते है। इसके कारण शायद ही कभी दर्द या परेशानी होती हो। लेकिन आप में पेशाब का रिसाव, दर्दनाक संभोग या बढ़े हुए संक्रमण जैसे अन्य लक्षण दिखाई देने की संभावना रहती है।
इसलिए वजाइनल फिस्टुला को समझने के लिए सबसे पहले वजाइनल फिस्टुला क्यों होता है और इसके क्या लक्षण होते हैं, इसके बारे में विस्तार से जानना जरूरी होगा। चलिए आगे इसके बारे में पहले जान लेते हैं।
वजाइनल फिस्टुला एक गुफा जैसा ओपनिंग होता है जो वजाइना की दिवार में विकसित होता है। वजाइना, वल्वा(बाहरी महिला जननांग) और सर्विक्स, गर्भाशय के मुंह के बीच का मस्कुलर ट्युब होता है। वजाइना और यूरिनरी सिस्टेम या डाइजेस्टिव सिस्टेम का एक अंग वजाइनल फिस्टुला होता है। वजाइना के दिवार के टीशू को नुकसान पहुँचने के कारण एक छेद बन जाता है, जहाँ यह नहीं होता है।
असल में डिलीवरी के दौरान लंबे समय तक लेबर पेन सहने या पेल्विक सर्जरी के कारण वजाइनल फिस्टुला बनता है। वजाइना में यह ओपनिंग तब बनता है, जब वजाइना के टीशू मर जाते है और यूरीनरी या डाइजेस्टिव सिस्टेम के बीच छेद बन जाता है। इसमें सबसे कॉमन टाइप है, वेसिको वजाइनल फिस्टुला, जो वजाइना और ब्लाडर के बीच बनता है। सांत्वना की बात यह है कि सर्जरी के द्वारा फिस्टुला को बंद किया जा सकता है।
जैसा कि आप जानते हैं कि वजाइनल टिशू में ब्लड की सप्लाई सही तरह से न होने के कारण वह मरने लगते हैं। इसी के कारण फिस्टुला के रूप में वहाँ पर छेद हो जाता है। यह प्रक्रिया बरसों से चलती है। यहाँ तक कि कुछ लोगों में वजाइनल फिस्टूला जन्म के समय से होता है।
वजाइनल फिस्टुला के कारणों में यह भी शामिल हैं-
जेनिटूरिनरी वजाइनल फिस्टुला वजाइना और यूरीनरी सिस्टेम के अंगों के बीच बनता है। इसके कारण कई प्रकार के लक्षणों से महिला को गुजरना पड़ता है-
-लगातार पेशाब होने रहना या पेशाब लगने पर रोकने में असमर्थ होना।
-लंबे समय से पेशाब में महक होना।
-वजाइना, वल्वा या पेरिनियम में खुजली होना।
-सेक्स में बहुत दर्द होना (डिस्पेर्यूनिया)।
-बार-बार मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई), किडनी इंफेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) या वजाइनल इंफेक्शन (वागिनिटिस) होना।
वजाइना और डाइजेस्टिव सिस्टेम के अंगों के बीच जब फिस्टुला बनता है, तब इन लक्षणों का सामना करना पड़ता है-
-पेट में दर्द।
-दुर्गंधयुक्त वजाइनल डिस्चार्ज।
-वजाइना से गैस, मवाद या मल का रिसना।
-मतली और उल्टी या दस्त।
-संभोग करने में भयानक दर्द होना।
-बार-बार यूटीआई या किडनी में इंफेक्शन होना।
-मलाशय से ब्लीडिंग होना या वजाइनल ब्लीडिंग होना।
-बिना कारण वजन घटना।
अब तक तो हमने लक्षणों के बारे में बात की लेकिन एक सावधानी की बात यह भी है कि मरीज को बिना हाथ धोएं वजाइना को छूने की गलती नहीं करनी चाहिए। इससे इंफेक्शन होने और भयानक रूप धारण करने में देर नहीं लगती है।
डॉक्टर शारीरिक परीक्षा में पेल्विक एग्जाम और लक्षणों का आकलन करके इलाज कैसा होगा यह निर्णय लेते हैं। उपचार फिस्टुला के प्रकार पर निर्भर करता है। कुछ छोटे फिस्टुला निम्नलिखित उपचारों से अपने आप ठीक हो जाते हैं:
-एंटीबायोटिक दवाओं से
-अस्थाई सेल्फ-कैथेटराइजेशन वेसिकोवागिनल फिस्टुला ठीक हो जाता है।
-यूरेटेरल स्टेंट (किडनी स्टेंट) से यूरेटेरोवागिनल फिस्टुला ठीक हो जाता है।
वजाइनल फिस्टुला वाले अधिकांश मरीजों को सर्जरी की जरूरत होती है। वजाइनल फिस्टुला को ठीक करने के लिए, डॉक्टर छेद को बंद करने के लिए स्वयं के टिशू, लैब-में बने टिशू या सर्जिकल जाल का उपयोग कर सकते हैं। वजाइनल फिस्टुला रिपेयर सर्जरी के बाद 10 में से 9 महिलाएं पूरी तरह ठीक हो जाती हैं।
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