29 Mar 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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अगर आप जल्द माँ बनने वाली हैं तो जाहिर है, आप इस बात को लेकर टेंशन में होंगी कि नॉर्मल डिलीवरी करना चाहिए या सिजेरियन डिलीवरी। इसके लिए आपको यह समझने की जरूरत है कि नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन डिलीवरी कैसे होती है? या नॉर्मल या सिजेरियन डिलीवरी के फायदे कौन-कौन-से हैं? इन दोनों में कौन-सा डिलीवरी का ऑप्शन आपके लिए सेफ है, इन सब बातों को समझने की जरूरत है।
नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन डिलीवरी कैसे होती है, यह जानने के लिए सबसे पहले जान लेते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन डिलीवरी क्या होता है।
शिशु को जन्म देने का सबसे आम तरीका है, वजाइनल या नॉर्मल डिलीवरी। वजाइनल डिलीवरी के दौरान यूटेरस सिकुड़ता है और सर्विक्स ओपेन होता है और बेबी को वजाइना या बर्थ कैनल से बाहर निकालने के लिए धकेलता है। आम तौर पर डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि भ्रूण और माँ दोनों के लिए ये सुरक्षित होता है। गर्भावस्था के 37 और 42 सप्ताह के बीच अक्सर नॉर्मल डिलीवरी होता है।
विभिन्न प्रकार की नॉर्मल डिलीवरी होती हैं: स्पॉन्टेनियस वजाइनल डिलीवरी , इंडयूस्ड वजाइनल डिलीवरी और असिस्टेंट वजाइनल डिलीवरी।
स्पॉन्टेनियस वजाइनल डिलीवरी: एक योनि प्रसव जो अपने आप होता है और लेबर इंड्युसिंग मेडिसन देने की जरूरत नहीं होती है।
इंडयूस्ड वजाइनल डिलीवरी : दवाएं या अन्य तकनीकें लेबर पेन शुरू करवाने में मदद करती हैं और आपके सर्विक्स को तैयार करती हैं। इसे लेबर इंडक्शन भी कहा जाता है।
असिस्टेंड वजाइनल डिलीवरी: इस प्रक्रिया में बच्चे को बाहर निकालने के लिए फोरसेप्स या वैक्यूम डिवाइस की मदद ली जाती है। स्पॉन्टेनियस और इंडयूस्ड वजाइनल डिलीवरी दोनों में सहायता करता है।
सिजेरियन डिलीवरी को सी-सेक्शन या सिजेरियन सेक्शन भी कहा जाता है। यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें पेट और गर्भाशय में चीरा लगाकर बच्चे को जन्म दिया जाता है। जब वजाइनल डिलीवरी संभव या सुरक्षित नहीं होता है, या जब माँ या बेबी के स्वास्थ्य को खतरा होता है, तब सिजेरियन डिलीवरी करवाया जाता है।
सिजेरियन डिलीवरी करने का प्लान इन हालातों में किया जाता है-
इन हालातों में बिना प्लान किए सर्जरी करने की नौबत आ सकती है-
नॉर्मल डिलीवरी करने के फायदे-
नॉर्मल डिलीवरी करने का खतरा-
सिजेरियन डिलीवरी से फायदा-
सिजेरियन डिलीवरी से खतरा-
एक्सपर्ट टिप्स: अब तो आप जान ही गए हैं कि नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन डिलीवरी कैसे होती है और दोनों के क्या फायदे और नुकसान हैं। लेकिन दोनों डिलीवरी के बाद रिकवरी के लिए जिस तरह से डायट का ख्याल रखना जरूरी होता है, उसी तरह से हाइजीन का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। डिलीवरी के बाद स्किन सेंसिटिव रहती है, इसलिए माइल्ड सोप या बेबी वाश या बेबी मॉइश्चराइजिंग क्रीमी बाथिंग बार का इस्तेमाल करना सेफ हो सकता है।
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