15 Jun 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
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ट्विन प्रेग्नेंसी में देखभाल (Twin Pregnancy in Hindi) करने से जुड़ी बातों का ध्यान रखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। दरअसल, गर्भ में जुड़वा शिशु होने (Twin Pregnancy in Hindi) पर शुरुआती तिमाही में गर्भपात होने का जोखिम अधिक हो सकता है। यही वजह है कि गर्भ में जुडवा बच्चे होने पर माँ को अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता हो सकती है।
तो अगर आप भी ट्विन प्रेग्नेंसी में देखभाल (Twin Pregnancy in Hindi) के तरीके जानना चाहती हैं, तो विस्तार से अंत तक हमारा यह लेख पढ़ें। यह हम स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार गर्भ में जुड़वा शिशु होने (Twin Pregnancy in Hindi) से जुड़ी सावधानी बता रहे हैं।
गर्भावस्था में महिला के शरीर के लिए पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। वहीं, गर्भ में जुड़वा शिशु होने (Twin Pregnancy in Hindi) पर इनकी जरूरत दोगुनी से भी अधिक हो सकती है। ऐसे में गर्भवती महिला को अपने आहार में फोलिक एसिड के साथ ही, कैल्शियम, जिंक, विटामिन डी, आयरन व फॉस्फोरस की उचित मात्रा का ध्यान रखना चाहिए।
फोलिक एसिड युक्त खाद्य की खुराक जहां माँ व बच्चे के शारीरिक विकास के लिए आवश्यक माना जाता है, वहीं विटामिन डी, कैल्शियम और फासफोरस हड्डियों व दांतों के विकास, निर्माण और उनकी देखभाल के लिए आवश्यक पोषक तत्व माने जाते हैं।
इसके अलावा, भारतीय महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान एनीमिया के जोखिम भी सबसे अधिक देखे जा सकते हैं। ऐसे में एनीमिया से बचाव करने के लिए आहार में आयरन युक्त खाद्य शामिल करना सबसे अच्छा विकल्प माना जा सकता है।
प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रूची भंडारी की सलाह के अनुसार, ट्विन प्रेग्नेंसी में देखभाल (Twin Pregnancy in Hindi) के लिए सबसे जरूरी है कि गर्भवती महिला को नियमित रूप से (15 से 20 दिनों के अंतराल पर) अपने डॉक्टर के पास संपूर्ण शारीरिक जांच के लिए जाना चाहिए। इससे डॉक्टर न सिर्फ गर्भावस्था के दौरान होने वाली जटिलताओं का समय रहते पता लगा सकते हैं, बल्कि माँ और शिशु के स्वास्थ्य को कोई जोखिम होने से भी बचा सकते हैं। इसलिए, गर्भ में जुड़वा शिशु होने (Twin Pregnancy in Hindi) पर रेगुलर चेकअप का ध्यान रखें।
ट्विन प्रेग्नेंसी में देखभाल (Twin Pregnancy in Hindi) करसे समय गर्भवती महिला को भारी वजन की वस्तुएं उठाने से भी बचना चाहिए। इस अवस्था में भारी वजन उठाने से गर्भवती महिला के पेट पर अधिक दबाव बन सकता है, जिससे गर्भ में शिशु की स्थिति में परिवर्तन हो सकता है और स्टिलबर्थ का जोखिम भी हो सकता है। कुछ मामलों में यह गर्भपात का कारण भी बन सकता है। इसलिए गर्भ में जुड़वा शिशु होने (Twin Pregnancy in Hindi) पर वस्तुओं के उठाने पर उनके वजन का ध्यान रखें।
सामान्य गर्भावस्था में संभोग करना जोखिम भरा नहीं माना जाता है। हालांकि, डॉक्टर यह सलाह देते हैं कि गर्भावस्था में संभोग तभी तक करना चाहिए, जब तक महिला आरामदायक महसूस करे। वहीं, गर्भ में जुड़वा शिशु होने (Twin Pregnancy in Hindi) पर पेट का आकार भी अधिक हो सकता है, साथ ही गर्भाशय पर दवाब भी अधिक बना रह सकता है। ऐसे में ट्विन प्रेग्नेंसी में देखभाल (Twin Pregnancy in Hindi) करने के लिए संभोग करने से पहले अपने डॉक्टर की उचित सलाह अवश्य लें।
गर्भ में जुड़वा शिशु होने (Twin Pregnancy in Hindi) पर गर्भवती महिला को उपवास या व्रत रखने से भी परहेज करना चाहिए। जैसे कि अधिकतर उपवास में गर्भवती महिला को सिर्फ फलाहार ही करना होता है। ऐसे में अगर इस दौरान गर्भवती महिला व्रत रखती हैं, तो उनके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। साथ ही, उन्हें डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है।
यह समस्या गंभीर होने पर महिला कमजोरी भी महसूस कर सकती हैं और उन्हें चक्कर आने का भी जोखिम हो सकता है। ऐसे में खुद के स्वास्थ्य के लिए और जुडवा प्रेग्नेंसी (Twin Pregnancy in Hindi) की देखभाल के लिए उपवास रखने से बचा जा सकता है। इस दौरान सिर्फ पूजा-पाठ या आरती के जरिए ही उपवास की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।
इसके साथ ही, अगर जुडवा प्रेग्नेंसी (Twin Pregnancy in Hindi) में किसी तरह की जटिलता पता चलती है, जैसे – गर्भ में बच्चे के ब्रेन, हार्ट या अन्य अंग आपस में जुड़े हुए हो, तो ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए, तो इससे संबंधित आधिक जानकारी के लिए आप प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रूची भंडारी का यह वीडियो भी देख सकते हैं।
आशा करते हैं कि लेख में बताए गए ट्विन प्रेग्नेंसी में देखभाल (Twin Pregnancy in Hindi) के टिप्स आप फॉलो करेंगे और गर्भ में जुड़वा शिशु को हेल्दी बनाए रखेंगे। साथ ही, यह भी ध्यान रखें कि अगर गर्भवती महिला के स्वास्थ्य में किसी तरह के लक्षण अचानक से नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उसके कारणों का पता लगाएं।
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