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क्या आप उच्च जोखिम गर्भावस्था की स्थिति को समझते हैं ?

क्या आप उच्च जोखिम गर्भावस्था की स्थिति को समझते हैं ?

30 Apr 2019 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

गर्भावस्था हर महिला के लिए एक शारीरिक रूप से बेहद अलग अनुभव है। अपने शरीर के अंदर एक नए अस्तित्व का पोषण करना कोई छोटी बात नहीं है। ऐसा करना कुछ महिलाओं के लिए कठिन होता है। मातृत्व की यात्रा में उन्हें कई जोखिमों से गुजरना पड़ता है। इसे हाई रिस्क प्रेगनेंसी (high risk pregnancy in hindi) यानी उच्च जोखिम गर्भावस्था कहा जाता है।  

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लक्षण समझकर महिलाएं सतर्क हो सकती हैं। इसलिए आगे हम उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की स्थिति (high risk pregnancy in hindi) के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

क्या है हाई रिस्क प्रेगनेंसी? (High Risk Pregnancy Definition In Hindi)

हिंदी में हाई रिस्क प्रेगनेंसी का मतलब (high risk pregnancy meaning in hindi) का मतलब हुआ उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था। इसे स्पष्ट अर्थ यही है कि ऐसी गर्भावस्था जिसमें जटिल स्वास्थ्य समस्याएं हों। इन स्वास्थ्य समस्याओं के चलते गर्भस्थ शिशु और गर्भवती महिला दोनों को जान का खतरा रहता है। 

आंकड़ों की बात करें, तो तकरीबन 30 प्रतिशत महिलाओं को उच्च जोखिम वाली प्रेग्नेंसी का खतरा रहता है। इसमें सबसे अधिक पहली बार माँ बनने जा रही महिलाएं होती हैं। चलिए, आगे हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लक्षण समझते हैं।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लक्षण

हाई रिस्क प्रेगनेंसी का मतलब (high risk pregnancy meaning in hindi) जानने के बाद इसके लक्षण को समझना जरूरी है। आगे हम बिंदुओं के माध्यम से हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लक्षण बता रहे हैं।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के कारण

उच्च जोखिम गर्भावस्था स्थिति के कारण कई होते हैं। आगे हम कुछ सामान्य कारण बता रहे हैं, जिसके चलते उच्च जोखिम गर्भावस्था की स्थिति पैदा हो सकती है।

  • महिला की उम्र अधिक होना या कम होना
  • खराब जीवनशैली अपनाना
  • पहले से चली आ रही बीमारियां
  • गर्भ में जुड़वां बच्चों का होना
  • एनीमिया की गंभीर स्थिति
  • पहली प्रेग्नेंसी में उच्च जोखिम का होना
  • महिला का वजन काफी अधिक होना
  • आरएच प्रोटीन माँ और शिशु के शरीर में बहुत अधिक या कम होना (Rh Incompatibility) 

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा किन्हें होता है अधिक?

उच्च जोखिम गर्भावस्था स्थिति ऐसी महिलाओं में अधिक होती है, जो शुरू से ही किसी बीमारी की चपेट में हों। जैसे कि ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि। इसके अलावा, अधिक उम्र में या कम उम्र में गर्भधारण करने से भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का खतरा बढ़ जाता है। 

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में बच्चे को नुकसान कितना?

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के चलते बच्चे को काफी खतरा रहता है। हो सकता है कि बच्चे किसी बीमारी के साथ ही जन्म ले। साथ ही गर्भ में ही शिशु की ग्रोथ भी अच्छी नहीं होती। इसके चलते शिशु अपने लाइफ के माइल स्टोन में पहुंचने में अधिक समय ले सकता है। 

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के गंभीर मामलों में बच्चे की मृत्यु तक हो सकती है। कुछ मामलों में बच्चे जन्म दोष के साथ पैदा होते हैं।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी - उच्च जोखिम गर्भावस्था
हाई रिस्क प्रेगनेंसी

हाई रिस्क प्रेगनेंसी में इस खतरे की आशंका

हाई रिस्क प्रेगनेंसी में अधिकतर महिला को बीमारी जैसे कि प्रीक्लेम्पसिया और गर्भावधि मधुमेह होने का खतरा रहता है। इसके अलावा, प्री-टर्म लेबर भी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के खतरों में शामिल है।

ऐसे कई कारक हैं जो प्री–टर्म लेबर के खतरे में एक माँ को डाल सकते हैं। इसमें गर्भाशय ग्रीवा में असामान्यताएं, योनि संक्रमण और समय से पहले प्रसव का इतिहास शामिल है। योनि से पानी के स्राव का अनुभव करना, गर्भावस्था के 37 वें सप्ताह से पहले पेट में ऐंठन या पीठ दर्द, पूर्व–प्रसव के लक्षण हो सकते हैं और तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

इस उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की स्थिति को अक्सर गर्भाशय ग्रीवा पर दबाव को कम करके बेड रेस्ट द्वारा प्रबंधित किया जाता है। इसके अतिरिक्त, अनुपचारित थायराइड और बैक्टीरियल वेजिनोसिस में स्क्रीनिंग टेस्ट करवाने से इस स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी में बचाव के लिए ऐसा करें

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के चलते होने वाली माँ और शिशु दोनों को ही खतरा रहता है, इसलिए इससे बचाव के लिए इन बातों का ख्याल रखें।

  • धूम्रपान करती हैं, तो इसे एकदम बंद कर दें। 
  • शारीरिक रूप से रोजाना एक्टिव रहें। सुबह-शाम सैर के लिए घर से निकलें या घर में ही टहलें। 
  • डॉक्टर की सलाह पर प्रेग्नेंसी के लिए सुरक्षित योग और एक्सरसाइज कर सकती हैं।
  • हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में आराम करना भी बेहद जरूरी है। 
  • अधिक स्ट्रेस ना लें। स्ट्रेस मौजूद बीमारियों को और बिगाड़ देता है और नई बीमारियां पैदा कर सकता है।
  • अपने वजन पर ध्यान दें। इसे अधिक बढ़ने ना दें।
  • वजन, बीमारियों और मौजूदा स्थिति के बारे में डॉक्टर को बताती रहें। नियमित रूप से आप चेकअप के लिए क्लीनिक जरूर जाएं।
  • ऊपर बताए गए हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से संपर्क करें। 

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में डाइट कैसी हो? (Diet tips in High Risk Pregnancy in Hindi)

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में डाइट पर काफी ध्यान देना चाहिए। अगर मन में सवाल है कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में डाइट कैसी हो, तो इस लेख को आगे पढ़ें।

  • हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में फास्ट फूड का सेवन एकदम बंद कर देना चाहिए। 
  • अगर किसी आहार को खाने के बाद असहज महसूस हो, उसका सेवन भी न करें।
  • अधिक तले-भूने खाद्य पदार्थ से परहेज करें।
  • डाइट में सलाद को शामिल करें। लेकिन इसे खाने से पहले अच्छे से धो लें।
  • खाने में चीनी व नमक की मात्रा को संतुलित रखें। 
  • मौसमी और ताजी हरी सब्जियां और रंग-बिरंगे फलों का सेवन करें। 
  • दाल और रोटी को भी डाइट में जगह दें। 
  • मसालेदार और पैक किए हुए व फ्रोजन फूड को खाने से बचें।
  • कॉफी और चाय (कैफीन) की मात्रा पर ध्यान दें और इसे सीमित करें।
  • तरल पदार्थ का सेवन करती रहें। 
  • शराब से तौबा करें।

प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले हमेशा डॉक्टर से संपर्क करके सही सलाह लेने और मौजूदा बीमारियों का इलाज करवाना जरूरी है। ऐसे में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचा जा सकता है। अगर किसी महिला को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का जोखिम हो, तो वो डॉक्टर से नार्मल डिलीवरी के उपाय के बारे में बात कर सकती है।

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